कलयुग के कड़वे सच/क्या? है कलयुग की महिमा/ कलयुग के बुरे प्रभावों से बचने के उपाय

 श्री गणेशाय नमः 

हर हर महादेव 

प्रिय पाठको !  भोलेनाथ की कृपा दृष्टि आप सभी बनी रहें।  


कलयुग के कड़वे सच/क्या? है कलयुग की महिमा/ कलयुग के बुरे प्रभावों से बचने के उपाय 


दोस्तों ! कलियुग की महिमा अत्यंत ही दुखदाई है। ये कलिकाल सब पापों ,अवगुणों से भरा पड़ा है ,जिसकी कोई थाह नहीं। इतना पाप ,अधर्म होने के बावजूद भी कलयुग में एक गुण बहुत बड़ा है कि ,जिससे बिना परिश्रम के ही सारे पापों ,बंधनों से मनुष्य भवपार कर जाते है । 



वो ये कि ---सतयुग ,त्रेता और द्वापर में जो गति पूजा ,यज्ञ और योग से प्राप्त होती है ,उस गति को कलियुग में लोग केवल भगवान् के नाम से पा जाते है अथार्त पूजा -पाठ की जरूरत नहीं सिर्फ भगवान् का नाम लेना ही पर्याप्त है।



कलयुग के कड़वे सच/क्या? है कलयुग की महिमा/क्या ?है कलयुग का प्रभाव/कैसे? है कलयुग के नर-नारी(जानेंगे और भी बहुत कुछ कलयुग के बारे मे)


इस पोस्ट मे आप पायेंगे-

कलयुग के लोग

कलयुग की प्रभाव

कलयुग के सबसे बड़े ज्ञानी

कलयुग के पुरुष

कलयुग की नारी 

कलयुग का धर्म

कलयुग के गुण 

कलयुग का असर

कलयुग के बुरे प्रभावों से बचने के उपाय 


प्रिय पाठको !  ये कलियुग काल सब कालो से हट कर है सतयुग ,द्वापरयुग ,त्रेतायुग इन सभी युगो से विपरीत ,सबसे अलग ,सबसे अनोखा ,सबसे गलत। कुछ के लिए ये काल बहुत अच्छा है और कुछ के लिए बहुत बेकार। आज हम आपको इस कलयुग की कुछ बाते बताएँगे ,जो की शास्त्रों में पहले से ही लिख दी गई है और जो आज सत्य होती दिख रही है। 


कलयुग के लोग


कलयुग का ये काल पूरी तरह से पापो में लिप्त है। इस काल के लोग स्वार्थी ,अत्याचारी , अपने आप से मतलब रखने वाले और दूसरे को दुःखी देख कर खुश होने वाले है,ढोंगी -पाखंडी अधिक मात्रा में है। कलयुग के पापों ने सब धर्मो को ग्रस (खा )लिया है। सभी सदग्रंथ लुप्त (गायब ) हो गए है। पाखंडियो नेअपनी बुद्धि से तरह -तरह की कल्पना करके अनेक ग्रंथो को लिख डाला। जिससे की शास्त्रों की सत्य बाते किसी को न पता चले। लोग अच्छे -बुरे का ज्ञान न प्राप्त कर सकें। लोगों को भटकाना पाखंडियो का असली मकसद है। 



सभी लोग मोह के वश हुए पड़े है , शुभकर्मों को लालच ने हड़प रखा है। धर्म ,आश्रम ,मंदिर इनसे किसी को कोई मतलब नहीं। अधर्मी लोग वेदों का विरोध करने में लगे रहते है। बृहष्ट ब्राह्मण वेदों को बेचने में लगे है। वेदों की कोई अहमियत नहीं। जिसको जो अच्छा लग जाए ,वही ठीक है। 



कलयुग की प्रभाव


कलियुग की महिमा के प्रभाव के कारण ही -जो डींगे मारता है ,वही पंडित है। जो बेकार के आडम्बर रचता है और दम्भ में रत है ,उसी को सब कोई संत कहते है। जो किसी भी प्रकार से दूसरों का धन लूट लें ,वही आज के समय में बुद्धिमान है। जो दम्भ करता है वही बड़ा आचारी है। जो झूठ बोलता है और दिल्लगी करता है ,इस कलियुग में वही गुणवान कहलाता है। 



कलयुग के सबसे बड़े ज्ञानी


जो दुराचारी ,आचारहीन है और वेदमार्ग को छोड़े हुए है ,कलियुग में वही सबसे बड़े ज्ञानी और वैराग्यवान है। जिनके बड़े -बड़े नाख़ून और लम्बी -लम्बी जटाएँ है ,वही कलयुग में प्रसिद्ध तपस्वी है। और जो अमंगल वेष ,अमंगल भूषण धारण करते है तथा हर भक्ष्य -अभक्ष्य (खाने और न खाने योग्य ) सब कुछ खा लेते है। वे ही मनुष्य इस कलियुग में योगी ,सिद्ध और पुज्यवान है। 



कलयुग के कड़वे सच/क्या? है कलयुग की महिमा/क्या ?है कलयुग का प्रभाव/कैसे? है कलयुग के नर-नारी(जानेंगे और भी बहुत कुछ कलयुग के बारे मे)


जिसका आचरण सदा दूसरों का अहित करने वाला है। उन्ही का बड़ा नाम है और वे ही सम्मान के योग्य है। जो मन ,वचन और कर्म से सदा झूठ बोलने वाले है ,वे ही कलियुग में सबसे बड़े वक्ता कहलाते है। 


कलयुग के पुरुष


कलियुग में मनुष्य (पुरुष ) स्त्रियों के विशेष वश में है , जो खेल के बंदरों की तरह (उनके नचाये ) नाचते जाते है। ब्रहामणों को शूद्र लोग ज्ञानोपदेश देते है (ज्ञान की बातें सिखाते है )  और गले में जनेऊ डालकर कुत्सित दान लेते है। 



सभी पुरुष कामी ,लोभ में तत्पर व क्रोधी होते है तथा देवता ,ब्राह्मण ,वेद और संतों के विरोधी होते है। अभागिनी स्त्रियाँ गुणों के धाम सुंदर पति को छोड़ कर पर -पुरुष का सेवन करती है।

 


कलयुग की नारी 


कलियुग की महिमा के इन दुष्प्रभावों ने सभी प्राणियों को ग्रस रखा है । क्या -क्या बताये ? सुहागिनी स्त्रियाँ तो आभूषणों से रहित होती है और विधवाओं के नित्य नये श्रृंगार होते है। गुरु और शिष्यों में बिलकुल अंधे व बहरे का हिसाब है अथार्त एक शिष्य -जो गुरु की बात यानी उपदेशो को सुनता ही नहीं और गुरु -उसको देखता ही नहीं अथार्त उसे कुछ ज्ञानदृष्टि प्राप्त नहीं।



कलयुग का धर्म


माता -पिता बच्चों को वही धर्म सिखलाते है , जिससे पेट भरे। स्त्री -पुरुष ब्रह्मज्ञान के सिवा दूसरी बात नहीं करते ,पर वे बहुत थोड़े लाभ के लिए ब्राह्मण और गुरु की हत्या कर डालते है। 



शूद्र -ब्राह्मणों से विवाद करते है और कहते है कि हम क्या तुमसे कम है ? जो ब्रह्मा को जानता है वही श्रेष्ठ ब्राह्मण है। (ऐसा कहकर ) उनको आँखे दिखलाते है। 



कलयुग के गुण 


जो परायी स्त्री में आसक्त कपट करने में चतुर और मोह ,द्रोह और ममता में लिपटे हुए है ,वे ही मनुष्य अभेदवादी ( ब्रह्म और जीव को एक बताने वाले ) ज्ञानी है। 



जो स्वयं तो नष्ट ही रहते है और अगर कहीं कोई सन्मार्ग का प्रतिपालन करे  ,उनको भी वे नष्ट कर देते  है। जो तर्क करके वेद की निंदा करते है। वे लोग कल्प -कल्प भर एक -एक नरक में पड़े रहते है। 



तेली ,कुम्हार,चांडाल ,भील ,कोल और कलवार आदि जो वर्ण में नीचे है ,स्त्री के मर जाने पर अथवा घर की संपत्ति नष्ट हो जाने पर सिर मुँड़ाकर सन्यासी हो जाते है। वे अपने को ब्राह्मणों से पुजवाते है और अपने ही  हाथों दोनों लोक नष्ट करते जा रहे है। 



कलयुग का असर


ब्राह्मण- लोभी ,कामी ,आचारहीन ,मुर्ख और नीची जाती की व्यभिचारिणी स्त्रियों के स्वामी होते है। शूद्र कई प्रकार के जप ,तप और व्रत करते है। और ऊँचे आसान (व्यासगद्दी ) पर बैठ कर पुराण कहते है। 



कलियुग में सब लोग मनमानी के आचरण करते है जिनके बारे में पूरा वृतांत करना असंभव है। क्या कहे सभी लोग वर्णसंकर और मर्यादा -च्युत हो गए है। वे अनगिनत पाप करते है ,जिनके कारण दुःख ,भय ,रोग ,शोक और प्रिय वस्तु का वियोग पाते है (उनसे दूर हो जाते है ) । 



वेद -सम्मत तथा वैराग्य और ज्ञान से युक्त जो हरिभक्ति का मार्ग है ,मोहवश उस पर नहीं चलते और अनेकों प्रकार के नए -नए पंथो की कल्पना करते है। सन्यासी बहुत धन लगा कर घर सजाते है ,उनमे वैराग्य नहीं रहा ,उसे तो विषयों ने हर लिया। 



तपस्वी तो धनवान हो गए और गृहस्थी दरिद्र। कलियुग की लीला कुछ कही नहीं जाती। आगे और क्या  होगा ,कुछ पता नहीं। जितना अपने पूर्वजों से सुना है व शास्त्रों में पढ़ा है। वही आप तक पहुंचा रहे है।



इस कलयुग में अच्छो के साथ हमेशा बुरा ही होगा। सती और कुलवती स्त्री को पुरुष घर से निकाल देते है और अन्य स्त्री को घर में ला कर रखते है। पुत्र अपने माता -पिता को तभी तक मानते है ,जब तक स्त्री का मुँह न दिखाई पड़े। 



जब से ससुराल प्यारी लगने लगी ,तब से घर के लोग शत्रुओं के समान हो गये। राजा लोग पापी हो गये ,उनमे घर्म नहीं रहा। वे प्रजा को हमेशा ही बिना अपराध के दंड देकर उसकी दुर्दशा किया करते है। 



धनी लोग मलिन (नीची जाति के ) होने पर भी कुलीन माने जाते है। द्विज का चिन्ह जनेऊ मात्र रह गया और नंगा बदन रहना तपस्वी का। जो वेदो और पुराणों को नहीं मानते , वे लोग ही कलियुग में हरिभक्त और सच्चे संत कहलाते है। 



कवियों के तो झुण्ड हो गए ,पर दुनिया में उदार के बोल  सुनाई देते। गुणों में दोष लगाने वाले बहुत है , पर गुणी कोई भी नहीं है। इन अधर्मों के कारण ही कलियुग में बार -बार अकाल पड़ते है। बिना अन्न के लोग दुखी होकर मरते है। 


कलयुग के कड़वे सच/क्या? है कलयुग की महिमा/क्या ?है कलयुग का प्रभाव/कैसे? है कलयुग के नर-नारी(जानेंगे और भी बहुत कुछ कलयुग के बारे मे)


कलियुग में कपट ,हठ ,दम्भ ,द्वेष ,पाखण्ड ,मान ,मोह ,काम और  मद पूरे ब्रह्माण्ड में छा गए है। मनुष्य जप तप ,यज्ञ ,व्रत और दान आदि जितने भी शुभ कर्म है , उन्हें वे तामसी भाव से करने लगे है। देवता (इंद्र ) पृथ्वी पर जल नहीं बरसाते और बोया हुआ अन्न कभी उगता ही नहीं। 



स्त्रियों के बाल ही भूषण है (उनके शरीर पर कोई आभूषण नहीं रह गया ) और उनको भूख बहुत लगती है अथार्त वे हमेशा अतृप्त ही रहती है। वे धनहीन और बहुत प्रकार की ममता होने के कारण दुखी रहती है। वे मूर्ख सुख चाहती है ,पर धर्म में उनका प्रेम नहीं है। बुद्धि थोड़ी और कठोर है। उनमें कोमलता बिलकुल भी  नहीं है। 



मनुष्य रोगों से पीड़ित है ,उनको सुख बिलकुल भी नहीं। बिना ही कारण अभिमान और विरोध करते है। बीस -तीस वर्ष का थोड़ा सा जीवन है ,लेकिन घमंड ऐसा है की जैसे प्रलय होने पर भी उनका अंत नहीं होगा। 



कलियुग ने मनुष्य को ऐसा बेहाल (अस्त -व्यस्त ) कर दिया है कि ,कोई बहन -बेटी का भी विचार नहीं करता। लोगो मे न संतोष है ,न विवेक और न शीतलता ही। जाति ,कुजाति सभी लोग भीख मांगने लगे है। नफ़रत ,कड़वे वचन और लालच की भरमार है। सदभाव चले गए सभी लोग वियोग और शोक से मरे पड़े है। 



वर्णाश्रम -धर्म के आचरण नष्ट हो गए है। इन्द्रियों का दमन ,दान ,दया और समझदारी किसी में नहीं रही। मूर्खता ,दूसरों को ठगना बहुत ज्यादा बढ़ गया है। स्त्री -पुरुष सभी शरीर के पालन -पोषण में ही लगे रहते है। दूसरो की निंदा करने वाले ही जगत में फैले हुए है। 



कलयुग के बुरे प्रभावों से बचने के उपाय 


दोस्तों ! कलियुग की महिमा अत्यंत ही दुखदाई है। ये कलिकाल सब पापों ,अवगुणों से भरा पड़ा है ,जिसकी कोई थाह नहीं। इतना पाप ,अधर्म होने के बावजूद भी कलयुग में एक गुण बहुत बड़ा है कि ,जिससे बिना परिश्रम के ही सारे पापों ,बंधनों से मनुष्य भवपार कर जाते है । 



वो ये कि ---सतयुग ,त्रेता और द्वापर में जो गति पूजा ,यज्ञ और योग से प्राप्त होती है ,उस गति को कलियुग में लोग केवल भगवान् के नाम से पा जाते है अथार्त पूजा -पाठ की जरूरत नहीं सिर्फ भगवान् का नाम लेना ही पर्याप्त है। 



सत्ययुग में सब योगी और  ज्ञानी थे जो -हरि का ध्यान करके भवसागर से तर जाते थे। त्रेतायुग में मनुष्य अनेक प्रकार के यज्ञ करके और सब कर्मों को प्रभु को समर्पण करके भवसागर से तर जाते थे। 



द्वापर में श्री रघुनाथजी के चरणों की पूजा करके मनुष्य संसार से तर जाते है ,दूसरा कोई उपाय नहीं लेकिन कलयुग में तो केवल श्री हरि की गुण -गाथाओं का गान करने से ही मनुष्य भवसागर से पार हो जायेगा। 


कलयुग के कड़वे सच/क्या? है कलयुग की महिमा/क्या ?है कलयुग का प्रभाव/कैसे? है कलयुग के नर-नारी(जानेंगे और भी बहुत कुछ कलयुग के बारे मे)


कलियुग में-- श्री राम जी का गुण-गान ही एकमात्र आधार है ,सारे भरोसे  त्याग कर जो श्री राम जी को भजता है और प्रेम -पूर्वक उनके गुण -समूहों को गाता है। वही भवसागर से तर जाता है ,इसमें ज़रा भी संदेह नहीं। श्री राम नाम का प्रताप कलियुग में प्रत्यक्ष है। 



यदि मनुष्य विश्वास करे तो कलियुग के सामान दूसरा कोई युग नहीं है क्योकि इस युग में श्री रामजी के निर्मल गुणसमूहों को गा -गाकर मनुष्य बिना ही परिश्रम के संसाररुपी समुन्द्र से तर जाता है। 



कलियुग में चार चरण ( सत्य ,दया ,तप और दान )प्रसिद्ध है ,जिनमे से कलियुग में केवल एक चरण ( दान ) ही बड़ा है। चाहे दान किसी प्रकार से भी दिया गया हो ,कलियुग में उस दिय दान से कल्याण ही होता है। 



श्री रामजी की माया से प्रेरित होकर सबके ह्रदय में सभी युगों के धर्म होते है। श्री राम जी की माया के द्वारा रचे हुए दोष और गुण श्री हरि के भजन  बिना नहीं जाते। इसलिए मन में ऐसा विचारकर सब कामनाओं को छोड़कर  निष्काम भाव  से श्री राम जी का भजन करना चाहिए। 



प्रिय पाठकों ! हमने आपको शास्त्रों में लिखी हुई कलियुग की सभी बातें बताई। जिससे हम तो सहमत है की शास्त्रों में लिखी बातें कभी झूठी नहीं हो सकती--और आपको भी शास्त्रों पर विश्वास होना चाहिए। कलियुग की महिमा पूर्ण रूप से सत्य है।क्योकि आज संसार में जो हो रहा है वो बिलकुल शास्त्रों में लिखी बातों जैसा ही हो रहा है । 



इसे झुठलाया नहीं जा सकता। इसलिए आपको भी मानना चाहिए। जितना आप से हो सके दान -पुण्य करते रहिये। आपको बदले में क्या मिलेगा ,इसके बारे में बिलकुल न सोचे। बस इतना विश्वास रखें कि ऐसा करने से आपके जीवन से कुछ घटेगा नहीं ,बल्कि बढ़ेगा। 



यदि आप इतना भी न कर सके तो मन से -- प्रभु ( श्री रामजी ) का नाम ही लेते रहें।  ऐसा करने से आपको वही फल प्राप्त होगा जो - पूजा ,पाठ दान आदि करने से मिलता है। 



इसी के साथ हम अपनी बात समाप्त करते है ,और प्रार्थना करते है की प्रभु श्री रामजी आपको इस कलियुग के बुरे प्रभावों से बचा कर रखें। विश्वज्ञान में अगली पोस्ट के साथ फिर मुलाकात होगी। जय श्री राम।


धन्यवाद।

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