किसी के मरने के बाद लगी क्यों लेते हैं

हर हर महादेव प्रिय पाठकों, कैसे है आप लोग ,हम आशा करते है कि आप ठीक होंगे। आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे कि किसी के मरने के बाद लगी क्यों लेते हैं 

किसी के मरने के बाद लगी क्यों लेते हैं ?

किसी के मरने के बाद लगी क्यों लेते हैं
किसी के मरने के बाद लगी क्यों लेते हैं 


मरने के बाद किसी व्यक्ति को "लगी" लेना (कर्मकांड) एक प्राचीन परंपरा है, जो विशेष रूप से भारतीय समाज और हिंदू धर्म में प्रचलित है। इसका धार्मिक, सामाजिक और मानसिक महत्व है। 

"लगी" का शाब्दिक अर्थ है किसी चीज़ से जुड़ाव या संपर्क। लेकिन जब इसे मृत्यु से संबंधित कर्मकांडों के संदर्भ में इस्तेमाल किया जाता है, तो इसका अर्थ थोड़ा अलग होता है। 

मृत्यु के बाद "लगी लेना" का मतलब उस व्यक्ति के प्रति किए गए अंतिम संस्कार और पूजा-पाठ से है, जिसमें मृतक की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण, या श्राद्ध जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। इसका उद्देश्य मृतक की आत्मा को सद्गति देना और उसकी स्मृति को सम्मानित करना होता है।

अर्थात, लगी लेना एक धार्मिक और सांस्कृतिक प्रक्रिया है, जो मृत्यु के बाद आत्मा को मुक्ति या शांति दिलाने के लिए की जाती है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:

1.आध्यात्मिक दृष्टिकोण

हिंदू धर्म में मृत्यु को केवल शरीर का त्याग माना जाता है, आत्मा का नहीं। आत्मा अमर होती है और नए जन्म की ओर बढ़ती है। "लगी लेना" का संबंध इस विचार से है कि मरने के बाद आत्मा को शांति मिल सके और वह अगले जन्म के लिए तैयार हो। इसके लिए पिंडदान और तर्पण जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं, ताकि आत्मा को मोक्ष या सद्गति मिल सके।

2.परिवार और समाज के प्रति कर्तव्य

मृत्यु के बाद परिवार के सदस्यों का यह कर्तव्य होता है कि वे मृतक की आत्मा के लिए प्रार्थना करें। यह कर्मकांड मृतक की स्मृति को जीवित रखने और परिवार को सांत्वना देने का भी एक तरीका होता है। साथ ही, यह परंपरा परिवार और समाज के बीच मृतक के प्रति सम्मान और सद्भावना का प्रतीक होती है।

 3.संस्कारों का महत्व

 हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद के संस्कारों का विशेष महत्व है। इन्हें "अंत्येष्टि" या "श्राद्ध" कहा जाता है। इन संस्कारों के द्वारा यह विश्वास किया जाता है कि मृतक की आत्मा को शांति मिलेगी और वह अपने कर्मों के आधार पर आगे बढ़ सकेगी। इससे आत्मा और परिवार दोनों को मानसिक शांति प्राप्त होती है।

4.भावनात्मक जुड़ाव

मृत्यु किसी भी परिवार के लिए बहुत बड़ा दुःख होता है। "लगी लेना" जैसे अनुष्ठान भावनात्मक रूप से परिवार को सहारा देते हैं, क्योंकि यह मृत्यु के बाद भी व्यक्ति के प्रति प्रेम और कर्तव्य का संकेत है। इन क्रियाओं के माध्यम से परिवार अपने दुःख को व्यक्त करता है और उस व्यक्ति को सम्मानपूर्वक विदा करता है।

5.समाज और परंपरा का पालन

किसी के मरने के बाद लगी क्यों लेते हैं
किसी के मरने के बाद लगी क्यों लेते हैं 


भारतीय समाज में परंपराओं का पालन करना महत्वपूर्ण माना जाता है। "लगी लेना" एक सामाजिक परंपरा है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है। इसे निभाना समाज में एक जिम्मेदारी और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि मृत्यु के बाद के कर्मकांड समय पर और सही ढंग से किए जाएं, ताकि मृतक की आत्मा को किसी प्रकार की बाधा न हो।

इस प्रकार, मरने के बाद लगी लेने की प्रथा धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इससे मृतक की आत्मा की शांति और परिवार के दुःख को सांत्वना मिलती है।

तो प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको पोस्ट ,हम आशा करते हैं कि आपकों पोस्ट पसंद आयी होगी। इसी के साथ विदा लेते हैं अगली रोचक, ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी ,तब तक के लिय आप अपना ख्याल रखे, हंसते रहिए, मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए।

धन्यवाद ,हर हर महादेव 

शायद आपको पसंद आए 




Previous Post Next Post