कैसा अंगूठा शुभ होता है/अंगूठे से जानिए व्यक्ति कैसा है ?

जिसका अंगूठा छोटा, बेडौल, बेढंगा और मोटा होता है वह असभ्य, उद्दण्ड और क्रूर होता है और उसी प्रकार का उसका व्यवहार होता है। पाशविकता की भावना उसके स्वभाव का प्रमुख अंग होती है। 

दूसरी ओर जिस पुरुष या स्त्री का अंगूठा लम्बा और अच्छे आकार का होता है वह उच्च बौद्धिक स्तर का और सुसंस्कृत होता है। ऐसा व्यक्ति अपनी अभिलाषा या उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए अपनी बौद्धिक शक्ति का उपयोग करता है जबकि छोटे और मोटे अंगूठे  वाला व्यक्ति ऐसी परिस्थिति में अपनी पाशविक शक्ति का प्रदर्शन करता है। 

अतः अंगूठा लम्बा और हाथ में पुष्टता से जुड़ा होना चाहिए। वह करतल से सीधे कोण (Right angle) में स्थित होना  शुभ होता है।और उसका हाथ की तरफ अधिक निकट होना अशुभ होता है। उसका अंगुलियों की ओर ढलान होना चाहिए; परन्तु उनके ऊपर गिरना नहीं चाहिए।


हर हर महादेव प्रिय पाठकों ! कैसे है आप लोग, 
आशा करते है आप सभी सकुशल होंगे। 
भगवान् शिव की कृपा दृष्टी आप पर बनी रहे। .


Kaisa angutha shubh hota hai


प्रिय पाठकों !पिछली पोस्ट में आपने हाथों के बारे में पढ़ा। हाथों की तरह अंगूठों की भी एक अपनी अलग पहचान है। अंगूठे भी अपने आकारों द्वारा व्यक्ति के बारें में बहुत कुछ दर्शाते है। आज इस पोस्ट में हम अंगूठों की महत्ताओं के बारें में जानेंगे।


 what do hands say/palmistry/क्या कहते है हाथ/हस्तरेखा शास्त्र


हाथ का अंगूठा
Thumb of hand

हाथ का अंगूठा इतने महत्त्व का माना गया है कि उसके लिए हमने एक पृथक प्रकरण रखना आवश्यक समझा है। अंगूठे का विषय हाथ की बनावट सम्बन्धी अध्ययन ही के लिए आवश्यक नहीं है, बल्कि हाथ की रेखाओं आदि का विवेचन करने में भी अंगूठे के प्रभाव को ध्यान में रखने की आवश्यकता होती है। हस्त विज्ञान की यथार्थता अंगूठे के अध्ययन पर बहुत निर्भर है।

प्रत्येक युग में अंगूठे ने संसार भर में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। यह सर्वज्ञात है कि पूर्वी देशों में जब बंदी को बन्दीकर्ता के सम्मुख लाया जाता था तो यदि वह अपने अंगूठे को अपनी अंगुलियों से ढांप लेता था तो यह समझा जाता था कि उसने आत्मसमर्पण कर दिया है और वह दया की भीख मांग रहा है। इजराइल के लोग युद्ध में अपने शत्रुओं के अंगूठे काट दिया करते थे। 

भारत में हाथ की परीक्षा की विविध पद्धतियां प्रयोग की जाती है, उन सब में अंगूठे की परीक्षा को प्रमुख स्थान दिया जाता है , चीन के निवासी भी हस्त विज्ञान में विश्वास रखते हैं और हस्त-परीक्षा केवल अंगूठे की परीक्षा से ही करते हैं। यह भी एक मनोरंजक बात है कि इसाई धर्म में भी अंगूठे को एक सम्मानपूर्ण भूमिका दी गयी है। 

धर्मानुसार अंगूठा ईश्वर का प्रतिनिधित्व करता है। अंगूठे को प्रथम अंगुली सम्बोधित करके जीसस क्राइस्ट माना है, जो ईश्वर की इच्छा को व्यक्त करता है। अंगूठा ही हाथ की ऐसी अंगुली है जो अपनी स्थिति के आधार पर अन्य अंगुलियों से पृथक स्वतंत्रता रखता है और उनकी क्रिया के बिना सीधा खड़ा हो सकता है। ग्रीक चर्च के बिशप अंगूठे और उसके बाद वाली अंगुली के द्वारा आशीर्वाद दिया करते थे।

प्रिय पाठकों ! सबसे अधिक उल्लेखनीय बात यह है कि अंगूठा मस्तिष्क के अंगूठा-केन्द्र (Thumb centre) से सम्बन्धित है।

पक्षाघात या लकवा एक वायुजनित स्नायु रोग है। जिन लोगों को पक्षाघात होता है, उनके शरीर का एक भाग संचालन योग्य नहीं रहता। स्नायु रोग के कुछ विशेषज्ञ ऐसे भी हैं जो जिस व्यक्ति को पक्षाघात का रोग होने वाला है, उसके हाथ के अंगूठे की परीक्षा करके वर्षों पूर्व बता देते हैं कि कई वर्ष आगे चलकर यह रोग उसके शरीर  को ग्रसित करेगा, इसके चिन्ह या लक्षण शरीर के किसी अन्य भाग में नहीं मिलते।

अंगूठे से केवल रोग मालूम ही नहीं हो जाता है, बल्कि उसको रोका भी जा सकता है। ऐसा करने के लिए मस्तिष्क में जो अंगूठे का केन्द्र है (Thumb centre of the brain) उसमें आपरेशन किया जाता है (यह भी अंगूठे की ही परीक्षा से किया जा सकता है) तो भविष्य में रोग होने की आशंका दूर हो जाती है। ऐसा सजीव और सर्वज्ञात प्रमाण होते हुए भी लोग हस्त-परीक्षा विज्ञान पर विश्वास करने को तैयार नहीं होते।

एक बार प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉक्टर फ्रेंसिस गाल्टन ने प्रदर्शन करके प्रमाणित कर दिया था कि अंगूठे की त्वचा में जो लहरदार सूक्ष्म धारियां होती हैं उनके द्वारा अपराधियों को पकड़ा जा सकता है। अब भी दाइयों (बच्चों को जन्माने में सहायता देने वाली स्त्रिया) का यह कथन प्रचलित है कि यदि जन्म के कुछ दिन बाद तक बच्चा अपना अंगूठा अंगुलियों के अन्दर दबाये रहे तो उसको शारीरिक निर्बलता होगी।

यदि कोई अपंगाश्रम या उपचारालय (Asylum) में जाये तो देखेगा कि जो बच्चे, पुरुष या स्त्री जन्म से जड़ बुद्धि वाले होते हैं, उनके अंगूठे अत्यन्त निर्बल होते हैं। कुछ तो बिल्कुल ही अविकसित होते हैं। जिन लोगों का मन कमजोर होता है, उनके अंगूठे निर्बल होते हैं। जो व्यक्ति अंगूठे को अंगुलियों से दबाकर बात करता दिखाई दे तो यह समझना चाहिए कि उसमें आत्मविश्वास और आत्म-निर्भरता की बहुत कमी है।

अंगूठा किसका केंद्र होता है 
what is the center of the thumb

मृत्यु के समय जब मनुष्य की विचार-शक्ति का हास हो जाता है तब अंगूठे इस प्रकार निर्जीव न हों तो मरीज के बचने की आशा की जा सकती है, क्योंकि अंगूठा चैतन्यता का केन्द्र होता है।

हस्तविज्ञान-वेत्ता D. Arpentigny के अनुसार अंगूठा मनुष्य के बारे में क्या कहता है।According to palmist D. Arpentigny, what does the thumb say about man.

फ्रांस के उन्नीसवीं शताब्दी के प्रसिद्ध हस्तविज्ञान-वेत्ता D. Arpentigny के अनुसार अंगूठा मनुष्य को व्यक्तित्व देता है। (Thethumb individualises the man)। चिम्पैन्जी (Chimpanzee) का हाथ मनुष्य के हाथ के समान तो नहीं होता; लेकिन यदि नापा जाये तो उसका अंगूठा तर्जनी के मूल तक भी नहीं पहुंचता। इससे यह अर्थ निकलता है कि अंगूठा जितना ऊंचा हो और आनुपातिकता में अच्छा हो, बौद्धिक क्षमतायें उतनी ही अधिक प्रबल होती हैं। यदि बनावट इसके विपरीत हो तो परिणाम भी विपरीत होता है।

कैसा अंगूठा शुभ होता है। 
What kind of thumb is good?

जिसका अंगूठा छोटा, बेडौल, बेढंगा और मोटा होता है वह असभ्य, उद्दण्ड और क्रूर होता है और उसी प्रकार का उसका व्यवहार होता है। पाशविकता की भावना उसके स्वभाव का प्रमुख अंग होती है। दूसरी ओर जिस पुरुष या स्त्री का अंगूठा लम्बा और अच्छे आकार का होता है वह उच्च बौद्धिक स्तर का और सुसंस्कृत होता है। 

ऐसा व्यक्ति अपनी अभिलाषा या उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए अपनी बौद्धिक शक्ति का उपयोग करता है जबकि छोटे और मोटे अंगूठे  वाला व्यक्ति ऐसी परिस्थिति में अपनी पाशविक शक्ति का प्रदर्शन करता है।

अतः अंगूठा लम्बा और हाथ में पुष्टता से जुड़ा होना चाहिए। वह करतल से सीधे कोण (Right angle) में स्थित होना  शुभ होता है।और उसका हाथ की तरफ अधिक निकट होना अशुभ होता है। उसका अंगुलियों की ओर ढलान होना चाहिए; परन्तु उनके ऊपर गिरना नहीं चाहिए।

जब अंगूठा हाथ से दूर सीधे कोण में होता है तो स्वभाव या प्रकृति सीमाओं का उल्लंघन कर जाती है और जातक एकदम स्वतन्त्र बन जाता है। इस प्रकार के स्वभाव वालों पर नियन्त्रण करना कठिन होता है। उन्हें विरोध बिल्कुल पसन्द नहीं होता और आक्रामक और उददण्ड बन जाते हैं। 

जब अंगूठे की बनावट ठीक और अच्छी हो, परन्तु वह नोचे को गिरा हुआ हो और अंगुलियों की ओर क्लिष्ट (ऐठा हुआ) हो, तो जातक में स्वतन्त्र बनने की क्षमता नहीं होती। यह जानना कठिन होता है कि ऐसे व्यक्ति के मन पर किस प्रकार की भावनाओं और विचारों का अधिकार होता है। 

यदि उसका अंगूठा लम्बा हो तो वह अपने विरोधी या प्रतिस्पर्धी को अपनी बौद्धिक योग्यता द्वारा पराजित करने का प्रयत्न करता है। परन्तु अंगूठा छोटा और मोटा हुआ तो वह हिंसात्मक योजना बनाकर उपयुक्त अवसर की प्रतीक्षा करता है। 

जब कोई सुपुष्ट अंगूठा इन दोनों सीमाओं  का उल्लंघन करने वाले अंगूठों की तरह न हो तो जातक में ऐसी स्वतंत्रता की भावनायें उत्पन्न करेगा जिनसे वह गौरव और प्रतिष्ठा प्राप्त करेगा और उसका नैतिक स्तर ऊंचा उठेगा। वह अपने कार्यों में सावधानी बरतेगा और उसमें  इच्छा शक्ति और निर्णय लेने की क्षमता प्रचुर मात्रा में होगी। 

ऊपर दिये तथ्यों के विश्लेषण से हम इस निर्णय पर पहुंचते हैं-

(1) सुनिर्मित लम्बा अंगूठा बौद्धिक इच्छाशक्ति को प्रबलता देता है।

(2) छोटा मोटा अंगूठा पाशविक भावना और शक्ति तथा हठधर्मी का सूचक है।

(3) छोटा और निर्बल अंगूठा इच्छाशक्ति की कमजोरी और कार्यशक्ति की अपर्याप्तता का सूचक है।

अंगूठे को कितने भागों में विभाजित किया गया है 
Into how many parts is the thumb divided?

अविस्मरणीय समय से अंगूठे को तीन भागों में विभाजित किया गया है जो संसार पर आधिपत्य रखने वाली तीन महान शक्तियों के प्रतीक हैं-प्रेम (अनुराग), तर्क शक्ति (युक्ति संगतता) और इच्छा शक्ति। अंगूठे का प्रथम पर्व इच्छा शक्ति का, दूसरा तर्कशक्ति का और तीसरा, जहां शुक्र क्षेत्र आरम्भ होता है, प्रेम का सूचक होता है।

जब अंगूठा संतुलित या समान रूप से विकसित न हो तो जातक की प्रकृति में कुछ दोष पाये जाते हैं-प्रथम पर्व अत्यन्त लम्बा हो तो जातक तर्कशक्ति या युक्तिसंगतता पर बिल्कुल निर्भर नहीं होता; उसको केवल अपनी इच्छाशक्ति पर ही विश्वास होता है। और उसी को वह इस्तेमाल करता है।

जब दूसरा पर्व प्रथम पर्व से अत्यधिक लम्बा हो तो जातक शान्तिप्रिय होता है। और हर काम को युक्ति-संगतता से सम्पन्न करना चाहता है; परन्तु उसमें अपनी योजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए इच्छाशक्ति और दृढ़ निश्चय नहीं होता।

जब तीसरा पर्व लम्बा होता है और अंगूठा छोटा होता है तो पुरुष या स्त्री की विषय-वासना की ओर प्रबल प्रवृत्ति होती है।

अंगूठे के सम्बन्ध में अध्ययन करना हो तो यह भी देखना चाहिए कि अपने प्रथम जोड़ पर लचीला है, सख्त है या तना हुआ है। यदि लचीला हो तो वह पीछे मुड़कर कमान का या मेहराब का आकार धारण कर लेता है। 

यदि वह बेलोच हो तो प्रथम पर्व को दबाने से पीछे की ओर नहीं मोड़ा जा सकता। ये दोनों एक-दूसरे से विपरीत गुण मनुष्य के स्वभाव और उसके आचरण से घनिष्ठ सम्बन्ध रखते हैं। आप इन्हे इन चित्रों द्वारा पहचान सकते है। 

kaisa angutha shubh hota hai/What kind of thumb is good/कैसा अंगूठा शुभ होता है।


(क) गदा के आकार का अंगूठा।  (a) Mace-shaped thumb.

(ख) लचकदार (पीछे की ओर मुड़ने वाला)।  (b) flexible (turning backwards).

(ग) बेलोच, सख्त या तना हुआ अंगूठा ।  (c) Elastic, hard or taut thumb.

(घ) द्वितीय पर्व बीच से पतला है।  (d) The second part is thinner than the middle.

(ङ) द्वितीय पर्व न मोटा न पतला।  (e) The second part is neither fat nor thin.

(च) द्वितीय पर्व बीच से मोटा है। अंगूठा भी छोटा  (f) The second parva is thicker than the middle. thumb too short

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लचीला अंगूठा 
flexible thumb

यदि अंगूठा अपने प्रथम जोड़ पर सरलता से पीछे की ओर मुड़ जाता है तो जातक फिजूल खर्च करने वाला होता है। वह अपने विचारों में, स्वभाव में हर बात में लचीला होता है। न उसे धन की परवाह होती है, न समय की। 

ऐसे लोगों का स्वभाव ऐसा होता है कि वे अपने आपको हर प्रकार के लोगों और परिस्थितियों के अनुकूल बना लेते हैं। हर समाज में बिना कठिनाई के घुल-मिल जाते हैं। 

उनको अपने सजातीय लोगों, सम्बन्धियों और देश के प्रति भावात्मक प्रेम होता है। उन्हे कोई भी काम नया नहीं लगता। वे जहां भी जाते हैं उन्हें किसी कठिनाई का अनुभव नहीं होता। 

बेलोच या दृढ़ जोड़ अंगूठा 
flexed or rigid joint

सामान्य तौर पर जो कुछ हमने ऊपर लचीले अंगूठे के सम्बन्ध में लिखा है उससे विपरीत गुण बेलोच अंगूठे में होते हैं। ऐसे अंगूठे वाले अधिक व्यावहारिक होते हैं। उन की इच्छाशक्ति प्रबल होती है। उनमें हठपूर्ण निश्चय शक्ति होती है जो उनके स्वभाव को और भी अधिक दृढ़ बना देती है। 

यही गुण उनको सफलता दिलवाने वाले होते हैं। वे हर कदम सावधानी से उठाते हैं और अपने मन की बात मन-ही-मन में रखते हैं। जबकि लचीले अंगूठे वाले जल्दबाजी करते हैं, बेलोच अंगूठे सोच-विचार के बाद काम करने को प्रधानता देते हैं। 

ये लोग लचीले अंगूठे वालों के समान बार-बार अपने विचारों में परिवर्तन नहीं करते। जब किसी निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं तो उस पर डटे रहते हैं। वे उद्देश्य की पूर्ति के लिए हठधर्मी बन जाते हैं और विरोध को कुचल डालते हैं। 

वे अपने घर और देश की उन्नति में दिलचस्पी रखते हैं, उनमें सुधार करने का भरसक प्रयत्न करते हैं और पूर्णतया योगदान देते हैं। वे अपने प्रेम या स्नेह का प्रदर्शन करना पसन्द नहीं करते। युद्ध में वे अपने प्राण दे देते हैं; परन्तु पीछे नहीं हटते। कला के क्षेत्र में अपने व्यक्तित्व की और वैयक्तिक प्रतिभा की छाप डालते हैं। वे शक्तिशाली शासक बनते हैं।

संक्षेप में यह समझना चाहिए कि लचक और पीछे की ओर झुकाव होने से कल्पना, भावुकता, उदारता आदि गुण तथा फिजूलखर्ची तथा विचारों की अधिकता के कारण उनमें योजनाओं को कार्यान्वित न कर सकना आदि अवगुण होते हैं। 

यदि लचक न हो तो सांसारिक कार्यक्षमता, परिश्रम, मितव्ययता आदि गुण होते हैं; परन्तु कला और सौंदर्य का आकर्षण, विचारों का विस्तार, प्रेम-प्रदर्शन आदि गुण नहीं होते। 

अंगूठे का प्रथम पर्व 
first thumb

यदि प्रथम पर्व दृढ़ और सामान्य से अधिक लम्बा हो तो जैसा हम कह चुके हैं, ऐसा मनुष्य तर्क या विचार को काम में नहीं लेता, केवल अपनी इच्छा या प्रवृत्ति के अनुसार काम करता है। 

अंगूठे का प्रथम पर्व यदि बहुत छोटा और कमजोर हो तथा शुक्र का क्षेत्र बहुत उन्नत हो तो मनुष्य काम-वासना के वशीभूत हो जाता है और मन में संयम की कमी होती है। यदि स्त्री का हाथ इस प्रकार का हो तो वह शीघ्र पर पुरुष के बहकावे में आ जाती है। 

जिसके अंगूठे का प्रथम पर्व बलिष्ठ होता है उसमें विचार की दृढ़ता होती है, इस कारण उसे कोई सरलता से बहका नहीं सकता। 

यदि पहला पर्व मोटा और भारी हो और नाखून चपटा हो तो ऐसे व्यक्ति को बहुत प्रबल क्रोध आता है। वह क्रोध में सब भूल जाता है। अंगूठे का आगे का हिस्सा बिल्कुल 'गदा' की तरह हो तो जातक क्रोध आने पर उचित अनुचित का विचार नहीं करता। 

अंगूठे की प्रथम और द्वितीय गांठ (सन्धि) यदि सख्त हो तो और भी अधिक क्रोध आता है। ऐसे व्यक्ति हिंसक होते हैं और क्रोध के आवेश में हत्या भी कर सकते हैं। यदि प्रथम पर्व चपटा हो तो मनुष्य शान्त प्रकृति का होता है। 

अंगूठे का दूसरा पर्व 
second thumb

अंगूठे में यह बहुत ध्यान देने योग्य बात है कि दूसरे पर्व की बनावट कैसी है। यह बनावट भिन्न-भिन्न प्रकार की होती है और इससे मनुष्य की प्रकृति का निश्चित संकेत मिलता है। दो मुख्य बनावटें जो सामान्यतः देखने में आती हैं, वे इस प्रकार हैं- 

(1) बीच में पतला कमर की तरह दिखने वाला [चित्र (घ)]। 

(2) उसके विपरीत शकल का पूरा भरा हुआ और बेढंगा [चित्र संख्या (च)]। 

अंगूठे की सुगठन मनुष्य के उच्च बौद्धिक स्तर और उसके उच्च विकास की सूचक है और बेढंगी गठन इस बात की ओर संकेत देती है कि जातक अपनी उद्देश्यपूर्ति के लिए पाशविक शक्ति का उपयोग करता है। कमर की तरह पतली बनावट सुगठन का एक अंग है और मानसिक शक्ति की द्योतक है। 

पतला होने से नीति कुशलता आती है और जातक के व्यवहार में चतुरता प्रधान भूमिका अदा करती है। दुर्भाग्य से यदि दूसरा पर्व बीच में अत्यन्त पतला हो तो उसको शुभ लक्षण नहीं मानना चाहिए। 

ऐसी बनावट के कारण स्नायु शक्ति (Nervous Energy) कमजोर हो जाती है और जातक विचार करते-करते घबरा जाता है। यदि द्वितीय पर्व बहुत लम्बा हो तो जातक प्रत्येक विषय पर लम्बी बात करता है; परन्तु किसी का विश्वास नहीं करता। यदि साधारण लम्बा हो तो तर्क शक्ति अच्छी होती है। 

वह प्रत्येक बात का सब दृष्टिकोणों से विश्लेषण करता है। यदि पर्व छोटा है। तो तर्क शक्ति निर्बल होती है। यदि बहुत छोटा हो तो बौद्धिक क्षमता की कमी होती है। ऐसा व्यक्ति किसी कार्य के करने से पूर्व उस पर विचार भी नहीं करना चाहता। 

अंगूठे की बनावट के साथ-साथ यह भी ध्यान में रखना चाहिये कि हाथ कठोर है या कोमल है। यदि हाथ कठोर हो तो, अंगूठे की दृढ़ता और स्फूर्ति की स्वाभाविक प्रवृत्ति की पुष्टि होती है। सुंगठित कठोर हाथ और विकसित अंगूठे के स्वामी कोमल हाथ वालों की अपेक्षा अधिक दृढ़ निश्चयी होते हैं। 

जब अंगूठे में तो उपर्युक्त गुण हों, परन्तु करतल कोमल हो तो ऐसा व्यक्ति कभी तो अपनी योजनाओं को कार्यान्वित करने में तेजी से कार्य करता है और कभी एकदम शिथिल पड़ जाता है। ऐसे व्यक्ति से सफलता की आशा करना व्यर्थ है। 

हाथ के द्वारा मनुष्य की प्रकृति का अध्ययन करने में उन लोगों पर विशेष रूप से ध्यान जाता है जिनका अंगूठा लचीला होने के कारण पीछे की ओर मुड़ जाता है। ऐसे व्यक्ति में नैतिकता को अधिक महत्व न देने की प्रवृत्ति होती है जो सीधे और दृढ़ अंगूठे वालों में पाई जाती है। वह साधारणतया अपने आवेशों और भावनाओं के साथ ही बहता रहता है।

सामुद्रिक तिलक(शास्त्र )के अनुसार अंगूठे क्या दर्शाता है ?
What does the thumb represent according to Samudrik Tilak (Shastra)?

सामुद्रिक तिलक' नामक हिन्दू ग्रन्थ में लिखा है कि अंगूठा सीधा, चिकना, ऊंचा, गोल, दाहिनी ओर घूमा हुआ हो, उसके पर्व सघन हों अर्थात् एक-दूसरे से अच्छी तरह मिले और मांसल हों और बराबर हों तो जातक धनवान होता है। 

जिसके अंगूठों के पर्वो में 'यव' के चिन्ह स्पष्ट हों, वह भाग्यवान होता है। जिसके अंगूठे के मूल पर ‘यव' हो वह विद्वान और पुत्रवान होता है। जिसके अंगूठे के मध्य में 'यव' चिन्ह हों वह धन, सुवर्ण, रत्न आदि प्राप्त करता है, और भोगी होता है। 

यदि अंगूठे के मूल में चारों ओर घूमने वाली तीन ‘यवों' की माला हो तो ऐसा व्यक्ति राजा या राजा का मन्त्री होता है। अनेक हाथी उसके पास रहते हैं। यदि केवल दो 'यव माला' हों तो भी व्यक्ति राज पूजित होता है। अर्थात् उच्च पदवी पाता है। 

punya daan ki mahima (A real story) पुण्यदान की महिमा

'प्रयोग पारिजात' नामक ग्रन्थ के अनुसार अंगूठे क्या दर्शाता है ?
What does the thumb represent according to the book 'Prayog Parijat'?

'प्रयोग पारिजात' नामक ग्रन्थ के मतानुसार यदि अंगूठे के मूल में एक भी यव माला हो तो भी मनुष्य समृद्धिशाली होता है। यदि अंगूठे के नीचे काकपद हो तो वृद्धावस्था में कष्ट प्राप्त होता है। 'यव' का चिन्ह दो रेखाओं से बनता है-एक रेखा ऊपर कुछ गोलाई लिये हुये, एक रेखा नीचे कुछ गोलाई लिए हुए। इन रेखाओं के बीच में जो भाग होता है वह 'जौ के दाने' की तरह लम्बा, दोनों सिरों पर पतला और बीच में मोटा होता है।

(नारदीय संहिता) के अनुसार अंगूठे क्या दर्शाता है ?
What does the thumb represent according to (Naradiya Samhita)?

'यव' चिन्ह को हिन्दू-शास्त्र में बहुत अधिक शुभ माना गया है- अमत्स्यस्य कुतो विद्या अयवस्य कुतो धनम् (नारदीय संहिता) अर्थात् जिसके हाथ में मत्स्य चिन्ह नहीं होगा वह पूर्ण विद्वान् कैसे हो सकता है ? यदि 'यव' चिन्ह न हो तो धनी कैसे होगा ? 

'विवेक विलास' के अनुसार अंगूठे के मूल में 'यव' चिन्ह हों तो विद्या, ख्याति, और विभूति (ऐश्वर्य) प्राप्त होते हैं। यदि शुक्ल पक्ष जन्म हो तो दाहिने हाथ के अंगूठे से विचार करना चाहिए। यदि कृष्ण पक्ष में जन्म हो तो बायें हाथ के अंगूठे से विचार करना उचित होगा। यदि एक भी ‘यव' हो तो मनुष्य श्रीमान् होता है। 

यदि स्त्रियों के हाथ में गोल, सीधा, गोल नाखून वाला मुलायम अंगूठा हो तो शुभ होता है। जिन स्त्रियों के अंगूठे तथा अंगुलियों में ‘यव' का चिन्ह हो और ‘यव' के ऊपर और नीचे की रेखायें बराबर हों तो ऐसी स्त्रियां बहुत धन-धान्य की स्वामिनी होती हैं और सुख भोगती हैं।

प्रिय पाठकों !आशा करते है आपको पोस्ट पसंद आई होगी। विश्वज्ञान में ऐसी ही अन्य रोचक जानकारियों के साथ फिर मुलाक़ात होगी। तब तक के लिए हँसते रहिये ,मुस्कुराते रहिये और प्रभु को याद करते रहिये। जय जय राधे श्याम 

धन्यवाद 



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