मनुष्यों को पिछले जन्म का कुछ भी याद क्यों नहीं रहता / PICHLA JANAM YAAD KYON NHI REHTA

श्री गणेशाय नमः  

हर-हर महादेव 

प्रिय पाठको !कैसे है आप लोग। आशा करते है कि आप सभी लोग सकुशल होंगे। आशुतोष भगवान् शिव आप सभी का कल्याण करें। 

दोस्तों !आज इस पोस्ट में हम जानेंगे की हम मनुष्यों को पिछले जन्म का कुछ भी याद क्यों नहीं रहता। पुनर्जन्म की बातें जितनी सुनने में अच्छी लगती है ये उतनी ही रहस्य्मयी होती है। अगर हम किसी व्यक्ति से ये पूंछे की क्या उसे अपना पिछला जन्म याद है तो वह साफ़ मना कर देगा। वास्तव में किसी को अपने पिछले जन्म के बारे में पता नहीं होता। लेकिन शास्त्रों में इसके बारे मे स्पष्ट रूप से बताया गया है। आज हम उन्ही शास्त्रों में लिखी बातों को जानेंगे। आगे की जानकारी प्राप्त करने से पहले स्वागत है आपका एक बार फिर से विश्वज्ञान में। 

इस पोस्ट मे आप पाएंगे-

पुनर्जन्म का अर्थ

गर्भ में शिशु द्वारा भगवान से प्रार्थना करना 

मनुष्यों को पिछले जन्म का कुछ भी याद न रहने का  कारण 

क्यों जरूरी है कपाल क्रिया 

विज्ञान के अनुसार पिछले जन्म का कुछ भी याद न रहने का कारण-


मनुष्यों को पिछले जन्म का कुछ भी याद क्यों नहीं रहता।

पुनर्जन्म का अर्थ 

दोस्तों !पुनर्जन्म का अर्थ  होता है की -एक बार फिर से शरीर प्राप्त होना। हिन्दू धर्म के अनुसार मनुष्य का मूलस्वरुप होता है आत्मा न की शरीर। पुनर्जन्म की अवधारणा कर्म के सिद्धांत पर ही आधारित है। ये जन्म और मृत्यु का चक्र हमेशा चलता रहता है। जब तक आत्मा का परमात्मा से मिलन नहीं हो जाता तब तक ये क्रम ऐसे ही चलता रहता है। जब भी मनुष्य धरती पर जन्म लेता है तो उसे पिछले जन्म का कुछ भी याद नहीं रहता। पर ऐसा क्यों होता है ?


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प्रिय पाठको !इसका उत्तर हमारे गरुड़ पुराण में धर्मकाण्ड के प्रेतकल्प अध्याय में मिलता है। जहां गर्भ धारण से लेकर शिशु के जन्म लेने तक की पूरी जानकारी दी गई है। इसके अलावा इस अध्याय में और भी कई महत्वपूर्ण प्रश्नो के उत्तर दिय हुए है। जैसे शिशु गर्भ में कैसा महसूस करता है ?,क्या सोचता है ? आदि प्रश्न। 

कितने अचम्भे की बात है की बच्चा जब गर्भ में होता है तो उसे पिछले जन्म का पूरा ज्ञात होता है। सबकुछ पता होता है। यही नहीं उसके मन में भी बहुत कुछ चल रहा होता है। गर्भ में रह कर वो अपने पिछले जन्म को याद करता है और उम्र समाप्त होने पर वो ये तय करता है कि अब वो दूसरी योनि में आ चुका है। पहले वो सरक के चलने वाला सर्प फिर मच्छर और उसके बाद अब्र नामक जंगली सूअर की योनि में प्रविष्ट हुआ था। 


गर्भ में शिशु द्वारा भगवान से प्रार्थना करना -


मनुष्यों को पिछले जन्म का कुछ भी याद क्यों नहीं रहता।


फिर गर्भस्थ शिशु को  याद आता है की उसने पिछले जन्म में कई दुखो , कष्टो, संघर्षो को एकत्रित किया था। लेकिन जिस अभिलाशा के साथ उसने काफी सारा धन इकठ्ठा किया लेकिन वो उसका इस्तेमाल भी नहीं कर सका। फिर उसे  याद आता है की उसने भगवान् की  पूजा अर्चना भी ठीक से नहीं करी। इसलिए वो भगवान् से प्रार्थना करता है। की हे प्रभु !जब जन्म के बाद मुझे पुनः मृत्यु  प्राप्त होना है तो फिर मेरा जन्म क्यों हो रहा है। हे प्रभु !अगर हो सके तो मुझे इस जन्म और मृत्यु के जीवन चक्र से मुक्त कर दीजिये। 


मनुष्यों को पिछले जन्म का कुछ भी याद क्यों नहीं रहता।


इसी पुराण में भगवान् विष्णु गरूड़ को बताते है की माता के गर्भ में पल रहा शिशु भगवान् से कहता है की हे प्रभु! मैं इस गर्भ से अलग नहीं होना चाहता क्योकि बाहर  वही सांसारिक दुनिया है। जहां मुझे फिर से पाप कर्म करने पड़ेंगे। मैं बहुत दुःखी हूँ। फिर भी हे प्रभु ! मैं सब दुखों को भुलाकर आपके चरणों का आश्रय लेकर अपनी  आत्मा का इस संसार से उद्धार करूँगा। माता के गर्भ में 9 महीने रहने तक बच्चा भगवान् से यही प्रार्थना करता रहता है।  लेकिन  गर्भ 6 महीने होने पर बच्चे का सिर नीचे की ओर और पैर ऊपर की ओर हो जाते है ,जिस कारण बच्चा चाहकर भी हिलडुल नहीं सकता और  वो खुद को पिंजरे में कैद एक पक्षी की तरह समझता है। 


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मनुष्यों को पिछले जन्म का कुछ भी याद क्यों नहीं रहता।


अपने आस -पास गंदगी को देखकर वो भगवान् से फिर प्रार्थना करता है कि -हे प्रभु मुझे यहां से बाहर कब निकालोगे। हे दीनदयाल !आप सभी पर दया करने वाले है। आपने ही मुझे ज्ञान दिया है। इस तरह 6 महीने पूरे पर शिशु को भूख प्यास भी महसूस होने लगती है और वो अपनी जगह बदलने के लायक भी हो जाता है। ऐसा करने में उसे कष्ट भी होता है। जिस कारण वह बेहोश भी हो जाता है। गर्भावस्था के दौरान माँ जो भी भोजन खाती है ,शिशु भी गर्भ में वही भोजन खाता है। 


मनुष्यों को पिछले जन्म का कुछ भी याद न रहने का कारण 

गरुड़ पुराण के अनुसार प्रसूति की हवा से जैसे ही स्वांस लेता हुआ शिशु माता के गर्भ से बाहर निकलता है ,तो वह सब कुछ भूल जाता है। उसे कुछ भी याद नहीं रहता। इसी कारण वह जन्म के तुरंत बाद रोने लगता है। फिर भगवान् विष्णु गरूड़ को बताते है की गर्भ में पहुंच कर जीव आत्मा जैसा चिंतन करती है। शरीरधारी वैसे ही पैदा होकर  बालक ,जवान और वृद्ध होता है। गर्भ में सोची गई बात सांसारिक मोह के कारण विस्मित हो जाती है। इसलिए मनुष्य को  पिछले जन्म का कुछ भी याद नहीं रहता। 


क्यों जरूरी है कपाल क्रिया -


मनुष्यों को पिछले जन्म का कुछ भी याद क्यों नहीं रहता।

पूर्व जन्म का कुछ भी याद न रहे इसलिए हिन्दू धर्म में मृत्यु के समय कपाल क्रिया की जाती है। इस क्रिया में शव को मुखाग्नि देने के बाद एक बांस में लौटा बाँध कर शव के सिर पर घी डाला जाता है। जिससे पूरा सिर सही प्रकार से जल जाए। दोस्तों ऐसा  माना जाता है की अगर ये कपाल क्रिया न की जाए तो अगले जन्म में पिछले जन्म का सबकुछ याद रहता है। 


विज्ञान के अनुसार पिछले जन्म का कुछ भी याद न रहने का कारण-


मनुष्यों को पिछले जन्म का कुछ भी याद क्यों नहीं रहता।


वैज्ञानिकों में तो आत्मा और पुनर्जन्म के विषय को लेकर मतभेद होता रहता है। जहाँ एक पक्ष पिछले जन्म को सिरे से खारिज रखता है तो वहीँ दूसरा पक्ष आत्मा को एक ऊर्जा के रूप में स्वीकार करता है। विज्ञान के मुताबिक़ पिछले जन्म का कुछ भी याद न रहने का कारण कोई कैमिकल है। अथार्त वो एक कैमिकल को याद न रहने का कारण मानते है।  


प्रिय पाठकों!आशा करते है आपको पोस्ट पसंद आई होगी। विश्वज्ञान मे अगली पोस्ट के साथ फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए हर- हर महादेव। 

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धन्यवाद 


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