यज्ञ में या देवता के लिए की गयी पशु बलि भी पुण्यों को नष्ट कर देती हैं

धर्म ने कहा- 'ब्रह्मन् ! आपने यज्ञ में मृग को मार देने की केवल इच्छा की है, इसी से आपकी तपस्या का बहुत बड़ा भाग नष्ट हो गया है। यज्ञ या पूजन में पशु हिंसा उचित नहीं है.......

जय श्री राम प्रिय पाठकों! कैसे है आप लोग
आशा करते हैं कि आप ठीक होंगे। 

दोस्तो! स्वागत है आपका एक बार से विश्व ज्ञान मे। दोस्तों ,आज की इस पोस्ट में हम एक कहानी के जरिए जानने की कोशिश करेंगे कि इंसानो द्वारा दी जाने वाली पशु बलि उनके सभी पुण्यों को नष्ट कर देती है। 

यज्ञ में या देवता के लिए की गयी पशु बलि भी पुण्यों को नष्ट कर देती हैं।


यज्ञ में या देवता के लिए की गयी पशु बलि भी पुण्यों को नष्ट कर देती हैं
यज्ञ में या देवता के लिए की गयी पशु बलि भी पुण्यों को नष्ट कर देती हैं


विदर्भ देश में सत्य नाम का एक दरिद्र ब्राह्मण था। उसका विश्वास था कि देवता के लिए पशु-बलि देनी ही चाहिए। परन्तु दरिद्र होने के कारण न तो वह पशु-पालन कर सकता था और न बलिदान के लिए पशु खरीद ही सकता था। इसलिए कूष्माण्डादि फलों को ही पशु मान लेता और उनका बलिदान देकर हिंसा प्रधान यज्ञ एवं पूजन करता था।

एक तो वह ब्राह्मण स्वयं सदाचारी, तपस्वी, त्यागी और धर्मात्मा था और दूसरे उसकी पत्नी सुशीला प्रतिव्रता तथा तपस्विनी थी। उस साध्वी को पति का हिंसा प्रधान पूजन-यज्ञ कभी पसंद नही था। किन्तु पति की प्रसत्रता के लिए वह उनका सम्मान अनिच्छापूर्वक करती थी। 

कोई धर्माचरण की सच्ची इच्छा रखता हो और उससे अज्ञानवश कोई भूल होती हो तो उस भूल को स्वयं देवता सुधार देते हैं। उस तपस्वी ब्राह्मण से हिंसा पूर्ण संकल्प की जो भूल हो रही थी, 

उसे सुधारने के लिए धर्म स्वयं मृग का रूप धारण करके उसके पास आकर बोला- 'तुम अंगहीन यज्ञ कर रहे हो। पशु बलि का संकल्प करके केवल फलादि में पशु की कल्पना करने से पूरा फल नहीं होता। इसलिए तुम मेरा बलिदान करो।'

ब्राह्मण हिंसा-प्रधान यज्ञ-पूजन करते थे, पशु-बलि का संकल्प भी करते थे, किन्तु उन्होंने कभी पशु-बलि की नहीं थी। उनका कोमल हृदय मृग की हत्या करने को नहीं माना। इसलिए ब्राह्मण ने मृग को हृदय से लगाकर कहा-'तुम्हारा मंगल हो, तुम शीघ्र यहाँ से चले जाओ।'

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धर्म, जो मृग बनकर आया था, ब्राह्मण से बोला- 'आप मेरा वध कीजिये। यज्ञ में मारे जाने से मेरी सद्‌गति होगी और पशु बलि करके आप भी स्वर्ग प्राप्त करेंगे। आप इस समय स्वर्ग की अप्सराओं तथा गन्धवों के विचित्र विमानों को देख सकते हैं।'

ब्राह्मण यह भूल गया कि मृग ने छल से वही तर्क दिया है, जो बलिदान के पक्षपाती दिया करते हैं। स्वर्गीय विमानों तथा अप्सराओं को देखकर उसके मन में स्वर्ग प्राप्ति की कामना तीव्र हो गयी। उन्हें मृग का बलिदान कर देने का विचार किया।

अब मृग ने कहा- 'ब्राह्मण! सचमुच क्या दूसरे प्राणी की हिंसा करने से किसी का कल्याण कर सकते है ?'

ब्राह्मण ने सोचकर उत्तर दिया- 'एक का अनिष्ट करके दूसरा कैसे अपना हित कर सकता है।'

अब मृग अपने वास्तविक रूप में प्रकट हो गया। साक्षात् धर्मराज को सामने देखकर ब्राह्मण उनके चरणों पर गिर पड़ा। 

धर्म ने कहा- 'ब्रह्मन् ! आपने यज्ञ में मृग को मार देने की इच्छा मात्र की, इसी से आपकी तपस्या का बहुत बड़ा भाग नष्ट हो गया है। यज्ञ या पूजन में पशु हिंसा उचित नहीं है।'

अपने पुण्यों के नष्ट हो जाने से ब्राह्मण की आँखों मे आंसू आ गए। उसे अपनी गलती पर पश्चाताप हुआ और उसने उसी समय से यज्ञ-पूजन में पशु बलि का संकल्प भी त्याग दिया।

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दोस्तो जिस पर भगवान की कृपा हो या जिसे भावनाओं अपना ले ,उससे कभी कोई गलत कार्य नहीं हो सकता और यदि किसी कारणवश हो भी जाए तो उसका बुरा होने से पहले ही उसे रोक देते हैं। 

ठीक उसी प्रकार जैसे धर्मराज ने रूप बदल कर ब्राह्मण को सही दिशा दिखाई। उसे गलत करने से रोका। इसलिए मित्रों! भगवान पर भरोसा रखें। वे कभी कोई गलती नहीं करते। जो करते हैं, वो भले के लिय ही करते हैं। 

तो प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको कहानी। आशा करते हैं कि अच्छी-लगी होगी ।इसी के साथ विदा लेते हैं। अगली पोस्ट के साथ विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी। तब तक के लिय आप अपना ख्याल रखें, हंसते रहिए, मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए। 

धन्यवाद 

जय श्री राम 

Faqs 

यज्ञ के वैज्ञानिक लाभ क्या हैं?

यज्ञ से उत्पन्न धुआं हवा को शुद्ध करता है, जिससे वायु प्रदूषण कम हो सकता है और ऑक्सीजन का स्तर बढ़ सकता है।

हवन के क्या लाभ हैं?

हवन के लाभ इस प्रकार है-

हवन से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है। इससे तनाव कम होता है और मानसिक शांति मिलती है। यह हवा को भी शुद्ध करता है।

क्या हवन के पीछे कोई विज्ञान है?

कुछ अध्ययन बताते हैं कि हवन से उत्पन्न धुआं एंटीबैक्टीरियल होता है और हवा में मौजूद हानिकारक सूक्ष्मजीवों को कम कर सकता है।

क्या हवन रोज़ किया जा सकता है?

हाँ, मित्रों! हवन रोज़ किया जा सकता है। क्योंकि नियमित हवन से वातावरण में सकारात्मकता बढ़ती है और व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है।

हवन आपके लिए अच्छा है या बुरा?

हवन को आमतौर पर अच्छा माना जाता है क्योंकि यह हवा को शुद्ध करता है और सकारात्मक वातावरण बनाता है। लेकिन जिन लोगों को सांस की समस्या है, उन्हें धुएं से बचना चाहिए।

क्या हवन का धुआं फेफड़ों के लिए बुरा है?

हाँ ,अगर हवन का धुआं ज्यादा मात्रा में अंदर लिया जाए तो यह फेफड़ों के लिए हानिकारक हो सकता है, विशेषकर उन लोगों के लिए जिन्हें सांस की समस्या है। इसलिए हवन करते समय अच्छी वेंटिलेशन होनी चाहिए।

क्या हवन एक प्राकृतिक एंटीडोट है?

हाँ ,हवन को प्राकृतिक एंटीडोट माना जाता है क्योंकि यह हवा को शुद्ध करता है और हानिकारक जीवाणुओं को कम करता है, जिससे पर्यावरण स्वस्थ होता है।

क्या यज्ञ हवा को शुद्ध करता है?

हाँ, यज्ञ से उत्पन्न धुएं से हवा में प्रदूषण और सूक्ष्मजीवों की संख्या कम हो सकती है।

हिन्दू धर्म में हवन क्यों महत्वपूर्ण है?

हवन हिन्दू धर्म में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ईश्वर से जुड़ने, आशीर्वाद पाने और वातावरण को शुद्ध करने का एक तरीका है।

क्या हवन एक तंत्र है?

नही, हवन विशेष रूप से तंत्र नहीं है। तंत्र हिंदू धर्म की एक अलग शाखा है जिसमें विभिन्न आध्यात्मिक और धार्मिक क्रियाएं शामिल हैं।

कौन सा तंत्र सबसे शक्तिशाली है?

यह मान्यता पर निर्भर करता है। कुछ लोग महाविद्या तंत्र या श्री विद्या तंत्र को बहुत शक्तिशाली मानते हैं।

यज्ञ के क्या लाभ हैं?

यज्ञ के लाभों में हवा की शुद्धि, तनाव में कमी, सकारात्मकता में वृद्धि और आध्यात्मिक जुड़ाव शामिल हैं।

हवन के क्या लाभ हैं?

हवन के लाभ यज्ञ के समान हैं: हवा की शुद्धि, तनाव में कमी और सकारात्मक वातावरण का निर्माण।

सोम यज्ञ के क्या लाभ हैं?

सोम यज्ञ में विशेष रूप से सोम पौधे का उपयोग किया जाता है, जो शुद्धिकरण और उपचार में सहायक होता है, जिससे स्वास्थ्य और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं।

यज्ञ क्यों महत्वपूर्ण है?

यज्ञ इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वातावरण को संतुलित करने, आशीर्वाद प्राप्त करने, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने का एक तरीका है।

यज्ञ के देवता कौन हैं?

यज्ञ के देवता अग्नि हैं, जिन्हें देवताओं और मनुष्यों के बीच मध्यस्थ माना जाता है।

5 दैनिक यज्ञ कौन से हैं?

ब्रह्म यज्ञ (शास्त्रों का अध्ययन)

देव यज्ञ (देवताओं की पूजा)

पितृ यज्ञ (पूर्वजों को अर्पण)

भूत यज्ञ (जीवों को भोजन)

मनुष्य यज्ञ (अतिथियों का सत्कार)


यज्ञ का प्रभाव क्या है?

यज्ञ का प्रभाव वातावरण को शुद्ध करने, सकारात्मक ऊर्जा फैलाने और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने में देखा जाता है।

यज्ञ की शक्ति क्या है?

यज्ञ की शक्ति शुद्धिकरण, परिवर्तन और दिव्य से जुड़ने में है, जो जीवन में संतुलन और सामंजस्य लाता है।

यज्ञ का प्रतीक क्या है?

यज्ञ का प्रतीक अग्नि है, जो शुद्धिकरण, परिवर्तन और दिव्यता का प्रतिनिधित्व करता है।

दैनिक यज्ञ कैसे करें?

दैनिक यज्ञ एक छोटी सी आग जलाकर, घी और जड़ी-बूटियाँ चढ़ाकर, मंत्रों का जाप करके और ध्यान लगाकर किया जा सकता है, यह सब एक श्रद्धा और केंद्रित मानसिकता को बनाए रखते हुए किया जा सकता है।

क्या यज्ञ आवश्यक है?

यज्ञ आवश्यक नहीं है, लेकिन यह आध्यात्मिक विकास, पर्यावरण शुद्धिकरण और व्यक्तिगत लाभ के लिए अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।

यज्ञ क्यों?

यज्ञ इसलिए किया जाता है ताकि ब्रह्मांडीय संतुलन बना रहे, आशीर्वाद प्राप्त हो, वातावरण शुद्ध हो और आध्यात्मिक विकास हो सके।


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