ॐ नमो नारायणाय मंत्र किस उपनिषद् से लिया गया है ?

हर हर महादेव प्रिय पाठकों, कैसे है आप लोग ,हम आशा करते है कि आप ठीक होंगे। आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे की ॐ नमो नारायणाय मंत्र किस उपनिषद् से लिया गया है ?

ॐ नमो नारायणाय मंत्र किस उपनिषद् से लिया गया है?

ॐ नमो नारायणाय मंत्र किस उपनिषद् से लिया गया है ?
ॐ नमो नारायणाय मंत्र किस उपनिषद् से लिया गया है ?


यह मंत्र 'श्रीमहानारायण उपनिषद्' से लिया गया है। 

इसका अर्थ है

स होवाच याज्ञवल्क्य- ऋषि याज्ञवल्क्य कहते हैं।

ॐ नमो नारायणायेति तारकं चिदात्मकमित्यु पासितव्यम् -"ॐ नमो नारायणाय" यह मंत्र तारक (मुक्तिदायक) और चिदात्मक (चेतना स्वरूप) है। इसका जप और ध्यान करना चाहिए।

ओमित्येकाक्षरमात्मस्वरूपम् "ॐ" यह एक अक्षर आत्मा का स्वरूप है। यह परमात्मा का प्रतीक है और इसे आत्मा का स्वरूप माना गया है।

नम इति द्वयक्षरं प्रकृति- स्वरूपम्- "नम" ये दो अक्षर प्रकृति (सृष्टि) का स्वरूप हैं। इसका अर्थ है, समर्पण और विनम्रता। 

सारांश में

यह मंत्र 'ॐ नमो नारायणाय' ब्रह्मांड की चेतना, आत्मा और प्रकृति का प्रतीक है। इसका जप हमें आत्मा के स्वरूप को समझने और परमात्मा से एकाकार होने की प्रेरणा देता है।

'ॐ नमो नारायणाय' मंत्र को वैदिक और उपनिषदिक परंपरा में अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना गया है। इसे विष्णु और नारायण के नाम का स्मरण करते हुए जप किया जाता है। इसके बारे में और जानकारी निम्नलिखित है:

1.मंत्र का महत्व- 'ॐ नमो नारायणाय' मंत्र को विष्णु या नारायण के अनन्य भक्तों द्वारा जप किया जाता है। यह मंत्र व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति, शांति और मोक्ष प्राप्त करने में सहायक माना जाता है। इसे जपने से व्यक्ति का चित्त शुद्ध होता है और वह भगवान की शरण में समर्पित होता है।

2.तारक मंत्र- इस मंत्र को 'तारक मंत्र' कहा गया है क्योंकि इसे जपने से व्यक्ति को संसार सागर (भवसागर) से मुक्ति मिलती है। 'तारक' शब्द का अर्थ होता है 'जो पार कराए', और इस मंत्र का उच्चारण व्यक्ति को संसारिक दुखों और बंधनों से मुक्त करता है।

3.उपनिषद में स्थान- श्रीमहानारायण उपनिषद में इस मंत्र की महिमा का वर्णन किया गया है। यह उपनिषद वैदिक साहित्य का हिस्सा है और विष्णु नारायण की महिमा और उनके परम तत्व स्वरूप को दर्शाता है। इसमें ऋषि याज्ञवल्क्य द्वारा इस मंत्र की शक्ति और प्रभाव का वर्णन मिलता है।

4.मंत्र का विभाजन और अर्थ

ॐ- यह एकाक्षर ब्रह्म है। इसे सृष्टि, स्थिति, और प्रलय का प्रतीक माना जाता है। यह ब्रह्मांड की परम शक्ति का संकेत है।

नमो इसका अर्थ है समर्पण, नम्रता, और विनम्रता। यह उस सर्वोच्च सत्ता के प्रति आत्मसमर्पण दर्शाता है।

नारायणाय नारायण भगवान विष्णु का एक नाम है, जिसका अर्थ है 'जो सभी प्राणियों का आश्रय है'। 

चर्पटपञ्चरिकास्तोत्र हिंदी में 

5. मंत्र जप के लाभ

इस मंत्र का नियमित जप मन को शांति, आध्यात्मिक संतुलन, और सकारात्मकता प्रदान करता है। इसे ध्यान और साधना के समय करने से व्यक्ति की एकाग्रता बढ़ती है और भगवान नारायण की कृपा प्राप्त होती है।

6. धार्मिक परंपरा में उपयोग

विष्णु भक्तों, विशेषकर वैष्णव संप्रदाय में, इस मंत्र का जप पूजा, ध्यान और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। इसे सभी आयु वर्ग के लोग जप सकते हैं और इसका उच्चारण करना साधारण और सरल होता है, जिससे इसे हर व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में शामिल कर सकता है।

यह मंत्र न केवल एक साधारण उच्चारण है, बल्कि व्यक्ति को भगवान से जोड़ने का एक माध्यम है, जो आत्मा की शुद्धि, संसार से मुक्ति और परम सत्य की प्राप्ति में सहायक है।

तो प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको पोस्ट ,हम आशा करते हैं कि आपकों पोस्ट पसंद आयी होगी। इसी के साथ विदा लेते हैं अगली रोचक, ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी ,तब तक के लिय आप अपना ख्याल रखे, हंसते रहिए, मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए।

धन्यवाद ,हर हर महादेव 

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