मधुराष्टकं स्तोत्र हिंदी अर्थ साहित

 श्री कृष्णः शरणं मम , श्री कृष्णः शरणं मम। 

राधे राधे !---प्रिय पाठको 


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मधुराष्टकं स्तोत्र के लेखक 

मधुराष्टकं स्तोत्र के लाभ 

मधुराष्टकं स्तोत्र लिरिक्स हिंदी अर्थ सहित 


मधुराष्टकं स्तोत्र के लेखक 

महाराज श्री मद्वल्लभाचार्य जी

मधुराष्टकं स्तोत्र के लाभ 

यह स्तोत्र जीवन के सभी दुःख ,निराशा ,तनाव, विघ्नबाधाएँ ,मन में चलने वाली उथल -पुथल ,भय ,शोक ,मन में खिन्नता को दूर करता है। 


मधुराष्टकं स्तोत्र हिंदी अर्थ साहित



यह मधुर स्तोत्र भगवान् श्री कृष्णजी के लिए है ,इस स्तोत्र द्वारा प्रभु की सुंदरता का वर्णन किया गया है। उनके पूरे अंगो ,मित्रो आदि की प्रसंशा की गई है। बहुत ही सुंदर स्तुति है। आइये ! हम सब एक साथ इस दिव्य स्तुति को गाये और प्रभु श्री कृष्णजी का आशीर्वाद व प्यार प्राप्त करें।  

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अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं। 

हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं ।।


वचनं मधुरं गमनं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं। 

चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं।।


वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ। 

नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं।।


गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं। 

रूपं  मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं।।


करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरं। 

वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं।।


गुंजा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा विची मधुरा। 

सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं।।


गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं भुक्तं मधुरं। 

दुष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं।।


गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा। 

दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधराधिपतेरखिलं मधुरं।।


इति श्रीमद्वल्लभाचार्यकृतं मधुराष्टकं सम्पूर्णम।।

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मधुराष्टकं स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित 

राधे राधे 


कितने प्यारे है हमारे प्रभु श्री कृष्ण। इतने  मधुर कि उन्हें देखते रहने को ही जी चाहे। हमारे श्री मधुराधिपति जी का सब कुछ मधुर है। दिव्य है ,अद्भुत है ,अलौकिक है। 


उनके अधर मधुर है ,मुख मधुर है ,नयन मधुर है ,हंसी मधुर है ,ह्रदय मधुर है और उनकी गति भी अति मधुर है।

श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है।  


उनके वचन मधुर है ,चरित्र मधुर है ,वस्त्र मधुर है अंगभंगी मधुर है ,चाल मधुर है और भ्रमण भी अति मधुर है ,

श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है।


उनका वेणु मधुर है ,चरणरज मधुर है , करकमल मधुर है ,चरण मधुर है ,नृत्य मधुर है और सख्य भी अति मधुर है,

श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है।


उनका गान मधुर है ,पान मधुर है,भोजन मधुर है ,शयन मधुर है ,रूप मधुर है और तिलक भी अति मधुर है ,

श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है। 


उनका कार्य मधुर है ,तैरना मधुर है ,हरण मधुर है ,रमण मधुर है उद्गार मधुर है और शान्ति भी अति मधुर है,

श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है। 


उनकी गुंजा मधुर है ,माला मधुर है ,यमुना मधुर है ,तरंगे मधुर है ,जल मधुर है ,और कमल भी अति मधुर है, 

श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है। 


उनकी गोपिया मधुर है ,लीला मधुर है  ,उनका संयोग मधुर है ,वियोग मधुर है , निरीक्षण मधुर है , शिष्टाचार भी अति मधुर है ,

श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है। 


उनका गोप मधुर है ,गौएँ मधुर है ,लकुटी मधुर है ,रचना मधुर है ,दलन मधुर है ,और उसका फल भी अति सुंदर है , 

श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है।


हमारे प्रभु श्री कृष्णजी ही बड़े मधुर है ,बड़े प्यारे है जय श्री कृष्ण ,जय श्री कृष्ण ,जय श्री कृष्ण ,जय श्री कृष्ण

जय जय श्री राधे

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प्रिय पाठकों आशा करते है की आपको पोस्ट पसंद आई होगी। विश्वज्ञान में अगली पोस्ट के साथ फिर मुलाक़ात होगी। तब तक के लिए राधे -राधे 


धन्यवाद 

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