कब और कैसे होगा कोरोना का अंत ? जाने रामचरितमानस के अनुसार

मोह सकल ब्याधिन कर मूला। तिन्ह ते पुनि उपहहि  बहू सूला।।काम वात कफ लोभ अपारा। क्रोध पित नित छाती जारा।।

अथार्त सब रोगों का मूल मोह यानी अज्ञान है और इन व्याधियों से बहुत से शूल अर्थात रोग उत्पन्न होते हैं। इससे काम बढ़ता है। जिससे वात रोग होता है। लोभ अपार बढ़ा हुआ कफ है और क्रोध से पित्त बढ़कर छाती को जलाता है। 


फिर आगे की कथा बताते हुए कहा -हे पक्षीराज !यदि ये तीनो भाई वात ,पित्त और कफ ,आपसी प्रीत कर ले तो इससे  अत्यंत दुखदायक संनितात रोग उत्पन्न होता है। कठिनता से प्राप्त होने वाला जो विषयों की मनोरथ है वे ही सब शूल कष्टदायक रोग है। 


उनके नाम को कौन जानता है। अर्थात उनके नाम अपार हैं,वे कई तरह से व्याप्त होते है। काक भुसुंडिजी  द्वारा वर्णित इस रोग की तुलना आप वर्तमान में सर्वत्र व्याप्त महामारी कोरोना वायरस से  कर पा रहे है क्योकि ये समस्त लक्षण उसी के हैं। 


जय श्री गणेशाय नमः 

कब और कैसे होगा कोरोना का अंत  ? जाने रामचरितमानस के अनुसार 

कब और कैसे होगा कोरोना का अंत  ? जाने रामचरितमानस के अनुसार
कब और कैसे होगा कोरोना का अंत  ? जाने रामचरितमानस के अनुसार 


प्रिय पाठकों ! रामचरितमानस हिंदू धर्म का एक ऐसा ग्रंथ है। जो भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित है। परंतु गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस में बहुत सी ऐसी बातों का वर्णन भी किया गया है। जो हमारे आज की वर्तमान स्थिति को दर्शाता है। 


चारों तरफ फैली कोरोना वायरस जैसी महामारी के काल में यदि हमारे वेदों और पुराणों में कुछ ऐसे समाधान मिल जाए ,जो हमारी वर्तमान स्थिति को बेहतर कर सकें ,तो इससे ज्यादा सौभाग्य और क्या होगा। मित्रों आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे -रामचरितमानस के उत्तरकांड में वर्णित कोरोना वायरस समाधान की कथा। 


हर -हर महादेव मित्रों ! 

स्वागत है आपका एक बार फिर विश्वज्ञान में। 


रामचरितमानस  के उत्तरकांड में वर्णन किया गया है कि जब पक्षीराज गरुड़ ,काकभुसुंडि जी के पास गए ,तो उन्होंने उनसे एक प्रश्न पूछा की -हे काकभुसुंडि जी !आप तो सर्वज्ञ है कृपया कर मेरे एक प्रश्न का उत्तर दीजिए। इस पर काकभुसुंडि जी बोले हे तात !पूछिए आप क्या पूछना चाहते है ?वो कौन सा प्रश्न है जो आपको परेशान कर रहा है। 


कब और कैसे होगा कोरोना का अंत  ? जाने रामचरितमानस के अनुसार
कब और कैसे होगा कोरोना का अंत  ? जाने रामचरितमानस के अनुसार 


पक्षीराज गरूड़जी  बोले -हे काग भुसुंडिजी  !मैं आपसे मानस रोग के बारे में जानना चाहता हूं। इस पर भुसुंडि जी ने बड़ी विनम्रता साथ से उत्तर दिया वे बोले हे तात !चलिए मैं आपको मानस रोग के बारे में संक्षेप में बताता हूं और कथा आरंभ करते हुए पहले तो उन्होंने मनुष्य के तन के बारे में बताया। हे पक्षी राज ! मनुष्य के तन से सर्वोच्च कोई तन नहीं है। तत्पश्चात संत की व्याख्या करते हुए बोले -संत अपना पूरा जीवन दूसरे के कल्याण में लगा देते हैं और कष्ट सहते हैं।


फिर उन्होंने पक्षीराज गरुड़ को मनुष्य के जीवन का एक सत्य बताया। उन्होंने बताया हे पक्षीराज ! 


जीवन में दरिद्रता के समान कोई दुख नहीं और 

संतों के मिलन के समान जगत में कोई सुख नहीं। 


उसके बाद काकभुसुंडिजी ने कथा को आगे बढ़ाते हुए बताया -जो अभिमानी जीव देवताओं और वेदों की निंदा करते हैं उनका नर्क में जाना निश्चित है। संतों की निंदा में लगे हुए लोग उल्लू की भांति है ,जिनके लिए मोह रूपी रात्रि प्रिय होती है और ज्ञान रूपी सूर्य अस्त हो चुका होता है। काक भुशुण्डी जी कथा को आगे बढ़ाते हुए बताते हैं - कि कलयुग में मनुष्य पाप आचरण करने वाला हो जाएगा।  


कब और कैसे होगा कोरोना का अंत  ? जाने रामचरितमानस के अनुसार
कब और कैसे होगा कोरोना का अंत  ? जाने रामचरितमानस के अनुसार 


सब के निंदा जे जड़ करहि। ते चमगादुर होइ अवतरहीं।। 

सुनहु तात अब मानस रोगा। जिन ते दुःख पावहिं सब लोगा ।। 


अर्थात काकभुसुंडि जी कहते हैं कि -हे तात !जो मूर्ख मनुष्य सभी की निंदा करते हैं। वह अपने जन्म में चमगादड़ के रूप में जन्म लेते हैं। 


इसके बाद काकभुशुण्डिजी से गरूड़ जी से बोले -हे पक्षीराज !अब मनुष्यों के रोगों के बारे में सुनिए। जिनसे सभी लोग दुख पाएंगे। 


कलयुग के दस महान पाप


मोह सकल ब्याधिन कर मूला। तिन्ह ते पुनि उपहहि  बहू सूला।।

काम वात कफ लोभ अपारा।क्रोध पित नित छाती जारा।।



कब और कैसे होगा कोरोना का अंत  ? जाने रामचरितमानस के अनुसार
कब और कैसे होगा कोरोना का अंत  ? जाने रामचरितमानस के अनुसार 


अथार्त सब रोगों का मूल मोह यानी अज्ञान है और इन व्याधियों से बहुत से शूल अर्थात रोग उत्पन्न होते हैं। इससे काम बढ़ता है। जिससे वात रोग होता है। लोभ अपार बढ़ा हुआ कफ है और क्रोध से पित्त बढ़कर छाती को जलाता है। 


फिर आगे की कथा बताते हुए कहा -हे पक्षीराज !यदि ये तीनो भाई वात ,पित्त और कफ ,आपसी प्रीत कर ले तो इससे  अत्यंत दुखदायक संनितात रोग उत्पन्न होता है। कठिनता से प्राप्त होने वाला जो विषयों की मनोरथ है वे ही सब शूल कष्टदायक रोग है। 


उनके नाम को कौन जानता है। अर्थात उनके नाम अपार हैं,वे कई तरह से व्याप्त होते है। काक भुसुंडिजी  द्वारा वर्णित इस रोग की तुलना आप वर्तमान में सर्वत्र व्याप्त महामारी कोरोना वायरस से  कर पा रहे है क्योकि ये समस्त लक्षण उसी के हैं। 



कब और कैसे होगा कोरोना का अंत  ? जाने रामचरितमानस के अनुसार
कब और कैसे होगा कोरोना का अंत  ? जाने रामचरितमानस के अनुसार 

रोग के लक्षण 


काकभुशुण्डि जी पक्षीराज जी से रोगों की व्याख्या करते हुए बताते है की -हे गरूड़ !---


ममता दाद है ,ईर्ष्या खुजली है 

हर्ष -विषाद गले के रोगों की अधिकता है।  

गलगंड ,कंठमालाया  घेंगा  आदि  रोग है। 

जो पराए सुख को देखकर जलन होती है वही क्षयी दुष्टता  और मन की कुटिलता है 

फिर काग भुसुंडि जी ने गरुड़ जी से कहा हे पक्षीराज !अहंकार अत्यंत दुख देने वाला डमरु अर्थात गांठ का रोग है जिसे गठिया भी कहते हैं। 

दंभ ,कपट  मद और मान नहरुआ यानी नसों का रोग है।

तृष्णा  बड़ी भारी उधर ,वृद्धि जलोदर रोग है। 

पुत्र ,धन और मान तीन प्रकार की प्रबल इच्छा है।

मत्सर और विवेक दो प्रकार के ज्वर हैं।

 इसी प्रकार अनेकों ऐसे रोग हैं जिन्हें मैं आपसे कहाँ तक बताऊँ। 



कब और कैसे होगा कोरोना का अंत  ? जाने रामचरितमानस के अनुसार
कब और कैसे होगा कोरोना का अंत  ? जाने रामचरितमानस के अनुसार 


एक व्याधि बस नर मरहिं ए असाधि  बहूव्याधि। 

पीडित संतत जीव कहूं सो किमि लहैं समाधि।।


अर्थात हे गरुड़जी ! एक ही रोग  के वश होकर मनुष्य मर जाते हैं। फिर ये तो बहुत से असाध्य रोग है। जो जीव को निरंतर कष्ट देते रहते हैं। ऐसी दशा में वह समाधि अर्थात शांति को कैसे प्राप्त करें। हे पक्षीराज !नियम ,धर्म और आचार यानी उत्तम आचरण का ज्ञान ,यज्ञ ,जप , दान तथा और भी करोड़ों औषधियां है। परंतु हे गरुड़ जी!  उन औषधियों से कोई रोग नहीं जाते।


काकभुसुंडि जी पक्षीराज गरुड़ जी को समझाते हुए बोले -हे पक्षीराज !इस प्रकार संसार में मौजूद प्रत्येक जीव रोगी है जो शोक ,हर्ष भय और प्रीति वियोग के दुख में और भी दुखी हो रहे हैं। अभी तो मैने केवल थोड़े से ही मानुष रोग कहे  हैं। यह रोग है तो सभी को ,परंतु जो इन्हे जान पाए ,वह कोई विरला ही है। 


अब यहां एक और प्रश्न गरूड़ जी के मन में उठता है और वे फिर पूछते है -कि काक भुसुंडि जी !आपने बहुत से मानस रोगों के बारे में बता तो दिया। लेकिन इन सभी रोगों का क्या उपाय है ?और किन औषधियों से इनका उपचार किया जा सकता है ?


रोग का उपाय 


तब काग भुसुंडि जी ने गरुड़ जी को उत्तर दिया। संसार में सभी रोगों से छूटने और बचने का एकमात्र उपाय है राम नाम का भजन । 



कब और कैसे होगा कोरोना का अंत  ? जाने रामचरितमानस के अनुसार
कब और कैसे होगा कोरोना का अंत  ? जाने रामचरितमानस के अनुसार 


राम कृपा नासही सब रोगा।  जो  एहि भांति  बने संजोगा। 

सद्गुरु बैद वचन विश्वासा। संजम यह न विषय के आशा।  


अर्थात हे पक्षीराज !जब भगवान राम की कृपा से ऐसा संयोग बनेगा। तब  ये  सब  रोग स्वयं नष्ट हो जाएंगे।  

राम नाम के संकीर्तन का कलयुग में सबसे अधिक महत्व है। और इसी के साथ एक और उपाय बताया कि वह ये कि -सद्गुरु रूपी वैद के वचन में विश्वास रखें। मित्रों राम नाम का जप एकमात्र ऐसी औषधि है जिसके द्वारा प्रत्येक रोग का उपचार किया जा सकता है। 

बिना विषयों की कामना किए  संयम और नियम का पालन कर आप कोरोना जैसी महामारी से भी मुक्ति पा सकते हैं ,रामचरित मानस  दोहों  कि भले ही लोगों ने अपने हिसाब से व्याख्या की हो, लेकिन वर्तमान परिस्थिति में यह सटीक बैठते हैं। 

उत्तर कांड के आरंभ में बताया गया है कि काकभुशुण्डि जी  ,राम जी की माया से अनेक युगों में  भ्रमण करके सभी बीते और आने वाले युगों को देख लेते हैं। 


इसलिए कलयुग वर्णन में वह चमगादड़ और फिर ऐसे ही रोगों का जिक्र करते हैं ,जो कोरोना के लक्षणों में मिलते है। इसके बाद संयम पालन यानी लॉक डाउन की स्थिति का वर्णन करते हैं। इसलिए रामचरितमानस पर यकीन करते हुए इस संकट की घड़ी में संयम और नियम का पालन कर राम भजन करते हुए आत्म उद्धार का चिंतन करना चाहिए। 


कलयुग के कड़वे सच/क्या? है कलयुग की महिमा/ कलयुग के बुरे प्रभावों से बचने के उपाय 


तो प्रिय पाठकों !आपको हमारी आज की ये पोस्ट कैसी लगी नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।  


इसी के साथ अपनी वाणी को विराम देते हुए  -प्रभु श्री राम जी से प्रार्थना करते है की -वे समस्त प्राणियों को इस महामारी से बचाकर रखे व आप सभी के जीवन को मंगलमय बनाये। 


धन्यवाद 


हर -हर महादेव 

जय श्री राम 

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