अभ्यास का महत्त्व | अभ्यास का अर्थ | अभ्यास का महत्व लाभ और हानि | विद्यार्थी जीवन में अभ्यास का महत्व |

अभ्यास करने का क्या महत्व है ?

अभ्यास बहुत शक्तिशाली शब्द है। अभ्यास यानी परिश्रम ,कोशिश। यदि मनुष्य को किसी वस्तु  को पाने की अभिलाषा हो और वो उसे न मिले तो कभी हार नहीं माननी चाहिए बल्कि बार -बार अभ्यास करना  चाहिए। अभ्यास करने से हर नाकाम कोशिस पूरी हो जाती है। 

अभ्यास

विद्यार्थी के जीवन में अभ्यास का क्या महत्व है ?

विद्यार्थी का जीवन अभ्यास  पर ही टिका होता है विद्यार्थी अगर ठीक तरीके से पढ़ाई का अभ्यास करेगा तो उसे सफलता जरूर प्राप्त होगी। किसी कारणवश यदि सफलता न मिले तो बार -बार अभ्यास यानी प्रयास करना चाहिए। जिस प्रकार बालक वरदराज ने की थी। जिन्हे दुनिया का सबसे मुर्ख छात्र माना जाता था लेकिन अपने बार -बार के अभ्यास से वे मुर्ख छात्र दुनिया में संस्कृत के सबसे बड़े ज्ञानी बने। तो इसलिए विद्यार्थी के जीवन में अभ्यास  बहुत महत्व है। विद्यार्थी को जीवन में अभ्यास करते रहना चाहिए। 


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निरन्तर अभ्यास करने से मनुष्य क्या पा लेता है ?

निरंतर अभ्यास से मनुष्य सफलता को प्राप्त कर लेता है ,अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। 


कठिन कार्य कैसे सरल हो जाता है ?

एक बहुत पुरानी कहावत है कि -

करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान। 

रसरी आवत जात ते सिल पर परत निसान।।

इस कहावत से ये साफ स्पष्ट होता है कि मनुष्य को यदि भी कार्य में सफल होना हो  ,तो उसे अंत तक अभ्यास करते रहना चाहिए। क्योकि कठिन  से कठिन कार्य अभ्यास करने से ही सरल (पुरे )होते है। उसे एक दिन कामयाबी अवश्य मिलती है।  


अभ्यास के ऊपर एक सुंदर कविता। 

पाने की अनेक क्रियाओ में क्या पाना है , ये भी नहीं रहता याद। 

सब कुछ पा लेने का ,लगता नहीं अब है कोई सुराग।। 

एक अजीब सी स्थिति का होता है आभास। 

इतनी मेहनत करने के बाद भी क्यों नहीं मिलता मनचाहा परिणाम।।

मन की इच्छा ही नहीं समझ पाता मन। 

न जाने कहाँ-कहाँ होकर आ जाता है। 

यहां से वहाँ ,वहाँ से यहां -इतना ज्यादा जान जाता है। 

की फिर आखिर में हो जाता है परेशान।।

कुछ भी समझ नहीं आता ,कि क्या और कितना जरूरी है। 

क्या चाहिए, क्या नहीं चाहिए। किसे पास रखें ,किसे जीवन से दूर करें।।

कोशिश करने लगता हूँ ,सब कुछ पा लेने की। फिर भी न जाने क्यों -

इच्छा तो मजबूत लगती है और कोशिश लगती है कमजोर।।

कोशिश करता हूँ किसी चीज की ,मिल जाता है कुछ और। 

ताल -मेल बिगड़ जाता है ,सब कुछ धुंधला दिखता है।।

लगता है की बहुत कुछ कर रहा हूँ ,पर सब कुछ कम लगता है। 

यहां -वहाँ की भागदौड़ में सबकुछ बिखरा सा दिखाई देता है ।।

चाहता हूँ कुछ और ,कुछ और होता दीखता है। 

निराश बहुत होता हूँ ,मन कहीं नहीं लगता।।

क्यों ऐसा होता है  ,क्यों प्रश्न बलवान लगता है। 

उत्तर तो सामने रखा होता है ,और मैं खोज में लगा रहता हूँ।।

अँधेरा दीप के नीचे ही होता है। 

रुक -रुक कर ही सारा काम पूरा होता है।।

सब उठा कर चलने से ही ,बोझ पैदा  होता है। 

प्रश्न का उत्तर होता है ,लेकिन उत्तर का कोई उत्तर नहीं होता है।।

एक साथ सब चीजों का अभ्यास नहीं होता है। 

एक चीज को पकड़ कर ,अभ्यास से पारंगत होता है।।

अभ्यास से एक एक कर सारी समस्याओं का समाधान होता है। 

समाधान का कोई अभ्यास नहीं होता है।।


सफलता का मूल मन्त्र क्या है ?

समय का सदुपयोग करना ही सफलता का मूल मन्त्र है। समय पर उठना ,समय पर खाना ,समय पर आना , समय पर जाना ,समय का सही तरीके से  इस्तेमाल करना ही सफलता की पहली  



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