नवरात्रि में व्रत धारण करने वाले को भोजन करना चाहिए या नहीं ?

जय माता दी प्रिय पाठकों, कैसे है आप लोग ,हम आशा करते है कि आप ठीक होंगे। आज की इस पोस्ट में हम नवरात्रि में व्रत धारण करने वाले को भोजन करना चाहिए या नहीं ? के बारे मे जानेंगे।

नवरात्रि में व्रत धारण करने वाले को भोजन करना चाहिए या नहीं ? 

नवरात्रि में व्रत धारण करने वाले को भोजन करना चाहिए या नहीं ?
नवरात्रि में व्रत धारण करने वाले को भोजन करना चाहिए या नहीं ? 


नवरात्रि के व्रत के दौरान भोजन करने को लेकर विशेष नियम और परंपराएं होती हैं। इन व्रतों का पालन करने का उद्देश्य मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करना, शरीर और मन की शुद्धि करना, और भक्ति एवं संयम का पालन करना होता है। नवरात्रि के व्रत में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, इसके बारे में कुछ प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं-

1. सात्त्विक भोजन

नवरात्रि के व्रत में केवल सात्त्विक भोजन करना चाहिए। इसमें बिना लहसुन-प्याज के बना हुआ भोजन शामिल होता है। यह भोजन पवित्र और शुद्ध माना जाता है और शरीर और मन को शांत रखने में मदद करता है।

फल, सूखे मेवे, दूध, दही, और कुछ विशेष अनाज जैसे कि कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, और साबूदाना व्रत के दौरान खाया जा सकता है।

2. अनाज और दालों का परहेज 

नवरात्रि के व्रत में गेहूं, चावल, और अन्य अनाज तथा दालें नहीं खाई जाती हैं। इन्हें त्यागने का कारण है कि व्रत के समय शरीर को हल्का और शुद्ध रखा जाए।

इसके बजाय व्रत में फलों और व्रत के अनाजों से बने पकवान खाए जाते हैं, जैसे कुट्टू के पकौड़े, साबूदाने की खिचड़ी, और सिंघाड़े के आटे की रोटी।

3. कंदमूल और फलहार

नवरात्रि के व्रत में कंदमूल (जैसे आलू और शकरकंद) और फलहार (फल) का विशेष महत्व होता है। व्रतधारी इन्हें अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। यह भोजन हल्का होता है और व्रतधारियों को ऊर्जा प्रदान करता है। 

4. तेल और मसालों का सीमित प्रयोग

नवरात्रि में खाने में तेल और मसालों का सीमित उपयोग करना चाहिए। केवल सेंधा नमक (जो शुद्ध माना जाता है) का ही उपयोग करना चाहिए, साधारण नमक का प्रयोग व्रत में वर्जित होता है।

अत्यधिक तले हुए या मिर्च-मसाले वाले भोजन से परहेज करना चाहिए, क्योंकि ये व्रत की शुद्धता को प्रभावित कर सकते हैं।

5. पानी और फल-सब्जियों का सेवन

नवरात्रि के दौरान पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए ताकि शरीर में जल की कमी न हो। ताजे फल और सब्जियों का सेवन करना चाहिए क्योंकि ये शरीर को पोषण और ऊर्जा प्रदान करते हैं।

6. भोग का भोजन

नवरात्रि के समय, विशेष रूप से दुर्गा अष्टमी और नवमी के दिन मां दुर्गा के लिए भोग तैयार किया जाता है। यह भोग सात्त्विक होता है और इसे मां को अर्पित करने के बाद प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है। इस भोग को श्रद्धा और पवित्रता के साथ ग्रहण करना चाहिए।

7. पूरे व्रत के दौरान उपवास

कुछ लोग पूरे नवरात्रि के दौरान केवल पानी या फलाहार पर निर्भर रहते हैं। इसे कठिन व्रत कहा जाता है और यह संयम और आत्म-नियंत्रण का प्रतीक है। 

यदि कोई व्यक्ति पूरे समय उपवास नहीं कर सकता, तो वह एक समय फलाहार कर सकता है या सात्त्विक भोजन ग्रहण कर सकता है।

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निष्कर्ष 

नवरात्रि के व्रत में भोजन करना गलत नहीं है, लेकिन केवल शुद्ध, सात्त्विक, और व्रत के अनुसार अनुकूल भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। अनाज, लहसुन-प्याज, और मसालेदार भोजन से परहेज करना आवश्यक है। व्रत का उद्देश्य शरीर और मन की शुद्धि करना है, इसलिए हर व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य और शक्ति के अनुसार व्रत का पालन करना चाहिए। 

यदि कोई व्यक्ति स्वस्थ नहीं है या कोई विशेष परिस्थिति है, तो वह अपनी क्षमता के अनुसार व्रत का पालन कर सकता है। सबसे महत्वपूर्ण है कि व्रत को श्रद्धा, संयम, और सच्ची भक्ति के साथ किया जाए।

तो प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको पोस्ट ,हम आशा करते हैं कि आपकों पोस्ट पसंद आयी होगी। इसी के साथ विदा लेते हैं अगली रोचक, ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी ,तब तक के लिय आप अपना ख्याल रखे, हंसते रहिए, मुस्कराते रहिए और माँ स्मरण करते रहिए।

जय माता दी।

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