प्यारे पापा ,पिता पर कविता

आज से आप अपना जीवन बदल ले ,उन्हें अपना दोस्त बना लें।अपने मन की सभी इच्छाओं को पूरा कर ले और उनकी इच्छाओं को भी पूरा करने की कोशिश करें ,क्योकि न जाने कब समय थम जाए और आप उनसे कुछ भी न कह पाए। वो आपके प्यार को तरसते -तरसते जीवन से चले जाए और आप पछताते रहें की ,काश -मैंने पापा से बात की होती। आप रोते रह जाएंगे और हाथ में कुछ नहीं रह जाएगा.....

हर -हर महादेव -दोस्तों ,

भोले नाथ की असीम कृपा आप पर बनी रहे। 

प्रिय पाठको ! आज की इस पोस्ट में आप पाएंगे एक बच्चे के दिल की पुकार ,जो अपने पापा से बहुत प्यार करता है ,पर दुर्भाग्य वश उसके पिता उससे बिछड़ जाते है। उसके इस दुःख को हमने एक कविता के रूप में आपके सामने प्रकट किया है। 

दोस्तों इस पोस्ट में आप पाएंगे -

कविता पापा 

निर्देश 

अनुरोध 

कविता 

प्यारे पापा ,पिता पर कविता 

प्यारे पापा
प्यारे पापा ,पिता पर कविता 

पापा - पापा ओ प्यारे पापा ,

आँखे खोलो देखो न पापा। 

मैं खड़ा हूँ ,आपके सामने ,

मुझे गोद में उठा लो न पापा। 


पापा - पापा ओ प्यारे पापा 

क्यों नहीं बोलते ,उठते क्यों नहीं  

कब से खड़ा हूँ ,बाहर जाने के लिए ,

घुमाने ले जाते क्यों नहीं। 


छोड़ो कहाँ ले जा रहे हो.मैं रो पडूंगा 

छोड़ो मेरे पापा को ,मैं इनसे बात करूंगा। 

मेरे बहते आंसू जो आप देख नहीं सकते थे ,

आज बहे जा रहे है ,उन्हें पोछते क्यों नहीं 


नन्हे कदम है मेरे ,मैं जाऊँगा कहाँ  

कैसे जिऊँगा पापा आपके बिना। 

दिन तो कट जाएगा ,पर ये रात कैसे कटेगी 

आपके बिना पापा नींद कैसे आएगी। 


कौन बाहों में अब मुझको सुलाएगा ,

कौन सुबह अब मुझको उठाएगा 

माँ को देखा नहीं ,सब कुछ आप ही थे। 

माँ नहीं ,आप नहीं अब किसे पापा बुलाऊंगा। 


उठो पापा ,आँखे खोलो न पापा। 

मुझे भूख लगी है ,कुछ खिला दो न पापा। 

चलो ठीक है ,कोई बात नहीं। 

मुझे कुछ नहीं चाहिए पापा। 

बस एक बार ,आँखे तो खोल दो न पापा। 


जाना ही था यूँ छोड़ कर ,तो जीवन में लाये ही क्यों ?

रुलाना ही था ऐसे ,तो हँसना सिखाया ही क्यों ? 

हाथी ,घोडा ,बंदर नहीं ,मेरा खिलौना आप थे। 

तन ,मन ,धन से समर्पित पापा ,मेरे लिए आप थे। 


मेरे बीमार पड़ने पर ,आप रात -रात भर जागते थे। 

काँधे पर बैठा के ,ये सारा जहां दिखाते थे। 

जब कोई खेल -खेल में मुझे मारता था। 

तब एक आवाज पर मेरी आप आ जाते थे। 

फिर आखिर क्यों ?आज बुलाने पर भी नहीं बोलते पापा।

 

पापा -पापा ओ प्यारे पापा। 

आँखे खोलो देखो न पापा। 


रोते -रोते बच्चा थक गया। तभी अचानक उसे अपने पापा की कही बात ध्यान आई की -पापा ने मुझसे कहा था कि -जीवन में जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान् होता है। भगवान् बच्चो की बातों को बहुत जल्दी मानते है क्योकि बच्चे मन के सच्चे होते है। मन में यदि सच्ची लगन हो ,तो भगवान् से वो कुछ भी मांगे ,उसे वो वस्तु जरूर मिलती है। 

ऐसा ध्यान में आते ही वह भागा -भागा घर के अंदर गया और घर में रखी भोले बाबा की मूर्ति के आगे रोने लगा। उनसे अपने दिल का हाल सुनाने लगा। कहने लगा कि -हे भोले बाबा ! पापा कहते थे की आप सबके पिता है। जिनका कोई नहीं होता ,आप उनके साथ रहते हो। 

आप हर जगह नहीं रह सकते इसलिए आपने अपने रूप में सबको पिता दिये। फिर क्यों ?मेरे पापा को बुला लिया। ऊँगली पकड़कर चलना सिखाया जिसने ,फिर क्यों ?उनसे  दूर किया। 

हे भोले नाथ !आप मुझे अपना वही रूप वापस कर दो।  मुझे मेरे पापा लौटा दो।


उनसे ही मेरी दिन - रात थी।  

उनसे ही जीवन में खुशियाँ थी। 

जिनके आशीर्वाद से जीवन की हर राह आसान थी। 

हे भोले नाथ ! फिर क्यों मेरी खशियाँ छीन ली। 


मेरी हस्ती नहीं ,उनके बिना।

मेरा ठिकाना नहीं ,उनके बिना। 

जब जीवन में कुछ भी नहीं ,उनके बिना। 

फिर आखिर क्यों ? मुझे जिंदगी दी। 


मैं नहीं जी सकता, उनके बिना। 

नहीं रह सकता, उनके बिना। 

याद आती है, उनकी बहुत। 

क्या करूँगा जीकर, उनके बिना। 


या तो लौटा दो उन्हें या फिर -

मुझे भी अपने पास बुला लो। 

प्यारे भोले बाबा !फिर एक बार -

मेरे पापा को उठा दो। 


पापा को उठा दो ,पापा को उठा दो। 

बस एक बार पापा से मिला दो। 

हे भोले बाबा ,मझे मेरे पापा से मिला दो। 

बच्चा रोते रोते भगवान् से प्रार्थना करता रहा। 


उसकी सच्ची पुकार से आशुतोष भगवान् शिव का दिल पिघल गया -उन्होंने उसकी पुकार सुनी और उसके पिता को जीवन दान दिया। पिता को जीवित देख - बच्चा ख़ुशी से झूम उठा। उसकी आँखों से ख़ुशी के आंसू छलक रहे थे। उसने भोले नाथ को शुक्रिया कहा और उनके चरणों में सिर रखकर उन्हें धन्यवाद कहा। 

क्या माता-पिता के कर्मों की सजा उनके बच्चों को मिलती हैं।

निर्देश 

प्रिय पाठकों ये तो एक काल्पनिक कविता है, पर एक पल के लिए जरा सोचो ,विचार करो ,कल्पना करो कि यदि कभी सच में ऐसा हो जाए तो क्या हो ? तो - दोस्तों !दुनिया बदल जायेगी ,जीवन से आनंद की लहर थम जायेगी। जीवन बेरंग हो जाएगा। हर वक़्त कोई न कोई डर सताता रहेगा। 

क्योकि सिर पर जब बड़ों का साया होता है तो बच्चा बेफ़िक्र रहता है। उसे डर होते हुए भी कोई डर नहीं होता क्योकि उसे पता होता है की मुझे  बचाने के लिए मेरे माँ -बाप है। वो बेखौफ होकर घूमता है। अपनी मस्ती में मस्त रहता है। 

पर जब ये साया न हो तो ? तो - क्या हो -क्योकि ये  तो सच है की  जो एक बार इस दुनिया से चला जाता है ,तो फिर लौट कर वापस नहीं आता। न जाने ऐसे कितने बच्चे है जो अनाथ है। उनका कोई नहीं ,न कोई सुलाने वाला ,न कोई उठाने वाला ,न हंसाने वाला , न खिलाने वाला और न काँधे पर बैठाके ये जहां दिखाने वाला। 

उसे तो बस जो करना ,वो खुद करना है। इसलिए जीवन में यदि किसी को माँ -बाप की अहमियद होती है तो वो अनाथो से ज्यादा किसी को नहीं होती। ऐसा नहीं है की जिनके माता -पिता जीवित है -उन बच्चो को उनका मूल्य नहीं पता होता । पता होता है पर अनाथो को उससे कहीं ज्यादा पता होता है , क्योकि वो माता -पिता के प्यार से वंचित रहते है। 

 अनुरोध 

दोस्तों ! इसलिए हमारा आपसे अनुरोध है की जीवन में यदि आपको माँ -बाप के रूप में जो अपार खुशियाँ मिली है। उसे संजोकर रखे ,उन्हें खोने न दें -क्योकि उन्होंने आपको खुशियां देने के लिए न जाने अपनी कितनी खुशियां बर्बाद की। अपनी नींदे ,अपना सुख चैन सब उन्होंने आप पर न्योछावर कर दिया और अब समय है की आप उनको खुशियां दें। 

दोस्तों ! माता -पिता दोनों एक दूसरे के पूरक है। इनमें से किसी एक का भी साया सिर पर से उठ जाए तो जीवन तहस -नहस हो जाता है। लोग तो कहते है की पिता न रहे तो माँ बच्चो को अच्छे से पाल लेती है। 

हाँ ,सच है पाल लेती है, पर बच्चो को पालने के लिए उसे कितनी तकलीफे उठानी पड़ती है ,ये सिर्फ वो माँ ही जानती है। पिता सिर्फ बच्चो को ही नहीं पालता बल्कि बच्चो के साथ -साथ अपनी पत्नी को भी पालता है ,उसका ध्यान रखता है ,उसके और बच्चो के जीवन में कोई आंच नहीं आने देता। 

प्यारे दोस्तों ! हम ये तो नहीं कहते की माँ का रुतबा नहीं होता ,माँ कुछ नहीं होती ,उनकी अहमियद नहीं होती।  होती है ,पर पिता की अहमियद माँ से कहीं ज्यादा होती है और आपको ये बात समझनी चाहिए। क्योकि बहुत से बच्चे होते है जो अपने पिता से नफरत करते है। 

वो इस बात को भूल जाते है की जीवन में जो नाम उनको मिला -वो पिता से ही मिला क्योकि यदि वो न होते ,तो क्या आप होते ? नहीं होते। पिता से ही आपकी पहचान है। वो ऊपर से बहुत कठोर होते है शायद इसीलिए बहुत से बच्चे अपने पिता से नफरत करते है ,उनसे दूर भागते है ,उन्हें कोसते है। पर क्या आप जानते है ?की नारियल भी ऊपर से बहुत कठोर होता है पर उसके अंदर कितनी मिठास होती है। 

प्यारे बच्चों ! पिता भी कुछ ऐसे ही होते है। वो ऊपर से बहुत कठोर होते है पर अंदर से बहुत ही मुलायम। उन्हें माँ की तरह आंसू बहाना नहीं आता ,अपने दुःख को दिखाना नहीं आता। ये तो आपको समझना होगा, ठीक उसी प्रकार, जैसे वो आपकी बातों को बिना कहे समझ जाते है। अब बहुत से बच्चो के मन में  ये प्रश्न आ रहा होगा की ऐसा नहीं होता ,ऐसा होता तो वो हमे और हमारी भावनाओ को समझते ,हमे जो चाहिए वो हमे बिना कहे ही मिल जाता। 

कहानी-आदर्श माँ का कर्त्तव्य 

तो प्यारे बच्चो ! ये तो जरूरी नहीं है की वो आपको हर चीज़ दिलाये क्योकि पिता का स्वभाव थोड़ा हट कर होता है।वो आपको वहीं वस्तु दिलाएंगे जो आपके फायदे की हो ,आपके हित की हो। हो सकता है जो वस्तु आप उनसे मांग रहे हो ,वो आपके हित के लिए न हो। 

उनके अंदर आपके प्रति अपार प्यार होता है और वो बहुत ही अनुभवी होते है इसीलिए वो आपको वही वस्तु दिलाते है जो आपके हित के लिए होती है। जिससे आपको कोई फायदा हो ,आपको उस वस्तु से कोई सीख मिले। पर बच्चे इसको गलत दिशा में ले जाते है ,उनको पिता का प्यार नही अपितु उनका गुस्सा ही दिखाई देता है। 

जरा एक बार उनके दिलो में भी झाँक कर देखो की उस वक़्त उनके दिल पर क्या बीतती होगी  जब न चाहते हुए बच्चे को मनचाही वस्तु दिला तो देते है और बच्चा उसका गलत उपयोग करता है या उस वस्तु के कारण उसे हानि पहुँचती है। क्या आपने उनको समझा ? 

प्यारे बच्चो ! पिता जीवन की वो पूंजी (धन ) है ,जो एक बार यदि गलती से भी खो जाए तो फिर कुछ भी कर लो ,वापस नहीं मिलने वाली। वो एक ऐसा पेड़ होता है जो अपनी छाया में रखता है। 

कहने का मतलब है कि -जैसे पेड़ सर्दी ,गर्मी ,बारिश ,आंधी को खुद सहता है और लोगो को छाया ,फल आदि देता है ,ठीक ऐसे ही पिता होते है -वो खुद सारी ,परेशानियों ,विपत्तियों को अपने तक रखते है ,कोई मुसीबत आपके पास नहीं आने देते और आपको सुंदर ,सुखी जीवन देते है। 

पुरे दिन मेहनत करके आपकी आवश्यकताओं को पूरा करते है। वैसे भले ही चाहे वो आपके पास न आये -पर मुसीबत पड़ने पर सबसे पहले वो ही आते है। वो अपने दर्द को छुपाकर सभी आसूं पी जाते है ,आपको महसूस भी नहीं होने देते। और भी न जाने कितने उपकार है जिन्हे शब्दो में बताना नामुमकिन है। 

इसलिय प्यारे बच्चो अपने प्यारे पापा को पहचानो ,समझो ,उन्हें जानो। क्योकि आपकी हंसी से ही उनकी हंसी है ,आपके दुःख से ही वो दुखी है। वो आपसे कुछ नहीं चाहते सिवाये इसके की आप खुश रहे ,अपना ख्याल रखें।

और सबसे बड़ी बात -आप उनसे बात करें ,उनके पास बैठे ,उन्हें हंसाये ,उनके साथ खेले क्योकि जीवन में यदि पिता का कोई सच्चा दोस्त होता है ,तो वो होता उनका प्यारा बेटा ,जिसका प्यार पाने के लिए वो तरसते रहते है और बच्चे उन्हें छोड़कर न जाने कितने दोस्त बना लेते है। 

प्यारे बच्चो ! यदि आप सचमुच अपने प्यारे पापा  से प्यार करते है ,उनकी कदर करते है और जानते हुए भी दूर रहते है ,तो आज से आप अपना जीवन बदल ले ,उन्हें अपना दोस्त बना लें।अपने मन की सभी इच्छाओं को पूरा कर ले और उनकी इच्छाओं को भी पूरा करने की कोशिश करें ,

क्योकि न जाने कब समय थम जाए और आप उनसे कुछ भी न कह पाए। वो आपके प्यार को तरसते -तरसते जीवन से चले जाए और आप पछताते रहें की ,काश -मैंने पापा से बात की होती। आप रोते रह जाएंगे और हाथ में कुछ नहीं रह जाएगा। 

इसलिए आज से ही आप अपने प्यारे पापा  के एक बहुत अच्छे। प्यारे ,लाडले दोस्त बन जाए। माता -पिता अपनी मौत मरे तो ही अच्छा है मतलब (भगवान् की इच्छा से मरे तो ही ठीक है)  लेकिन उन्हें दुःख देकर ,तड़पाकर मारना ये गलत है। 

आपको हमारी बाते कैसी लगी ,कितनी समझ में आई ,बाते अच्छी लगी या बुरी लगी। आप अपनी राय ,अपने मन की बात हमे अवश्य बताये। कोई शंका हो ,कोई बात पूछनी हो तो आप निडर होकर पूछ सकते है। यदि हमारे पास आपके प्रश्नो का उत्तर होगा तो हम जवाब अवश्य देंगे। 

इसी के साथ हम आज की बात यही समाप्त करते है और भगवान् भोलेनाथ से प्रार्थना करते है की वो आपके - आपके परिवार के साथ घनिष्ट व प्यारे सम्बब्ध बनाये रखें। आपको और आपके परिवार को खुश रखे। इसी के साथ विदा लेते है। 

हर हर महादेव !प्रिय पाठकों 

धन्यवाद 

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