पूजा करते समय शरीर क्यो हिलता है

हर हर महादेव प्रिय पाठकों ,कैसे है आप लोग,आशा करते हैं कि आप ठीक होंगे,भगवान शिव आप सभी का कल्याण करे। 

पूजा करते समय शरीर क्यो हिलता है ?

पूजा करते समय शरीर क्यो हिलता है
पूजा करते समय शरीर क्यो हिलता है 


प्रिय पाठकों आज की इस पोस्ट मे हम जानेंगे की जब कोई व्यक्ति पूजा करता है, तो वह दाएँ बाएँ ,आगे  पीछे हिलने क्यों लगता है यानी पूजा करते समय शरीर हिलने का क्या कारण है। 

मित्रों! क्या कभी आपने इस बात को नोटिस किया है कि, जब आप किसी कमरे मे बैठे हो ,या किसी अन्य व्यक्ती के साथ बैठ कर बात कर रहे हों, या टीवी सीरियल आदि देख रहे हों ,तो आप बिल्कुल भी नहीं हिलते। 

लेकिन जब आप पूजा करने बैठते हैं तो जैसे ही आप कोई स्तोत्र, आरती या पाठ करते है तो आप हिलना शुरू कर देते हैं। तो ये ऐसा क्यों होता है? क्या ये कोई नकारात्मक शक्ति के कारण होता है? 

ऐसी कौन सी शक्ति है जो इतनी शक्तिशाली है, जो हवा से भी ज्यादा तेज है। एक इंसान जब कहीं पर बैठा हो या खड़ा हो तो ,हवा में भी इतनी ताकत नहीं होती कि वो उसे हिला सके। 

चलते हुए व्यक्ती को भी कोई हवा का झोंका या जब तक कोई हाथ से धक्का न मारे तब तक वह हिलता नहीं है ,पर बैठे-बैठे कोई हिला दे ,ये तो बहुत बड़ी बात है। तो ये कौन सी शक्ति है?

अधिकतर घरों में तो पूजा करते समय ही नही ब्लकि अन्य जगहों पर बैठ कर हिलने के लिए मना किया जाता है। माता-पिता अधिकतर बच्चों को समझाते भी रहते हैं कि ये अच्छी आदत नहीं है। 

कई लोग पूजा करते समय या उसके अतिरिक्त, किसी को हिलते हए देखते है तो कहते हैं कि इसके ऊपर कोई बुरा साया है। इसे कहीं दिखाओ। अब घर वाले परेशान।  मन मे कई प्रकार के प्रश्न उठने लगते है और सबसे बड़ी बात की मन मे बेकार के वहम पैदा हों जाते है। 

यानी के दोस्तों,एक छोटी सी आदत हिलने की,इंसान को इतनी भारी पड़ जाती है। तो क्या करे? अब यदि जन्म से ही किसी को हिलने की आदत हो ,तो बात समझ मे आती है कि, शायद कोई बीमारी हो। 

लेकिन जब किसी भी परिस्थिति मे व्यक्ती नहीं हिलता ,केवल पूजा करते समय ही हिलता है, तो ये कोई बीमारी या नकारात्मक ऊर्जा तो हो नहीं सकती। तो फिर ये क्या है?

हम चाहकर भी इस आदत को नही छोड़ पाते। यदि हमे ध्यान भी आ जाए कि हम हिल रहे, तो हम कुछ पल के लिए रुक जाते हैं लेकिन फिर तुरंत ही हिलना शुरू कर देते हैं। क्या ये कोई खतरे की निशानी तो नही?

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तो दोस्तों सबसे पहले तो हम आपको बता दे कि किसी भी व्यक्ती, साधक या भक्त के साथ यदि ऐसा होता है कि, वह पूजा करते समय हिलने लगते हैं, तो इससे घबराने की या डरने की आवश्यकता नहीं। 

दूसरी बात ऐसा हर किसी के साथ नही होता। जो शुध्द ,साफ,निष्काम भाव से नियमित पूजा आराधना करने वाले व्यक्ति होते हैं। उन्ही के साथ ऐसा होता है। 

पूजा करते समय हिलना एक शुभ लक्षण है। यह इस बात की तरफ इशारा करता है की आपकी कुंडलिनी शक्ति अब जागृत हो चुकीं है। आपकी भक्ति, आपकी पूजा सही दिशा की ओर जा रही है।

पूजा करते समय शरीर क्यो हिलता है
पूजा करते समय शरीर क्यो हिलता है 

जब आप पूजा करना शुरू करते हैं, जाप करना शुरू करते हैं, स्तोत्र पढ़ना शुरू करते हैं या ध्यान लगाना शुरू करते हैं, तो उस समय आपकी सोयी हुई कुंडलिनी जागृत होने की दिशा मे बढ़ने लगती हैं। 

ऐसा शुरुआती दिनों में होना शुरू होता है कि आप पूजा करते समय दाएँ, बायें या आगे पीछे हिलना शुरू कर देते हैं और ये इस कदर शरीर पर हावी होता है कि आप चाहकर भी नहीं रुक पाते। 

ये हिलना डुलना कुछ समय तक या कुछ महीनों तक हो सकता है। वही जब ये कुंडलिनी शक्ति मूलाधार चक्र से ऊपर चली जाती हैं ,तब हिलने- डुलने की बजाय कुछ और अलग प्रकार के अनुभव होने लगते हैं। 

कहने का अर्थ है मित्रों, कि मनुष्य के अंदर मौजूद जितने भी चक्र है, जब उनकी शक्तियां जागृत होती है तो पूजा करते समय कई प्रकार के अनुभव होने लगते हैं। 

जैसे कोई अनहोनी होने से पहले पता चल जाना, भविष्य मे क्या होने वाला है ये पता चल जाना और इसके अतिरिक्त अचानक से आँखों के आगे कोई चित्र चल जाना आदि अनुभव हो सकते हैं, इसलिए इनसे घबराने के बजाय इन्हें समझने की कोशिश करनी चाहिए। 

कई लोग होते है जिन्हें जब ऐसे अनुभव होते हैं, तो वो सोचने लगते हैं कि ये ऐसा क्यों हो रहा है, कहीं हमारे अंदर कोई शक्ति तो प्रवेश नही कर गई जैसे कोई बुरी शक्ति या कोई देवी देवता तो प्रवेश नही कर गए। 

पर वास्तव मे मित्रों, ऐसा बिलकुल भी नहीं होता। ये किसी देवी- देवता के प्रवेश करने का संकेत नहीं होता। ये आपकी कुंडलिनी शक्ति के जाग्रत होने का ही संकेत होता हैं। 

ये बहुत ही शुभ संकेत होता हैं। बहुत ही आनंद देने वाला संकेत होते हैं। इसलिए एक साधक को यानी पूजा पाठ करने वाले व्यक्ती को खुश होना चाहिए, प्रसन्न होना चाहिए कि उनके अंदर कुंडलिनी शक्ति जागृत हो रही है। 

दोस्तों ये कुंडलिनी शक्ति यही नही रुकती। इसकी शक्ति बहुत अपार होती है ,जैसा कि आपने पहले के समय मे देखा होगा कि जो संत महात्मा होते थे ,वो हवा मे हाथ घुमाकर अनेक प्रकार के चमत्कार किया करते थे। वो हवा में उड़ना शुरू कर देते थे और इसके अलावा भी कई प्रकार के चमत्कार किया करते थे। 

इन सभी चमत्कारों का आधार उनकी कुंडलिनी शक्ति ही थी। मित्रों जब तक कुंडलिनी शक्ति जागृत नहीं होती, तब तक मनुष्य की सभी इन्द्रियां पूरे तरीके से काम नही करती और इसी कारण वह ब्रहमांड की शक्तियों से जुड़ नहीं पाता। 

जिस मनुष्य की कुंडलिनी शक्ति जागृत हो जाती है, उसे परलौकिक शक्तियों से बहुत से अनुभव प्राप्त होने लगते हैं। उस व्यक्ति को ऐसे-ऐसे अनुभव होने लगते हैं की उसका अपने इष्ट के ऊपर विश्वास पहले से भी ज्यादा बढ़ जाता है। 

उसका विश्वास जाग जाता है अपने सनातन धर्म पर,देवी-देवताओं पर। उसकी भक्ति पहले से ज्यादा मजबूत हो जाती है। इसलिए मित्रों, कुण्डलिनी शक्ति के जाग्रत होने पर,उससे मिलने वाले अनुभवों पर आपको खुश होना चाहिए। 

मित्रों इसके अलावा यदि आपको अन्य किसी प्रकार के अनुभव या कंपन शरीर मे महसूस हो रहे हो और आप उन्हें नियंत्रण में लाना चाहते हैं, तो उस स्थिति में आप हवन करवा सकते हैं। 

किसी भी प्रकार की जब कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है, तब शरीर के हिलने के अलावा,शरीर मे और भी कई प्रकार के कंपन होते हैं। इसलिए उस समय यदि आपको  कोई ऐसा अनुभव होता है, जो आपको ठीक न लगे, आप उस कंपन को बर्दाश्त न कर पा रहें हो ,तो आप हवन करवा सकते हैं। 

हवन करवाने से कुंडलिनी शक्ति नियंत्रित हो जाती है, संयमित हो जाती है। जिससे कि आपको ऐसा कोई भी अनुभव नही होता, जिससे आपको कष्ट हो। जैसे कि बहुत सारे लोगों को पूजा करते समय या पूजा से उठने के बाद गुस्सा आने लगता है, शरीर मे दर्द होने लगता है। 

ऐसा उन लोगों के साथ ज्यादा होता है जो किसी भी अन्य मार्ग से ,प्रयोगों से कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत करने की कोशिश करते हैं। यानी किसी से कुछ सुना, या कहीं से कुछ पढ़ लिया और प्रयोग करना शुरू कर दिया। ऐसा बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। ऐसा करना कभी-कभी खुद को भारी पड़ जाता है। 

और यदि आपने सुना भी ठीक , पढा भी ठीक और फिर उसका विधि का प्रयोग किया ,तब भी आपको परेशानी हो रही है तो वो इसीलिए की आपने सब कुछ किया, लेकिन जाप नहीं किया। जाप करना बहुत जरूरी है। 

मित्रों! अधूरा ज्ञान ठीक नही होता इसलिए पहले हर चीज को ठीक से देखे,परखें यानी के आपने किसी किताब के जरिए कुंडलिनी शक्ति को जगाने की कोशिश की ,तो उसे पूरा पढ़िए ,उसका पूरा ज्ञान लीजिए। क्या करना सही है ,क्या गलत इसकी पहचान कीजिए। 

यदि आपने किसी के कहने मे आकर कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत करने की कोशिश करते हैं तो उस व्यक्ति से पूरी बाते अच्छी तरह से समझ ले। ताकि आपको हानि न हो। इसलिये कहा जाता है मित्रों की जीवन मे एक अच्छा गुरु होना अति आवश्यक है। क्योंकि सच्चे गुरु से मिला ज्ञान कभी व्यर्थ नही जाता। 

कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत करना आसान है। सही तरीके से, नियमित रूप से और शुद्ध मन से पूजा पाठ करते रहने से ये अपने आप जाग्रत हो जाती है। एकाग्र मन से ,निष्काम भाव से यदि आप पूजा करते हैं, तो यह शक्ति खुद जागृत हो जाएगी। 

ध्यान रखने योग्य बात 

मित्रो! इसमे बस ध्यान रखने योग्य बात ये है कि जब आपको लगे कि आपकी कुंडलिनी शक्ति जागृत हो गई है, तो आप अपने आराध्य का यानी जिस किसी भी भगवान को आप मानते हैं, उनके नाम का जाप करना शुरू कर दें। इससे आपको कुंडलिनी शक्ति द्वारा उत्पन्न कंपनो से, अनुभवों से किसी भी प्रकार की कोई हानि नहीं होगी। 

प्रिय पाठकों,ये थी आज की पोस्ट की पूजा करते समय शरीर हिलने क्यों लगता है। आशा करते हैं कि आपको पोस्ट पसंद आई होगी। ऐसी ही रोचक जानकारियों के साथ विश्वज्ञान में फिर से मुलाकात होगी। तब तक के लिए आप अपना ख्याल रखें, खुश रहें और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहें। 

धन्यवाद 

हर हर महादेव

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