क्यों नहीं मिलता हनुमान चालीसा का फल

 हर हर महादेव!प्रिय पाठकों 

कैसे है आप लोग हम आशा करते हैं कि आप ठीक होंगे 


क्यों नहीं मिलता हनुमान चालीसा का फल 

क्यों नहीं मिलता हनुमान चालीसा का फल
क्यों नहीं मिलता हनुमान चालीसा का फल 


प्रिय पाठकों, आज की इस पोस्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं हनुमान चालीसा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें। जो हनुमान भक्तों के लिए जानना अति आवश्यक है। 

मित्रो, हनुमान चालीसा अधिकतर लोग पढ़ते हैं, लेकिन पढ़ने का तरीका सही न होने के कारण उनको हनुमान चालीसा का पूरा फल नहीं मिल पाता। आपको आपकी पूजा का पूरा फल प्राप्त हो सके, यही इस पोस्ट को लिखने का उद्देश्य है। इसलिए पोस्ट मे लिखे पॉइंट्स को ठीक से पढ़े। तो चलिए बिना देरी किए पढ़ते हैं आज की पोस्ट। 

हनुमान चालीसा पढ़ने के नियम 

1- यदि आप हनुमान चालीसा पढ़ने जा रहे हैं, तो इसे एक साथ पूरा क्रमबद्ध तरीके से पढ़कर ही उस स्थान से उठे यानी जब तक हनुमान चालीसा पूरी न हो जाये, तब तक अपने स्थान से न तो उठना है और न ही रुकना है। 

मित्रों अधिकतर लोग होते हैं,जो हनुमान चालीसा पढ़ते समय या स्तुति करते समय या अन्य पूजा पाठ हवन करते समय किसी के फोन आने पर या अन्य किसी और कारण से बीच मे रुक जाते हैं। पहले बात करते हैं फिर बाकी का बचा हुआ पाठ करते हैं। जो कि बिल्कुल गलत है। 

ऐसा नही करना चाहिए। कोशिश करें कि पहले पूजा पूरी करें और बातें बाद में या फिर पहले बाते या अन्य सभी काम पूरे कर लें और उसके बाद ही पूजा की शुरुआत करें। किंतु बीच मे कभी न रुके। इससे किसी भी पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त नही होता। 

जिसमें की हनुमान चालीसा तो अपने आप मे ही एक पावरफुल पाठ है, इसकी महिमा अपार है, इसे साधारण  न समझे। कलयुग से दुष्प्रभावों,मुसीबतों और बीमारियों से बचने का एक मात्र उपाय है हनुमान चालीसा। 

कलयुग के जीते जागते यानी जीवित भगवान हैं श्री हनुमानजी। इसलिए दोस्तों हनुमान चालीसा पूरे श्रद्धा भाव से बिना बीच मे रुके, पूरा पढ़कर ही उठें। जिससे आपको हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त हो सकें और आपकी मनोकामनाएं भी पूरी हो सकें। 

2- कभी भी हनुमान चालीसा की चौपाइयों को बीच मे से पढ़ना शूरू न करें। शुरुआत से ही पढ़े, जब भी पढ़े। 

3- मित्रों, जिस चौपाई में लिखा है कि- तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजे नाथ हृदय मह डेरा। यहां तुलसी दास जी की जगह ,आपको आपना नाम लेना चाहिए। 

4- हनुमान चालीसा पढ़ते समय मन मे किसी भी प्रकार की नकारात्मकता को न आने दे। अपनी सोच को सकारात्मक रखें। 

5- हनुमान चालीसा पढ़ने से पहले श्री गणेश, श्री सीता राम जी का ध्यान जरूर करना चाहिए। इसके अलावा अपने कुल के देवी- देवताओं का भी ध्यान करना चाहिए  और फिर उसके बाद ही हनुमान चालीसा पढ़नी चाहिए। 

6- हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले हनुमान जी के चित्र या उनकी मूर्ति को गंगा जल या गंगा जल न हो तो साधारण शुद्ध जल से पवित्र करें। उन्हें तुलसी की माला या जनेऊ पहनाए और फिर हनुमानजी को उनकी पसंद का भोग लगाये। 

7- हनुमान चालीसा पढ़ने से पहले चमेली या देशी घी का दीप जरूर जलाये, दीपक की बाती यदि लाल धागे से बनी हो तो अति उत्तम है, अगर लाल धागा न हो तो रुई की बाती का इस्तेमाल करें और साथ ही एक लौटे मे जल भरकर रखें। 

8- हनुमान चालीसा पढ़ने से पहले उनकी मूर्ति या जो भी आपके पास चित्र है, उस चित्र या मूर्ति को एक पाट पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें और खुद कुश के आसन पर बैठ कर हनुमान चालीसा का पाठ करें। 

9- परिवार मे जब किसी की मौत हो जाती है तो वहां सूतक काल माना जाता है। जब तक सूतक काल रहता है तब तक हनुमान चालीसा का पाठ न करें और इनके अलावा अन्य देवी-देवताओं की भी पूजा नही करनी चाहिए। इस दौरान मंदिर मे प्रवेश भी नहीं करना चाहिए। 

10- कई लोग हनुमान चालीसा का पाठ तब करते हैं जब उनके ऊपर किसी प्रकार का कोई संकट होता है। अच्छी बात है मित्रों, संकट मे यदि अपने इष्ट को याद नही करेंगे तो किसे करेंगे, किसे पुकारेंगे पर दोस्तों आपको नही लगता कि ये गलत है। 

क्या ऐसा नही हो सकता की उन्हें सुख मे भी याद किया जाए। यदि उन्हें सुख मे भी याद करेंगे तो दुख होगा ही क्यों। कहते हैं न- दुःख मे सुमिरन सब करें, सुख मे करे न कोई, सुख मे सुमिरन सब करे, तो दुःख काहे को होए। 

इसलिए मित्रों हनुमान जी को केवल संकट पड़ने पर ही नहीं बल्कि अन्य सुख के दिनों मे भी याद करना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें हर्ष की प्राप्ति होती है, उन्हें अच्छा लगता है कि उनके भक्त उन्हें हर परिस्थिति मे याद करते हैं। 

नोट- मित्रों! हनुमान चालीसा हो या अन्य कोई भी पूजा, पाठ और स्तुति, इन्हें पढ़ने से पहले मन मे अटूट विश्वास, भरोसा होना बहुत ज़रूरी है।क्योंकि बिना विश्वास के कुछ भी नही है। फिर चाहे आपने कितनी ही शुद्धता और नियमों का पालन क्यों न किया हो। 

इसलिए दोस्तों हनुमान चालीसा या किसी भी स्तुति को पढ़ते समय मन मे पूरी श्रद्धा और विश्वास का होना बहुत जरूरी है। 

हम मनुष्यों का कर्त्तव्य है श्रद्धा भाव से कर्म करना और फल देना भगवान का कर्त्तव्य। वो हमे कैसा फल प्रदान करेंगे, ये उनकी मर्जी पर निर्भर करता है। पर इतना जरूर है मित्रों की वो जो करेंगे अच्छा ही करेंगे। 

कई बार ऐसा होता है मित्रों, कि हम बड़े प्रेम से, भक्ति भाव और श्रद्धा से पूजा करते हैं और उसका फल हमे विपरित ही मिलता है। जिससे भगवान पर से विश्वास उठ जाता है। जबकि दोस्तों! ऐसा नहीं होना चाहिये क्योंकि भगवान किसी के साथ गलत नही करते। 

हमे लगता जरूर है कि उन्होंने गलत किया है, पर वो  गलत होता नही है। फिर एक समय ऐसा आता है जब आपको खुद लगता है कि हां भगवान ने आपके साथ ठीक किया। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आपने बेटी की शादी तय की और ठीक शादी वाले दिन लड़का शादी करने के लिए मना कर दे तो ,उस समय आप भगवान को कोसते है कि पता नहीं भगवान ने किस बात की सजा दी है या फिर कहेंगे कि पता नहीं भगवान मेरे साथ ही ऐसा क्यों करते हैं ।

पर वहीं कुछ समय बाद आपको पता चलता है कि जिस लड़के से आपकी बेटी की शादी होने वाली थी, उसकी car accident मे मृत्यु हो गई। और उस वक़्त आप उसी भगवान का शुक्रिया करते हैं और एक-दूसरे से कहते कि हाँ! जो हुआ अच्छा हुआ। भगवान जो करते हैं, वो ठीक ही करते हैं। यदि उस दिन बेटी की शादी हो गई होती तो आज बेटी विधवा होती। 

दोस्तों भगवान की मर्जी का हम इंसानों को कुछ नहीं पता। उनकी माया वो ही जाने, इसलिए बिना किसी शिकायत के जीवन मे जो कुछ भी हो रहा है उसे भगवान का प्रसाद समझ कर स्वीकार करते रहें। इससे आपके जीवन मे सब मंगल ही मंगल होगा। 

इसके अलावा मित्रों एक बात ये भी है कि यदि जीवन मे सुख ही सुख होगा तो दुःख की कल्पना कैसे होगी। कैसे पता चलेगा कि ये दुःख है कि सुख। इसलिए भगवान पर पूरा विश्वास रखते हुए पूजा पाठ करें। ऐसा करने से आपको सफ़लता अवश्य प्राप्त होगी। आपकी पूजा स्वीकार होगी। 

आशा करते हैं दोस्तों कि, आपको जानकारी पसंद आई होगी। इसी के साथ विदा लेते हैं। अगली पोस्ट के साथ विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी। तब तक के लिए आप हंसते रहिए,मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए। 

धन्यवाद 

हमेशा अच्छे लोगों के साथ बुरा ही क्यों होता है ?

हनुमान चालीसा (हिंदी में ) | Hanuman Chalisa In Hindi  💖 💖

शुकदेवजी की समता। शुकदेव जी का वैराग्य

श्रीमृत्युञ्जयस्तोत्रम् /भगवान् चंद्रशेखर (चंद्राष्टकम   स्तोत्र) 


Previous Post Next Post