कलयुग कौन है ,कहाँ से आया,क्या चाहता है।

 प्रिय पाठकों !कैसे है आप लोग ,

आशा करते है की आप ठीक होंगे। 

भगवान् शिव आपका कल्याण करें

दोस्तों !जैसा की आप सभी लोग जानते है की कलयुग अपनी चरम सीमा पर है। हर जगह बस किसी न किसी कारण से दुःख ही देखने को मिलता है। धरती पर तो मानों जैसे  लोभ ,हत्याएं ,झूठ ,पाखंड,दरिद्रता ,आदि ने ही अपना स्थान बना लिया है। तो मित्रों आज हम इस पोस्ट में जानेंगे की कलयुग कौन है ,कहाँ से आया है और क्या कारण है इसके आने का ,तो चलिए बिना देरी किये साथ में पढ़ते है - 

कलयुग कौन है ,कहाँ से आया,क्या चाहता है।  

कलयुग कौन है ,कहाँ से आया,क्या चाहता है।
कलयुग कौन है ,कहाँ से आया,क्या चाहता है।  


कलयुग कौन है तथा उसके आने का क्या कारण है ?

कलयुग एक असुर है ,जो काल की आज्ञा से धरती पर अवतरित हुआ। उसका धरती पर आने का केवल एक ही मकसद था लोगों के मन में बुराईयां पैदा करना जैसे लालच ,चोरी ,झगड़ा,हत्या करना ,शराब पीना ,परस्त्री के साथ सम्बन्ध स्थापित करना आदि। 

कलयुग धरती पर कब आया ?

ये  बात उस समय की है ,जब भगवान् श्री कृष्ण मृत्युलोक यानि धरती पर अपनी लीला समाप्त कर चुके थे और उनके बाद पांडव भी इस संसार से विरक्त होकर अपने पौत्र परीक्षित को अपना राज्य सौंप कर स्वयं हिमालय चले गए। और कलयुग चुपचाप दबे पैर एक चोर की तरह मृत्यु लोक पर प्रवेश कर चूका था। 

एक दिन राजा परीक्षित शिकार खेलते -खेलते जंगल में बहुत दूर निकल गए,तब  कलयुग ने उनका रास्ता रोका। राजा परीक्षित को इस बात पर क्रोध आया और उन्होंने पूछा,इस तरह हमारा रास्ता रोकने वाले कौन हो तुम? 

तब कलयुग ने कहा - मेरा नाम कलियुग है और मैं काल की आज्ञा से धरती पर आया हूँ। मुझे यहाँ रहते बहुत दिन हो गए है और आज मैं आपके राज्य में प्रवेश करने जा रहा हूँ। 

राजा ने क्रोधित होते हुए अपना धनुष उठाया और तानते हुए कलियुग से कहा - तुम्हारी ये हिम्मत ,तुम्हारी ये दृष्टता कि मेरे रहते हुए तुम मेरे प्रदेश में निवास करना चाहते हो। इस सृष्टि से धर्म का नाश करना चाहते हो। इससे पहले की तुम ये अनर्थ करो, हम तुम्हारा ही नाश कर देते है। 

कलियुग ने कहा ! महाराज काल की गति किसी के बाणों से नहीं रुक सकती। राजन मैं आपकी शरण में आया हूँ,और शरण में आये हुए को स्थान देना आपका धर्म है ,इसलिए आप मुझे वो स्थान बताये जहाँ मैं निवास कर सकूँ। 

तब राजा परीक्षित ने कहा ! हम तुम्हे केवल चार स्थानों में रहने की अनुमति देते है ,पहला स्थान जहां जुआं खेला जाता हो ,दूसरा स्थान जहां मदिरापान किया जाता हो ,तीसरा स्थान जहां परस्त्री संग हो और चौथा स्थान जहां हिंसा होती हो।

तब कलियुग ने कहा -राजन ये चारों स्थान सीमित है आप मुझे कोई और स्थान भी प्रदान करें। 

राजा ने कहा - ठीक है ,धन में रजोगुण का वास होता सो तुम सोने में भी रह सकते हो। इतना सुनकर कलियुग राजा के सिर पर मौजूद सोने के मुकुट पर जाकर बैठ गया और  ठहाके मारकर हंसने लगा।  


कलयुग कौन है ,कहाँ से आया,क्या चाहता है।
कलयुग कौन है ,कहाँ से आया,क्या चाहता है।  


मित्रों उस दिन से लेकर आजतक कलियुग इसी तरह से धरती पर अपना जाल बिछाये हुए है। धरती पर कोई सुखी नहीं है। संसार का कोई ही कोना ऐसा होगा जो किसी न किसी महामारी ,बिमारी या बिगड़ी हुई अर्थव्यवस्था आदि से जूझ न रहा हो।

युगचक्र

दोस्तों !आपने पुराणों में युगचक्र के बारें में अवश्य पढ़ा होगा या फिर किसी गुरु आदि के मुख से सुना होगा। आपकी जानकारी के लिए संक्षिप्त में बताते है , मित्रों !

एक युग लाखों वर्षों का होता है। जो एक चक्र के समान गतिमान है। जिसके कारण हर युग के निश्चित समय के समाप्त होने के बाद,फिर से एक नए युग काआरम्भ होता है। 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सतयुग लगभग 17 लाख 28 हजार वर्ष का , त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार वर्ष का ,द्वापरयुग 8 लाख 64 हजार वर्ष का और कलयुग 4 लाख 32 हजार वर्ष का बताया गया है। 

काल गणना के अनुसार चार युगों की अवधारणा में सतयुग ,त्रेतायुग ,द्वापरयुग और सबसे अंतिम युग कलयुग ही है। 

कलयुग का अर्थ है -

कली की आयु ,अंधकार का युग , उपदुख की उम्र ,झगड़े और पाखंड का युग 

कलयुग के इस अर्थ को आप भलीभांति वर्तमान में हो रही भयानक स्थितयों को देख कर पहचान पा रहे होंगे। 

मित्रों !प्राचीन पुराणों को उठाकर यदि आप पढ़े ,तो आप जान पाएंगे की उसमे संसार के अंत को लेकर कई बाते बताई गई है। गीता में भी भगवान् विष्णु ने भी कलयुग  के शुरू होने और उसके अंत के बारे में स्पष्ट रूप से बताया है। 

ऐसा बताया जाता है की भगवान् शिव ने विष्णु जी को इस संसार की जिम्मेदारी सौंपी थी और भगवान् विष्णु ने ही गीता के कुछ भागों में कलयुग के आरम्भ और अंत के बारे में बताया है। जिसमे कलयुग के अंत होने का सबसे प्रमुख कारण एक महिला को बताया है। और कलयुग की शुरुआत होने के कुछ संकेतों का वर्णन भी दिया है।

जैसे -जब महिला अपने श्रृंगार रूपी बालों को काटने लगे ,बेटा अपने बाप पर हाथ उठाने लगे ,जब सविश्वयां घरों में रहकर भी खुद  सुरक्षित न समझने लगे ,हर जगह झूठ का बोलबाला और सत्य का कोई महत्व न रहे ,जब लोगों के मन से भय निकल जाए और लोग आत्महत्याएं करने लगे यानी अकालमृत्यु होने लगे।

प्रिय पाठकों आशा करते हैं कि आपको जानकारी पसंद आई होगी,ऐसी ही रौचक जानकारियों के साथ आपसे विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी। तब तक के लिए आप हंसते रहिए,मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए। 

धन्यबाद 

हर हर महादेव 

Faq 

कलयुग मे किसका राज चलता है?

कलयुग में झूठ, छल, कपट,घमंड और पाखंड का राज चलता है।

कलयुग मे किसकी भक्ति करनी चाहिए?

वास्तव में तो य़ह बात मनुष्य की अंतरात्मा पर निर्भर करता है कि वह किसकी भक्ति करें। मुसीबत का समय हो या खुशी का, दिल से सबसे पहले जिस भगवान का नाम पहले निकले या अधिकतर निकले, तो समझिए उन्हीं भगवान की भक्ति करनी चाहिए। फिर चाहे वो कलयुग हो या सतयुग या अन्य कोई युग । क्योंकि भगवान एक है पर उनके रूप अनेक। 

कलयुग मे भगवान शिव सबसे श्रेष्ठ है। इसके अलावा हनुमान जी कलयुग के जीवित देवता हैं और भगवान शिव के अंश है और भगवान शिव, राम जी के भक्त है। और राम जी विष्णु के अवतार 

भगवान शिव के अंश और राम जी के भक्त होने के कारण कलयुग मे हनुमान जी की पूजा अधिक होती हैं। इसलिए हनुमान जी की भक्ति करें या भगवान शिव की, बात एक ही है। 

कलयुग को कौन खत्म करेगा?

कलयुग का अंत कल्कि भगवान करेंगे। जो कि विष्णु के अवतार होंगे। इसलिए आप य़ह भी कह सकते हैं कि भगवान विष्णु ही कलयुग का अंत करेंगे। और  इस लड़ाई मे उनका साथ देंगे उनके प्रिय मित्र और भक्त भगवान शिव। 

विष्णु जी कल्कि रूप मे आकर अधर्मीयों का नाश करेंगे और भगवान शिव प्रलय लाकर नए युग की शुरुआत करेंगे।

कलयुग कितनी बार आ चुका है?

कलयुग अनंत बार आ चुका है। इसकी कोई गिनती नहीं है। इसका अनुमान लगाना सम्भव नहीं है। 

कलयुग में मनुष्य की आयु कितने वर्ष की होगी?

कलयुग मे मनुष्य की आयु 60 से 100 वर्ष के बीच मे होगी। लेकिन कलयुग मे सत्य और आध्यात्म के रास्ते पर चलकर 100 वर्ष से भी आयु मे जीया जा सकता है। ऐसे कई प्रमाण मौजूद है कलयुग मे। आप गुगल या अन्य प्लेटफॉर्म की सहायता से ऐसे लोगों के बारे मे जान सकते हैं। 

कलयुग सबसे अच्छा क्यों है?

सतयुग, द्वापर और त्रेता युग के मुकाबले, मनुष्य कलयुग मे  भगवान को जल्दी प्राप्त कर सकता है। क्योंकि कलयुग में किसी जप, तप, हवन आदि की जरूरत नही है। केवल श्रद्धा भाव से भगवान का नाम लेने से ही उद्धार हो जाएगा। जो की द्वापर, त्रेता और सतयुग मे संभव नहीं था। 

कौन से भगवान जल्दी प्रसन्न होते है?

देवो के देव महादेव यानी भगवान शिव जिन्हें भोलेनाथ,महाकाल,रुद्र नागेन्द्र आदि नामों से भी जाना जाता है। ये क्रोधित भी जल्दी होते हैं और प्रसन्न भी जल्दी होते हैं। 

कलयुग क्या चाहता है?

कलयुग का उद्देश्य है धरती पर से धर्म को हटाना, लोगोँ को सत्य के पथ से भटकाना,चारो तरफ झूठ का बोलबाला होना और कपटी, फरेबी,लोभी और अधर्मीयों को राजयोग प्रदान करना आदि। 

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