कैसे व्यक्तियों के साथ नहीं बैठना चाहिए ? ऐसे पाप जो मनुष्य को नहीं करने चाहिए | अनमोल बातें

अपने रहन -सहन तथा वेशभूषा आदि में सादगी लाये। कभी भी सिनेमा के अभिनेता तथा अभिनेत्रीयों के रहन -सहन व पहनावे पर न जाये। ये सब सिर्फ मनोरंजन के लिए है। इनसे जितना दूर रहेंगे ,उतना कुसंगति से बचेंगे। इनको अपनाने पर आपका मन कभी शांत नहीं रहेगा अपितु आपके अंदर बुरे संस्कारों का आगमन होगा.....  

कैसे व्यक्तियों के साथ नहीं बैठना चाहिए ? ऐसे पाप जो मनुष्य को नहीं करने चाहिए | अनमोल बातें 


कैसे व्यक्तियों के साथ नहीं बैठना चाहिए ? ऐसे पाप जो मनुष्य को नहीं करने चाहिए | अनमोल बातें
कैसे व्यक्तियों के साथ नहीं बैठना चाहिए ? ऐसे पाप जो मनुष्य को नहीं करने चाहिए | अनमोल बातें 


जय श्री हरि -प्रिय पाठकों 

हरि -हर की कृपा दृष्टि सदैव आप पर बनी रहें 

दोस्तों !आज हम जीवन की कुछ दिनचर्याओं के बारे में बातचीत करेंगे। जानेंगे हमे क्या करना चाहिए और क्या नहीं। 

कैसे व्यक्तियों के साथ नहीं बैठना चाहिए ?

सबसे पहले आप ये जानें की कैसे व्यक्तियों के साथ आपको नही उठना बैठना चाहिए ।

  • जो झूठ बोलता हो।
  • जो चोरी करता हो। 
  • जो उन्मत्त -पागल हो। 
  • शराब पिता हो व व्यभिचार करता हो। 
  • जो दुष्ट प्रभाव का हो। 
  • जो लालची हो। 
  • जो सभी के साथ झगड़ा करता हो और जिसके अनेक शत्रु हो। 
  • जो बनावटी बातें करता हो। 
  • जो क्रूर स्वभाव का हो। 
  • जिसकी समाज निंदा करता हो। 
  • वैश्याओ के साथ संपर्क रखता हो। 
  • आलसी और दरिद्री हो।
  • जिसे दूसरों को दुःख देने में आनंद आता हो। 
  • जो मांस आदि का सेवन करता हो। 
  • जो दूसरों की बुराई करता हो व दूसरों का हक छीन लेने की इच्छा रखता हो। 
  • जो भगवान् को न मानता हो। 
  • जो मर्यादाओं का पालन न करता हो। 
  • और केवल भाग्य को ही मानता हो। 

दोस्तों ! इन सभी प्रवर्तियों के लोगों के साथ आपको मित्रता नहीं करनी चाहिए और यदि वर्तमान में आपके सम्बन्ध ऐसे लोगों के साथ है तो आप उनसे जितना जल्दी हो सके दूरियाँ बना ले ,अन्यथा ऐसे लोग आपके लिए मुसीबत पैदा कर सकते है। 

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दोस्तों  ! ये बाते कोई नई बातें नहीं है , सभी मनुष्य जानते है की ऐसे व्यक्तियों के साथ नहीं रहना चाहिए फिर भी रहते है और दुःख पाते है। जबकि हमारे ऋषि मुनियो ने ये सब बातें पहले से ही शास्त्रों के जरिए बता रखी है ,पर अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा की लोग शास्त्रों को पढ़ना तो दूर उसे मानना भी नहीं चाहते। 

मुनियो ने तो यहाँ तक भी बता रखा है कि मनुष्यों को मनुष्य के रूप में कैसे पहचान की जाए अथार्त उन्होंने ऐसे बीस नियम -मर्यादाएं बताई है कि जिनको अपना कर मनुष्य अलग ही दिखाई देता है। वो मनुष्य पूर्ण माना जाता है और मोक्ष पाने का अधिकारी हो जाता है क्योकि वो चारो पुरुषार्थो को सिद्ध कर लेता है। 

ऐसे पुरुषों का संसार में बड़ा नाम होता है। जब तक पृथ्वी पर रहते है शान के साथ रहते है। और ऐसे मनुष्य का ये स्वाभविक गुण होता है की वो किसी भी परिस्थिति में दूसरो का बुरा नहीं सोचते , दुःख नहीं देते व जीवन भर निस्वार्थ भाव से दूसरो की सेवा करते है। 

ऋषि मुनियों द्वारा बताये गए बीस नियम -मर्यादाएं 

कैसे व्यक्तियों के साथ नहीं बैठना चाहिए ? ऐसे पाप जो मनुष्य को नहीं करने चाहिए | अनमोल बातें
कैसे व्यक्तियों के साथ नहीं बैठना चाहिए ? ऐसे पाप जो मनुष्य को नहीं करने चाहिए | अनमोल बातें 


दोस्तों ! मुनियो ने बीस मर्यादाओ को दो भागों में बांटा है। विधेयात्मक (अपनाने के लिए )और निषेधात्मक (त्यागने के लिए )

दस विधेयात्मक मर्यादाये --इन मर्यादाओ में तीन महागुण होते है। 

कायिक महागुण ,वाचीक महागुण और मानसिक महागुण 

कायिक महागुण ---दान करना , अहिंसा व्रत रखना , सेवा करना। 

वाचिक महागुण ---मधुरऔर प्यारे वचन बोलना , हितकारी बोलना , हमेशा सत्य बोलना ,शास्त्रों का पढ़ना -मानना और सत्संग भजन करना। 

मानसिक महागुण ---हमेशा संतुष्ट रहना , इन्द्रियों को जीत लेना ,शास्त्रों और सत्पुरुषो के वचनों में विश्वास रखना। 

ऊपर ,ये वो दस गुण है जो मनुष्य को अपने जीवन में अपनाने चाहिए। 

ऐसे पाप जो मनुष्य को नहीं करने चाहिए 

अब उन पापों के बारें में जानते है ,जो जीवन में नहीं करने चाहिए। 

दस निषेधात्मक मर्यादायें --- इन मर्यादाओं में तीन प्रकार के महापाप होते है। 

तीन कायिक महापाप ,चार वाचिक महापाप और तीन मानसिक महापाप 

कायिक महापाप ---अदत्तादान (किसी  की भी वस्तु को उठा लेना - चोरी करना , हिंसा करना, व्यभिचार करना। 

वाचिक महापाप ---क्रूर वचन कहना ,ठगना ,बकवास करना ,झूठ बोलना। 

मानसिक महापाप ---दुसरो का बुरा सोचना ,दूसरों का छीन लेने की इच्छा को मन में रखना, नास्तिकता। 

ये दस पाप मनुष्य को नहीं करने चाहिए।

अनमोल बातें 

जो लोग बड़ो का आदर करते है ,उन्हें हर रोज प्रणाम करते है ,उनमें  बुद्धि ,बल आयु और यश की वृद्धि होती रहती है। 

जो लोग बड़ो का आदर भी नहीं करते बल्कि उल्टा उनका तिरस्कार करते है ,उनके चारो गुणों (बल ,बुद्धि ,आयु और यश )का नाश हो जाता है। 

हमेशा खुश रहें चाहे कोई भी कष्ट या रोग हो ,हानि हो या लाभ ,अच्छा या बुरा जैसा भी अवसर हो अपने दिमाग और मन के संतुलन को कभी नहीं खोना चाहिए ,क्योकि जो कष्ट ,दुःख जीवन में होने वाला है ,वह तो होकर ही रहेगा उसे कोई रोक नहीं सकता ,लेकिन यदि मन दुःखी हो जाये ,तो मन की व्यथा बढ़ जाती है। अगर आप मन को प्रसन्न ,खुश रखेंगे तो बड़े से बड़ा दुःख व कष्ट भी आपको छोटा लगेगा।

यदि किसी व्यक्ति  से आपका कोई नुकसान हो जाये  या कोई अपराध हो जाए ,तो आप उसे क्षमा कर दे, उस पर क्रोध न करें। गलती करना तो आसान है ,लेकिन क्षमा करना बड़ा भारी। इसलिए क्षमा करने वाले का औहधा सबसे बड़ा होता है।

जीवन में हमेशा संतुष्ट रहें। चाहे आप अमीर हैं या फिर ग़रीब ,आपके पास जो है ,जैसा है उसी से प्रसन्न रहें। दूसरों की वस्तुओं को देखकर कभी मन में लालच न लाये। 

अपने रहन -सहन तथा वेशभूषा आदि में सादगी लाये। कभी भी सिनेमा के अभिनेता तथा अभिनेत्रीयों के रहन -सहन व पहनावे पर न जाये। ये सब सिर्फ मनोरंजन के लिए है। इनसे जितना दूर रहेंगे ,उतना कुसंगति से बचेंगे। इनको अपनाने पर आपका मन कभी शांत नहीं रहेगा अपितु आपके अंदर बुरे संस्कारों का आगमन होगा।    

अपने माता -पिता का भरण -पोषण उनकी सभी अवस्थाओं में करें। वृद्धावस्था में तो बहुत ही ख़ास ख्याल रखें। 

जब कभी आपके माता पिता या बुजुर्ग आपको डांटे ,तो उस समय आप शांत रहें। उनसे किसी भी प्रकार से या किसी भी वस्तु की मांग का हठ न करे। आपकी मांग उचित होने पर भी यदि वे उसको पूरा नहीं कर पाते ,तो हो सकता है उसका कोई कारण हो। उनकी आर्थिक स्थिति ठीक न हो ,या और कोई भी कारण हो। आप धैर्य रखे ,उन पर गुस्सा न करे ,गुस्सा करने की बज़ाय उन्हें प्यार करे।ऐसे समय में आपका प्यार, आपका साथ उन्हें मजबूत  बनाएगा और आपकी इज्जत उनके मन और ज्यादा बड़ जायेगी। 

कभी भी घमंड न करें। अपने मुँह से अपनी प्रशंसा करना ,यह तुच्छता का प्रतीक है अथार्त ऐसे व्यक्ति का कोई महत्व नहीं होता। 

जब कभी आपकी कोई वस्तु आपके हाँथ से चली जाये या नाश हो जाए तो आप दुःख या क्रोध न करें। क्योकि वो वस्तु यदि आपकी होती तो आपके पास रहती।आपकी नहीं थी इसलिए आपसे दूर हो गई , नाश  हो गई। बुद्धिमान व्यक्ति कभी भी इस पर विचार नहीं करते ,वो हमेशा अपने मन को शांत रखते है। 

नियमित रूप से भगवान् का भजन करें। मन के मनोबल को बढ़ाने का इसके अलावा कोई दूसरा साधन नहीं है।  

विवेक किसे कहते है ?व्यक्ति अपने विवेक को कैसे बढ़ा सकता है ?

सुबह सूरज के उठने से पहले (ब्रह्ममहूर्त ) में ही उठ जाये  और  बिस्तर पर बैठे हुए ही भगवान् का स्मरण करें। 

मुश्किल तो है ,पर ठन्डे पानी से ही नहाने की आदत डालें। इससे शरीर में स्फूर्ति रहती है ,आँखों की रौशनी तेज होती है और पाचनशक्ति बढ़ती है। नहाने के बाद भगवान् की पूजा करे और फिर उसके बाद अपने रोज़मर्रा के कार्य करें। 

स्वस्थ रहने के लिए शरीर की बाहरी और आंतरिक सफाई रखनी चाहिए तथा हररोज व्यायाम करना चाहिए। 

सोते समय हमेशा दक्षिण अथवा पूर्व की ओर सिर करके ही सोना चाहिए। उत्तर और  पश्चिम की ओर सिर करके सोने से आयु घटती है। 

दक्षिण दिशा की ओर भोजन करने से भी आयु घटती है इसलिए इस दिशा में भोजन नहीं करना चाहिए। 

भजन -पूजा और भोजन आदि जो भी उत्तम कार्य है उन्हें हमेशा पूर्व और उत्तर की ओर मुख करके ही करने चाहिए। 

पूजा करते समय शरीर क्यो हिलता है 

नाखून बढ़े व मैले नहीं होने चाहिए। अपने बर्तन ,वस्त्र ,आवश्यक वस्तु तथा अपने रहने -सोने की जगह को भी हमेशा साफ़ रखना चाहिए।

पेट साफ़ रहे ,कब्ज न हो इसका हमेशा ध्यान रखे। इसलिए उन्ही चीज़ों का सेवन करें ,जो आसानी से पच जाये। 

यदि संभव हो तो ,खुले वातावरण में हररोज़ थोड़ा सा जरूर टहले।पैरो को जितना हो सके खुला ही रखें। और हरी -हरी  घास पर नंगे पैर चले। 

टी,वी ,सिनेमा आदि को कम देखे। बहुत ज्यादा कम व अधिक रौशनी में न पढ़े। पुस्तक को ज्यादा झुककर व ज्यादा समीप रखकर भी न पढ़े। इससे आँखों की रौशनी कमज़ोर हो सकती है। 

किसी के उतारे हुए जूते -कपड़े आदि वस्तुये भी नहीं पहननी चाहिए। इससे कई प्रकार के रोग होने की संभावना होती है। 

सोने से पहले पैरों को अच्छी तरह से धोकर -पोंछकर ही सोना चाहिए। इससे नींद अच्छी आती है व बुरे सपने भी नहीं आते। 

गीले पैरों से कभी नहीं सोना चाहिए। इस प्रकार से सोना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। 

इसी के साथ आज अपनी बात को यहीं समाप्त करते है और प्रभु से प्रार्थना करते है की आपके जीवन में अच्छे, सदाचारी,सत्पुरुषों जैसे महान व्यक्तियों का आगमन हो।जिससे की आपका जीवन मंगलमय बनें। 

धन्यवाद 

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