हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?

ऐसा सोचना कि भगवान लोगों के अच्छे कर्मों को नजरअंदाज कर रहे हैं ,यह बिल्कुल भी सत्य नहीं है..

हर -हर महादेव !प्रिय पाठकों - स्वागत है आपका फिर एक बार  विश्वज्ञान पर। 


हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?


मित्रों !आपने भी देखा या फिर महसूस किया होगा कि -आपके आसपास धर्म कर्म और पूजा पाठ में लीन रहने वाले लोगों की जिंदगी खुशहाल नहीं होती , जितनी अधर्मी लोगों की होती है।  यह सब देखकर आपके मन में भी कभी न कभी यह सवाल जरूर उठा होगा कि आखिर अच्छे लोगों के साथ बुरा क्यों होता है ? पर जो आज के अधिकतर जनमानस इस रहस्य के बारे में नहीं जानते इसका सबसे बड़ा कारण है कि वे धर्म ग्रंथों को सही से पढ़ते नहीं या फिर उसमें लिखी बातों पर विश्वास नहीं करते। 



हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?
हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?


आज की इस पोस्ट  में हम आपको बताएंगे कि आखिर अच्छे लोगों के साथ हमेशा बुरा ही क्यों होता है। इसका वर्णन भागवत गीता में भगवान कृष्ण ने विस्तार से किया है -तो चलिए बिना किसी देरी के आज की कथा शुरू करते हैं। धर्म ग्रंथों में भागवत गीता एक ऐसा धर्म ग्रंथ है। जिसमें मनुष्य के मन में उठने वाले हर प्रश्न का हल विस्तार से वर्णन किया गया है। 


हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?
हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?

भागवत गीता में वर्णित कथा के अनुसार अर्जुन के मन में जब भी कोई दुविधा (संकट की स्तिथि  )उत्पन्न होती ,तो वो उसके समाधान के लिए श्री श्रीकृष्ण जी के पास पहुंच जाते थे। 


एक दिन की बात है अर्जुन भगवान श्री कृष्ण के पास आए और उनसे बोले -हे वासुदेव मुझे दुविधा ने  घेर रखा है और उसका समाधान आप ही कर  सकते हैं। तब श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा हे धनंजय !अपने मन  बात विस्तार से बताओ। 


तब मैं तुम्हें उसका हल बताऊंगा तब अर्जुन बोले नारायण कृपया कर मुझे यह बताइए कि अच्छे लोगों के साथ हमेशा बुरा ही क्यों होता है जबकि बुरे लोग हमेशा खुशहाल दिखते हैं। 


अर्जुन के मुंह से ऐसी बातें सुनकर श्री कृष्ण मुस्कुराते हुए बोले -हे पार्थ !मनुष्य जैसा देखता है या फिर महसूस करता है वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता बल्कि अज्ञानता वश में सच्चाई को समझ नहीं पाता। श्री कृष्ण की बातें सुनकर अर्जुन हैरान हो गए और बोले हे नारायण आप क्या कहना चाहते हैं। 


समझ में नहीं आया तब श्रीकृष्ण जी बोले, मैं तुम्हें एक कथा सुनाता हूं। जिससे तुम समझ जाओगे कि हर एक प्राणी को उसके कर्म के हिसाब ही फल मिलता है अर्थात जो बुरा कर्म करता है ,उसे बुरा फल मिलता है और जो अच्छा काम करता है ,उसे अच्छा फल मिलता है क्योंकि अच्छे कर्म और बुरे कर्म तो मनुष्य पर निर्भर करते  है। 



हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?
हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?


प्रकृति हर किसी को अपनी राह चुनने का मौका देती है। अब इसका फैसला मनुष्य को खुद करना कि वह किस राह पर चलना चाहता है। यह तो व्यक्ति विशेष की इच्छा पर निर्भर करता है। फिर आगे की कथा सुनाते हुए श्रीकृष्ण बोले बहुत समय पहले की बात है -कि एक नगर में दो पुरुष रहा करते थे। उनमें से एक व्यापारी था।  जिसके लिए अपने जीवन में धर्म और नीति की बहुत महत्वता थी।


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वो  पूजा-पाठ और भगवान की भक्ति में बहुत विश्वास करता था। चाहे कुछ भी हो जाए वो मंदिर जाना नहीं भूलता था। न ही दान, धर्म के कार्य में किसी प्रकार की कमी रखता था। कुछ भी हो जाए पर वह हर रोज़ भगवान की पूजा अर्चना किया करता था। 



हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?
हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?


वहीं दूसरी ओर उसी नगर का दूसरा पुरुष पहले वाले से बिलकुल विपरीत था। वो मंदिर तो जाया करता था ,परंतु पूजा पाठ के उद्देश्य से नहीं बल्कि मंदिर के बाहर से चप्पल और धन चुराने  के लिए। उसे दान ,धर्म ,नीति किसी से कुछ लेना-देना नहीं था। बस इतना ही -कि वो मंदिर जाकर चोरी किया करता था। 


इसी तरह समय बीतता गया और 1 दिन उस नगर में बहुत तेज़  की बारिश हो रही थी। जिसकी वजह से उस दिन मंदिर में पंडित के अलावा कोई नहीं था। जब दूसरे वाले व्यक्ति को यह पता चली तो उसके मन में ख्याल आया कि -अभी सही मौका है ,मंदिर के धन को चुराने का। 



हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?
हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?



बिना देरी किय वह बारिश में ही मंदिर पहुंच गया। मंदिर पहुंचकर उसने पंडित से नज़र बचाते हुए मंदिर में मौजूद सारे जेवरात चुरा लिए और बड़ी ही खुशी से वहां से निकल गया। उसी समय धर्म में विश्वास करने वाला पहला व्यापारी भी मंदिर पहुंचा और भगवान के दर्शन किए। परंतु दुर्भाग्य से मंदिर का पुजारी उस भले व्यापारी को ही चोर समझ बैठा और जोर -जोर से शोर मचाने लगा। 


सुनकर मंदिर में लोगों की भीड़ जमा हो गई। और  लोग उस भले वाले व्यापारी को ही चोर समझ बैठे और उसे अपमानित करने लगे। यह देखकर वह भला व्यक्ति हैरान हो गया और उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है। 



हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?
हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?


वो किसी तरह लोगों से बचता हुआ उस मंदिर से बाहर निकल गया। लेकिन दुर्भाग्य ने उसका साथ वहां भी नहीं छोड़ा। मंदिर से बाहर निकलते ही वह एक गाड़ी से टकरा गया और घायल हो गया। फिर वह व्यापारी लंगड़ाते हुए घर को जाने लगा तभी रास्ते में उसकी मुलाकात उस व्यक्ति से हुई जिसने मंदिर का धन चोरी किया था। 


वह झूमता नाचता हुआ जोर जोर से बोलते हुए जा रहा था कि- आज तो मेरी किस्मत चमक गई। एक साथ  इतना सारा धन मिल गया। जब भले व्यापारी ने उस दुष्ट आदमी की बातें सुनी ,तो उसे बहुत हैरानी हुई और क्रोधित हो उसने अपने घर जाते ही भगवान की सारी फोटो निकाल कर फेंक दी। 



हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?
हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?


वह भगवान से नाराज होते हुए अपना जीवन व्यतीत करने लगा। कुछ समय पश्चात दोनों ही व्यक्तियों की मृत्यु हो गई और दोनों यमराज की सभा में पहुंचे। उस व्यापारी ने अपने बगल में उस दुष्ट व्यक्ति को खड़ा देखा तो ,उसने क्रोधित होकर यमराज से पूछ ही लिया कि- मैं तो हमेशा अच्छे कर्म करता था। 


भगवान ,पूजा पाठ ,दान ,पुण्य पर विश्वास रखता  था।  जिसके बदले मुझे जीवन भर सिर्फ अपमान और दर्द ही मिला  और इस अधर्म करने वाले पापी व्यक्ति को नोटों से भरी पोटली। आखिर क्यों ?



हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?
हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?


इस पर यमराज के उस व्यापारी को बताया कि- पुत्र तुम गलत सोच रहे हो। जिस दिन तुम्हें गाड़ी से टक्कर लगी थी। वास्तव में उस दिन तुम्हारे जीवन का आखिरी दिन था। परंतु तुम्हारे अच्छे कर्मों के कारण ही तुम्हारी मृत्यु एक छोटी सी चोट में परिवर्तित हो गई और इस दुष्ट व्यक्ति के बारे में जानना चाहते हो तो पुत्र दरअसल इस के भाग्य में राजयोग था। 


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जो कि इसके दुष्कर्म और अधर्म के कारण एक छोटे से धन की पोटली में परिवर्तित हो गया। श्री कृष्ण अर्जुन को यह कथा सुनाने के बाद कहते हैं पार्थ क्या तुम्हें अब तुम्हारे प्रश्न का उत्तर मिल गया। 


ऐसा सोचना कि भगवान लोगों के अच्छे कर्मों को नजरअंदाज कर रहे हैं ,यह बिल्कुल भी सत्य नहीं है। भगवान हमें क्या और किस रूप में दे रहा है , यह मनुष्य की समझ में नहीं आता। लेकिन अगर आप अच्छे कर्म करते हैं तो भगवान की कृपा सदैव आप पर बनी रहती है। 


तो मित्रो इस कहानी से ये पता लगता है कि हम मनुष्यों को  कभी भी अपने कर्मों को बदलना नहीं चाहिए क्योंकि हर  कर्मों का फल मनुष्य को  इसी जीवन में मिलता है बस उसका पता नहीं चलता। इसलिए मित्रों मनुष्यों को चाहिए कि वह हमेशा अपने जीवन में अच्छे कर्म करते रहे।  



हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?
हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?


क्योंकि श्री कृष्ण ने गीता में भी बताया है कि -किसी के द्वारा किया गया कर्म बेकार नहीं जाता। भले ही कर्म अच्छा हो या फिर बुरा। तो प्रिय पाठकों आशा करते है  कि आप सभी को आज  की  कथा अच्छी लगी होगी।  


फिलहाल आज की ये  कथा यहीं समाप्त होती है। अगर आपको हमारी कथा पसंद आई हो तो  हमे comment कर बताएं। आपके मन में किसी प्रकार का कोई संदेह हो या कोई प्रश्न पूछना चाहते हो ,तो आप हमसे पूछ सकते है। हमारे पास यदि आपके प्रश्न का उत्तर होगा ,तो हम जवाब अवश्य  देंगे। 


धन्यवाद 


हर -हर महादेव 

जय श्री राम 

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