क्या कहते है हाथ/हस्तरेखा शास्त्र

क्या कहते है हाथ/ हस्तरेखा शास्त्र 


आज हम उन्ही निम्न प्रकार के हाथो के बारे मे जानेंगे की किस प्रकार का हाथ किस प्रकार की विशेषता रखता है या सरल भाषा मे कहे तो क्या कहते है हाथ।what do hands say तो चलिए बिना देरी किये पढ़ते हैं,हाथों की रचना के बारे मे।

हैलो मित्रों!  आप कैसे हैं

आशा है आप सब सकुशल होंगे।

भगवान शिव की कृपा आप पर बनी रहे।


हाथ सात प्रकार के होते हैं और प्रत्येक प्रकार के हाथ में सात प्रकार की विशेषताएं होती हैं।

सात प्रकार के हाथ इस प्रकार है। The seven types of hands are as follows.

(1) निम्न श्रेणी का हाथ (elemmentary)

(2) कार या उपयोगी हाथा (square)

(3) चमसाकार हाथ (stapailate)

(4) दार्शनिक हाथ या गाठार हाथ (philosophic)

(३) सोकोला या कलापूर्ण हाथ (conic or artistic)

(क) बहुत नोकोला या आदर्श (psychic)

(7) मिश्रित (mixed)

सात प्रकार की विशेषताएं हमें सात प्रकार के हाथों के सम्मिश्रण से प्राप्त होती हैं। ये इस प्रकार हैं-

(1)हाथ छोटी वर्गाकार अंगुलियों के साथ; (2) लम्बी वर्गाकार अंगुलियों के साथ; गाँठदार अंगुलियों के साथः (4) चमसाकार अंगुलियों के साथ; (5) नोकीली अंगुलियों के साथः (6) बहुत नोकोली अंगुलियों के साथ; (7) मिश्रित अंगुलियों के साथ। 

निम्न श्रेणी का हाथ
Low grade hand

what do hands say/क्या कहते है हाथ।

स्वाभाविक है निम्न श्रेणी के हाथ के स्वामी वे लोग होंगे जिनका बौद्धिक और वैचारिक स्तर निम्न होता है। ऐसा हाथ बेढंगा, अपरिष्कृत व गंवारू होता है । देखने में बड़ा, मोटा, भारी करतल वाला होता है। अंगुलियां और नाखून छोटे होते हैं। 

हाथ की जिल्द मोटी, खुरदरी होती है। Dr. Caim ने मनुष्य शरीर की बनावट के विषय पर अपनी पुस्तक में लिखा है-“The bones of the plam form, among brute animals almost the whole hand." (नृशंस पशुओं में करतल की हड्डियां सारा हाथ बनाती हैं) 

इससे यह अर्थ निकलता है कि हाथ में हथेली का जितना अधिक प्रभुत्व होता है या वह जितनी अधिक हावी होती है, उतना ही अधिक पाशविक स्वभाव उस हाथ के स्वामी का होता है। 

निम्न श्रेणी के हाथ में यही विशेष बात है। हथेली सदा मोटी और खुरदरी होती है और अंगुलियां छोटी और बेढंगी होती हैं। नाखून छोटे होते हैं। करतल पर रेखायें भी बहुत कम दिखाई देती हैं। इस श्रेणी के हाथ वाले बहुत कम मानसिक और बौद्धिक क्षमता के होते हैं। 

और जो कुछ इस प्रकार की क्षमता होती है उसका झुकाव पाशविक वृत्ति की ओर अधिक होता है। उनका अपने भावावेश पर बिल्कुल नियन्त्रण नहीं होता है। प्रेम या स्नेह, रंग और सुन्दरता की  तरफ उनमें कोई आकर्षण की भावना नहीं होती। 

इस प्रकार के हाथ में अंगूठा छोटा और मोटा होता है। उसका ऊपरी भाग या नाखून वाला पर्व भारी, भरा हुआ और अधिकतर वर्गाकार होता है।

ऐसे व्यक्ति हिंसक प्रकृति के और शीघ्र आवेश में आ जाने या उत्तेजित हो जाने वाले होते हैं, परन्तु वे साहसी नहीं होते। उनमें चालाकी का गुण होता है। परन्तु यह गुण नैसर्गिक वृत्ति का होता है, विवेक मति का नहीं। उनमें कोई महत्वाकांक्षा नहीं होती। 

खाना, पीना, सोना और मर जाना यही उनका जीवन होता है। ऐसे व्यक्तियों को पशु-वृत्ति का असंस्कृत रूप कहना चाहिये। प्रसिद्ध ज्योतिष विद्वान पं. गोपेशकुमार के अनुसार जिस मनुष्य में केवल निद्रा, भय, विषय-वासना ही हो तो वह पशु के समान होता है। निम्न श्रेणी के हाथ वालों की समानता इसी प्रकार के लोगों से की जा सकती है।

वर्गाकार हाथ : उसका विभाजन और विशेषताएं
Square Hand: Its Division and Features

what do hands say/क्या कहते है हाथ।

जिस हाथ में हथेली का नीचे का भाग (कलाई के पास) तथा ऊपर का भागा (अंगुलियों की जड़ के पास) वर्गाकार हो, अर्थात् हथेली जितनी लम्बी हो लगभग उतनी ही चौड़ी हो तो उसे वर्गाकार हाथ कहते हैं। 

ऐसे हाथ वाले लोग जीवन के हर क्षेत्र में पाये जाते हैं। वे कार्य-कुशल होते हैं, इसलिए इस प्रकार के हाथ को उपयोगी हाथ भी कहते हैं।ऐसे हाथ वाले लोग समय के पाबन्द और आचार में सुनिश्चित होते हैं। 

वे अनुशासनप्रिय होते हैं, अधिकार का सम्मान करते हैं और हर वस्तु को अपने नियत स्थान पर देखना पसन्द करते हैं। वे कानून और व्यवस्था का पालन करने वाले होते हैं। और रिवाज और आदत के गुलाम होते हैं। 

वे झगड़ालू नहीं होते; परन्तु दृढ़ निश्चयी होते हैं। वे अपनी नैसर्गिक वृत्ति (Instinct) से युक्तिसंगतता को और युद्ध की अपेक्षा शान्ति को पसन्द करते हैं। उनकी कार्यशैली में नियमितता होती है। उनमें लगन और सन्तोष प्रचुर मात्रा में होता है। 

वे पस्त होकर बैठने वाले नहीं होते वरन् दृढ़ निश्चयी और दुराग्रही होते हैं। काव्य या कला में इनका मन इतना नहीं लगता जितना किसी उपयोगी काम में। प्रत्येक बात का मूल्य वे लोग उसकी उपयोगिता और सांसारिक व्यवहार के दृष्टिकोण से देखते हैं और इसमें उन्हें सफलता प्राप्त होती है। 

धार्मिक मामलों में सीमाओं का उल्लंघन नहीं करते। वे अन्धविश्वासी नहीं होते। वे दिखावे के साथ में वास्तविकता को पसन्द करते हैं। वे धारणाओं और विचारों के बजाय निश्चित मत देखना चाहते हैं। न तो उनमें अनुकरणशीलता होती है, न ही वे सर्वतोमुखी होते हैं। 

उनमें मौलिकता और कल्पना-शक्ति कम होती है; परन्तु जो कार्य वे हाथ में लेते हैं उनमें संलग्न हो जाते हैं। उनमें आचरण की दृढ़ता होती है और इच्छा-शक्ति इतनी प्रबल होती है कि अपने से अधिक प्रतिभाशाली प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ देते हैं। 

ऐसे व्यक्ति कृषि और व्यापार को प्रोत्साहन देते हैं। उन्हें अपना घर और घरेलू जीवन पसन्द होता है। वे स्नेह करते हैं; परन्तु उसका प्रदर्शन नहीं करते। वे सच्चे मन के होते हैं। और अपने वचन का पालन करते हैं। वे सिद्धांतों के पक्के होते हैं। 

जिससे मित्रता करते हैं उसे पूरी तरह निभाते हैं। व्यवसाय में वे ईमानदारी से चलते हैं। परन्तु सबसे बड़ा अवगुण उनमें यह होता है कि प्रत्येक बात की सूक्ष्मता से जांच-पड़ताल करते हैं। और जो कुछ उनकी समझ में नहीं आता उस पर वे विश्वास करने को तैयार नहीं होते।

वर्गाकार हाथ और छोटी वर्गाकार अंगुलियां
Square hands and little square fingers

इस प्रकार के हाथ का जातक सांसारिकता में बिल्कुल रमा होता है। वह सदा यही कहेगा-"जब तक मैं अपने कानों से सुन न लूं और अपनी आंखों से देख न लूं, मैं विश्वास करने को तैयार नहीं हूं, ।” हाथों की ऐसी बनावट एक हठी स्वभाव को व्यक्त करती है। इस प्रकार के लोग अधिक संकीर्ण विचारों वाले होते हैं। 

ये लोग धन अर्जित करते हैं, और उसे संचय करते हैं; परन्तु उन्हें काफी परिश्रम करना पड़ता है। चाहे कंजूस न हों; परन्तु उनका दृष्टिकोण सदा व्यावसायिक होता है और वे उसी दृष्टि से प्रत्येक बात का मूल्य आंकते हैं।

वर्गाकार हाथ और लम्बी वर्गाकार अंगुलियां
Square hands and long square fingers

वर्गाकार हाथ में बहुत लम्बी वर्गाकार अंगुलियां होती हैं। इस बनावट के जातकों का छोटी अंगुलियों वालों की केवल वर्गाकार बनावट के हाथ वालों की अपेक्षा ये गुण इन लोगों में अधिक होते हैं। वे तो नियम और रूढ़ियों से जकड़े होने के कारण नये रास्ते पर चलने में असमर्थ होते हैं। 

इस प्रकार के जातक यद्यपि हर बात का वैज्ञानिक ढंग से विश्लेषण करते हैं परन्तु उस सम्बन्ध में बनी हुई पूर्व धारणाओं से प्रभावित नहीं होते हैं और युक्तिसंगत तरीके से समझकर किसी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं। यही कारण है कि इस प्रकार के लोग ऐसे व्यवसाय में सफल होते हैं जिसमें वैज्ञानिक और युक्तिसंगत तरिके अपनाये जाते है।

वर्गाकार हाथ और गांठदार अंगुलियां
Square hands and kinky fingers

इस प्रकार के हाथों में प्रायः लम्बी अंगुलियां होती हैं जिनमें गांठें होती है। ऐसे हाथ जातकों में हर बात को ब्योरे सहित परीक्षा करने की प्रवृत्ति उत्पन्न करते है। वे छोटी-छोटी बारीकियों को स्वयं देखते हैं। वे इमारतों के निर्माण कार्य में रुचि रखते है। 

उन्हें योजनायें और नक्शे बनाने का शौक होता है। ऐसे हाथ वाले बहुत बड़े आविष्कारक चाहे न बन सकें, परन्तु वे कुशल वास्तु-शिल्पी (Architect) और गणितज्ञ बन्न सकते हैं। 

यदि चिकित्सा या किसी अन्य विज्ञान के क्षेत्र में प्रविष्ट हो तो वे अपने चुने हुए  विषय में विशेषज्ञ बनना चाहेंगे और अपने सूक्ष्म विश्लेषण की  रुचि द्वारा दक्षता प्राप्त करने में सफल होंगे।

वर्गाकार हाथ और चमसाकार अंगुलिया
Square hands and spiny fingers

चमसाकार अंगुलियां वे होती हैं जो आगे से फैली हुई होती हैं। चमसाकार  अंगुलियां वर्गाकार हाथों में आविष्कार करने की प्रवृत्ति प्रदान करती हैं। व्यावहारिकता उनमें प्रचुर मात्रा में होती है। इस कारण वे लोग अपनी बुद्धि,दक्षता और क्षमता ऐसे कार्यों में लगाते हैं जिनमें उपयोगिता हो। 

वे कुशल इंजीनियर बनते हैं और मशीनी पुर्जे, घरेलू इस्तेमाल में आने वाले नये यन्त्र या साधन या इसी प्रकार की अन्य वस्तुओं का निर्माण करते हैं। हर प्रकार के मशीन सम्बन्धी कार्य में इन लोगों की बहुत है। उपयोगी उत्कृष्ट यांत्रिक रचनाओं का निर्माण करने का श्रेय उन्हीं लोगों को प्राप्त होता है जिनके वर्गाकार हाथों में चमसाकार अगुलियां होती हैं।

सफल होने के लिए हमें क्या करना चाहिए | जीवन में सफल कैसे बनें

वर्गाकार हाथ और कुछ नोकीली (Conic) अंगुलियां
Square hand and some conic fingers

इस प्रकार की बनावट का ध्यान आते ही ऐसी धारणा बनती है कि संगीत रचना इस शीर्षक के अन्दर आती है; युक्तिसंगत है। वर्गाकार  हाथ प्रायः मननशील का होता है। वह जातक को निरन्तर परिश्रम करने की क्षमता देता है और कुछ नोकीली अंगुलियां कल्पनाशक्ति और प्रेरणात्मक क्षमता देती है। 

संगीत रचना करने वाला कितनी ही अधिक कल्पनाशक्ति रखता हो और वह अपनी कला में उत्कृष्ट होने के लिए कितना ही प्रेरित और महत्त्वाकांक्षी हो, सफल होने के लिए उसमे छात्रों जैसी लगन की भी आवश्यकता होती है। जब गुणों का इस प्रकार सम्मिश्रण होगा तभी समुचित सफलता प्राप्त होगी। 

हमने अनेकों संगीतज्ञों के हाथों की परीक्षा की है और ऊपर दिये हुए नियम को बिल्कुल यथार्थ पाया है। साहित्य क्षेत्र में प्रविष्ट लोगों पर भी यही नियम लागू होता है। वे अपने अध्यवसाय के आधार पर ही कल्पना के क्षेत्र में अग्रसर होते हैं। 

हस्त-विज्ञान का छात्र समझता है कि कोई पुरुष या स्त्री कला के क्षेत्र में है तो उसका हाथ कुछ नोकीला (Conic) अवश्य होना चाहिये; परन्तु यदि हम व्यापक दृष्टि से देखें तो ज्ञात हो जायेगा कि कुछ नोकीले हाथों के स्वामी कलाप्रिय अवश्य होते हैं;परन्तु यह जरूरी नहीं है कि वे अपनी कल्पनाशक्ति को व्यावहारिक रूप देने में समर्थ भी हों।

वास्तव में ऐसा श्रेय उन लोगों को प्राप्त होता है जिनके हाथों में वर्गाकार हाथ और कुछ नोकीली अंगुलियों का सम्मिलन होता है। इस बात को सरल शब्दों में श्री गोपेश कुमार ओझा ने इस प्रकार स्पष्ट किया है-"शुद्ध कलाकार का हाथ लम्बोतरा और अंगुलियों का अग्रभाग भी कुछ नोकीला होता है। 

इस कारण बहुत से लोगों को यह आश्चर्य की बात मालूम होगी कि वर्गाकार हाथ वाले व्यक्ति भी संगीत, साहित्य आदि में सफल हो सकते हैं। किन्तु वास्तव में उसका रहस्य यह है कि हाथ भी लम्बोतरा और अंगुलियां भी कुछ नोकीली हों तो मनुष्य शुद्ध कलाकार तो होता है; 

किन्तु सृजनात्मक योग्यता का अभाव होने के कारण अपने कार्य का सम्पादन वह इतने अच्छे रूप में नहीं कर सकता कि उसका संसार में नाम हो या धन प्राप्त हो। वर्गाकार हाथ और कुछ नोकीली अंगुलियाँ, इन दोनों गुणों के सम्मिश्रण से कलात्मक योग्यता को व्यावहारिक रूप देने में सफलता होती है।"

वर्गाकार हाथ और अत्यन्त नोकीली अंगुलियां
Square hands and very pointed fingers

अत्यन्त नोकीली अंगुलियों वाले वर्गाकार हाथ दुर्लभ से होते हैं। प्रायः देखा गया है कि जो हाथ कुछ वर्गाकार होता है उसमें लम्बे नाखूनों वाली लम्बी नोकीली अंगुलियां होती हैं। इस प्रकार की बनावट का प्रभाव यह पड़ता है कि उनका जीवन ठीक आरम्भ होता है, उनके उद्देश्य ठीक होते हैं; परन्तु वे हर प्रकार की भावदशाओं और सनक के शिकार होते हैं। 

इस प्रकार की बनावट के हाथ का स्वामी कोई चित्रकार हो तो उसका स्टूडियो अर्धसमाप्त चित्रों से भरा हुआ होगा। वर्गाकार हाथ और लम्बी नोकीली अंगुलियों में परस्पर इतना विरोध होता है कि जातक के स्वभाव में परस्पर विरोधी भाव एक-दूसरे को काटते रहते हैं और उसे सफल नहीं होने देते। उसके अच्छी प्रकार आरम्भ किये हुए कार्य बीच में ही रह जाते हैं।

वर्गाकार हाथ और मिश्रित लक्षणों वाली अंगुलियां

इस प्रकार का हाथ बहुधा देखने में आता है। यह पुरुषों में अधिक और स्त्रियों में कम पाया जाता है। इस प्रकार के हाथ में या तो प्रत्येक अंगुली भिन्न बनावट की होती है या दो-तीन एक प्रकार की होती हैं और शेष भिन्न प्रकार की। 

दूसरे शब्दों में मिश्रित लक्षणों वाला हाथ वह कहलाता है जिसमें कोई नोकीली, कोई वर्गाकृति वाली, कोई चमसाकार और कोई बहुत नोकोली अंगुली होती है। ऐसे हाथ वाले जातकों का अंगूठा प्रायः लचकदार होता है और अपने मध्य भाग से पीछे की ओर अधिक मुड़ता है।

तर्जनी नोकीली, मध्यमा वर्गाकार, अनामिका चमसाकार और कनिष्ठिका भी नोकीली होती है। ऐसे लोग बहुत विषयज्ञ होते हैं। ऐसे हाथ वाला व्यक्ति एक अवसर पर काव्य-प्रेरणाओं से परिपूर्ण होगा, दूसरे अवसर पर वह वैज्ञानिक और अत्यन्त युक्तिसंगत होगा। 

वह योजनाओं की कल्पना करेगा और फिर उनको व्यावहारिक रूप दे डालेगा। वह किसी विषय पर योग्यता के साथ विचार-विमर्श या वाद-विवाद करने में समर्थ होता है।परन्तु किसी एक काम को जमकर सम्पन्न करने में असमर्थ होने के कारण, ऐसे व्यक्ति बहुत कम उन्नति के शिखर पर पहुंच पाते हैं।

चमसाकार हाथ
Shining hand

what do hands say/क्या कहते है हाथ।

चमसाकार हाथ में अंगुलियों के अग्र भाग आगे से फैले हुए होते हैं और हथेली फैली हुई होती है।जब कलाई के पास चौड़ाई अधिक होती तो करतल अंगुलियों की ओर नोकीला हो जाता है। 

यदि चौड़ाई अंगुलियों के मूल के स्थान पर अधिक हो तो करतल का ढलान कलाई की दिशा में हो जाता है। इन दो बनावटों के विषय में बाद में प्रकाश डालेंगे। पहले हमें यह देखना है कि चमसाकार हाथ के विशेष गुण क्या होते हैं।

चमकसाकार हाथ सख्त और दृढ़ हो तो यह समझना चाहिये कि जातक का स्वभाव अधीर और उत्तेजनापूर्ण होगा, परन्तु उसमें कार्यशक्ति और उत्साह प्रचुर मात्रा में होगा। यदि हाथ कोमल, पिलपिला और शिथिल हो, तो जातक का चित्त अस्थिर और स्वभाव चिड़चिड़ा होता है। 

इस प्रकार का मनुष्य कभी तो काम अत्यन्त उत्साह से करता है और कभी बिल्कुल ढीला पड़ जाता है। वह जमकर किसी काम को सम्पन्न करने में असमर्थ होता है।

चमसाकार हाथ वालों में काम करने की लगन, कार्यशक्ति और आत्मनिर्भरता होती है। कर्मण्यता इनको और भी अधिक सक्रिय बना देती है। 

इस कारण नये स्थानों, देशों आदि की खेज में दिलचस्पी रखने वाले, समुद्री जहाजों को चलाने वाले, नये-नये आविष्कार करने वाले या प्रकृति सम्बन्धी नये-नये सिद्धांतों को बनाने वाले इस प्रकार के हाथ के स्वामी होते हैं। 

बड़े-बड़े इंजीनियरों और मशीन तथा कलपुर्जों के काम में सिद्धहस्त लोगों के हाथ प्रायः चमसाकार होते हैं। लेकिन इस प्रकार के हाथ उपर्युक्त लोगों तक ही सीमित नहीं होते। वे जीवन के अन्य क्षेत्रों में काम करने वालों में भी पाये जाते हैं।

सामान्यतः चमसाकार हाथ बड़ा होता है और उसमें बड़ी-बड़ी सुविकसित अंगुलियां होती हैं। इस प्रकार के हाथों वालों में आत्मनिर्भरता का गुण बहुत होता है।

उनकी यही मनोवृत्ति और उत्साह उनको नये स्थानों को खोजने, संकटों की परवाह न करने तथा नयी-नयी बातों को ढूंढ निकालने, नये सिद्धान्त बनाने, नये प्रकार के आविष्कार करने को प्रेरित करते हैं। दूसरों का अनुसरण नहीं करते, अपना रास्ता स्वयं नियत करती हैं और उसी स्थान पर चलना चाहते हैं।

अपने जीवन में किसी भी क्षेत्र में हों, किसी भी स्थिति में हों चमसाकार हाथ वाले अपने को ऊपर उठाने के अवसर स्वयं ढूँढ निकालते हैं और प्रमाणित करते हैं कि उनका व्यक्तित्व दूसरों से अलग है।

अभिनय,सँगीत,राजनीति, चिकित्सा, धर्मोपदेश कोई भी क्षेत्र या व्यवसाय हो, चमसाकार हाथ वाले अपनी कर्मठता और स्वतंत्र मनोवृत्ति के कारण अपनी ही पताका फहराते है।

इसका कारण यह नहीं है कि वे सनकी होते हैं, या उन्हें अपनी परम्पराओं को बदलने की हठ होती है। उनकी मौलिक और स्वतंत्र विचार शक्ति, उनकी आत्मनिर्भरता, उनके नैतिक गुण और हर बात को अपने दृष्टिकोण से देखने की प्रकृति उनको दूसरों की बताई हुई परिपाटियों को न मानने पर विवश कर देती है। चमसाकार हाथ वाले पुरुष और स्त्री नये विचारों के अग्रदूत होते हैं। 

वे अनेकों वर्ष बाद में जो कुछ हो सकता है उसकी गणना और कल्पना पहले से कर लेने में समर्थ होते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि वे हमेशा ठीक होते हैं। 

वे गलतियां भी करते हैं, फिर भी वे ऐसे तथ्यों को खोज निकालने मे सफल होते हैं और ऐसे आविष्कारों या सिद्धांतों की आधारशिला बना देते है जो वर्षों बाद जन साधारण के लिए या उन्हीं के क्षेत्र में काम करने वालों के लिय उपयोगी सिध्द होगी।

जिस चमसाकार हाथ में करतल अंगुलियों के मूल में अधिक फैला हो उस जातक में आविष्कार-वृत्ति और व्यावहारिकता या उपयोगिता प्रचुर मात्रा में होती है। ऐसे हाथ वाले व्यक्ति कल-कारखाने सम्बन्धी आविष्कार करते हैं और रेल. जहाज आदि जीवनोपयोगी यन्त्र बनाते हैं।

 इसका कारण यह है कि इस प्रकार की बनावट में वर्गाकार हाथ के गुण भी आ जाते है। यदि मणिबन्ध या कलाई के पास वाला भाग विशेष चौड़ा हो तो मौलिक आविष्कार की क्षमता का उपयोग 'विचार', 'मानसिक' या बौद्धिक क्षेत्र में विशेष होता है। नवीन वैज्ञानिक या साहित्यिक अनुसंधान, विशेष फूल-पौधों को

बारीकियों का अन्वेषण जैसे कार्यों का यह विशेषज्ञ बन जाता है। वह किसी नवीन आविष्कार की योजना बनाने में सफल हो जाता है। संसार में ऐसे लोगों को भी आवश्यकता होती है।

दार्शनिक या गांठदार अंगुलियों का हाथ
Philosophic or kinky fingers

what do hands say/क्या कहते है हाथ।

इस प्रकार के हाथ के आकार को सरलता से पहचाना जा सकता है। यह हाथ प्रायः लम्बा और नोकीला होता है। अंगुलियों का ढांचा विशेष प्रमुख और अंगुलियों को गांठें उन्नत होती हैं। नाखून इसमें लम्बे होते हैं।

अंग्रेजी में इस प्रकार के हाथ को 'Philosophic' कहते हैं। धन प्राप्ति में सफलता इस प्रकार के साथ को कम मिलती है। ऐसे हाथ वालों की दृष्टि में बुद्धि विकास और ज्ञान का महत्व सोने-चांदी से अधिक होता है। ये लोग विचार-प्रधान होते हैं। 

मानसिक विकास सम्बंधी कार्यों में  विशेष रूप से प्रवृत्त होते हैं। इस प्रकार के हाथ वाले अधिकतर अधययन करने वाले होते हैं। वे मानव जाति और मानवता के विषय में विशेष दिलचस्पि रखते हैं। जीवन वीणा के हर तार और उसकी हर धुन से परिचित होते हैं। वे उसे बजाते हैं। 

जो सुर उसमें से निकलते हैं, वे उन्हें सोने-चांदी के सिक्कों की अंधार से अधिक संतुष्टी देते हैं। इस प्रकार वे भी संसार के अन्य लोगों के समान महत्वकांक्षी होते हैं, परन्तू उनके लिये जीवन का ध्येय बिल्कुल भिन्न प्रकार का होता है। वे अन्य लोगों से भिन्न रहना चाहते हैं और अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिये वे सब प्रकार के कष्ट या कठिनडयाँ उठाने को तैयार रहते हैं।

इस प्रकार के लोग हर वस्तु के रहस्य को जानने में प्रयत्नशील रहते हैं। यदि ये धर्मोपदेश देते हैं तो उसमें दर्शन (Philosophy) होता है। यदि वे चात्रिकला में रूचि लेते हैं तो उसमें रहस्यवाद की छाप होती है। यदि वे काव्य लिखें तो उनकी कविताओं में दार्शनिक दृष्टिकोण होता है। 

उनमें सांसारिकता के लिए लेशमात्र भी स्थान नहीं होता। पूर्वी देशों में- विशेषकर भारत में इस प्रकार के हाथ बहुधा देखने में मिलते हैं। वहां विद्वान ब्राह्मण जाति के लोगों में, योगियों में इस प्रकार के हाथ काफी संख्या में होते हैं। इंग्लैंड में कर्डिनल मैनिंग और टैनीसन के हाथ इसी प्रकार के थे।

इस प्रकार के हाथ वाले जातक स्वभाव से चुपचाप रहने वाले और अपने विचारों को गुप्त रखने वाले होते हैं। वे गम्भीर विचारक होते हैं। वे छोटी-से-छोटी बात में सावधानी बरतते हैं। हर शब्द को नाप-तोलकर बोलते हैं। 

उन्हें इस बात का गर्व होता है कि वे अन्य लोगों से भिन्न हैं। यदि कोई उन्हें किसी प्रकार की चोट या हानि पहुंचाये तो वे उसे कभी विस्मृत नहीं करते और धैर्य के साथ अवसर की प्रतीक्षा करते हैं। उपयुक्त अवसर आने पर पूरा हिसाब चुकता कर देते हैं।

इस प्रकार के हाथ वाले प्रायः अहंवादी (Egoistic) होते हैं। जब दार्शनिक हाथ बहुत अधिक विकसित और उन्नत होता है तो जातकों में धर्मान्धता आ जाती है। वे रहस्यवाद की सीमा का उल्लंघन कर जाते हैं। 

इसका विस्मयजनक उदाहरण हमें पूर्वी देशों में मिलता है जहां शैशव-काल से ही बालक संन्यास लेकर संसार के बन्धनों से मुक्त हो जाते हैं। हाथ की अंगुलियों में गांठें चिकनी होना विचारक प्रवृत्ति का सूचक होता है। 

प्रत्येक बात का सूक्ष्म विश्लेषण करना इस प्रकार के हाथ वालों का स्वभाव बन जाता है। परन्तु हाथ के आकार या उसकी बनावट से ही यह निर्णय किया जा सकता है कि अन्वेषण की ऐसी क्षमता भौतिक कार्यों के लिये होगी या मानव जाति के सम्बन्ध में होगी।

अंगुलियों के अग्रभाग चतुष्कोणाकृति या कुछ नोकीले होने से इनमें आत्मिक स्फूर्ति आती है। वर्गाकार अंगुलियों के कारण उसमें धैर्य और अध्यवसाय तथा कुछ नोकीली अंगुलियों के कारण आत्मत्याग की भावना होती है।

STRONG MIND (मजबूत मन)

कुछ नोकीला हाथ
Some sharp hands

कुछ नोकीला हाथ, वास्तव में मध्यम आकार या लम्बाई-चौड़ाई का होता है।यह न अधिक बड़ा होता है, न बहुत छोटा। इसमें अंगुलियां अपने मूल स्थान में पुष्ट अर्थात् भरी हुई और अन्त में कुछ नोकीली होती हैं।  प्रायः इसको अधिक नोकीले हाथ की तरह समझ लिया जाता है, परन्तु यह लम्बोतरा और संकीर्ण होता है और इसमें अंगुलियां काफी लम्बी और काफी नोकीली होती हैं।

कुछ नोकीला या कलात्मक हाथ
Some sharp or artistic hands

what do hands say/क्या कहते है हाथ।

इस प्रकार के हाथ वालों में आवेग प्रधानता होती है। कुछ नोकीले हाथ के स्वामी प्रायः 'आवेग की सन्तान' (Children of impulse) कहे जाते हैं। आवेग से तात्पर्य है कि मन की जब जैसी सहसा रुचि हुई, वैसा ही काम कर डाला। आवेगपूर्ण व्यक्ति विचार करके, गुण-दोष की मीमांसा नहीं करते।इस प्रकार के हाथ के सम्बन्ध में बहुत-सी विविधतायें होती है, परन्तु अधिकतर नोकीला (Conic) हाथ मुलायम, कुछ नकली अंगुलियों वाला होता है। अँगुलियों के नाखून लम्बे होते हैं। 

इस प्रकार के हाथ वाले कलाप्रिय, आवेशात्मक स्वभाव  के होते है। परन्तु साथ-ही-साथ वे आराम तलब, शौकीन तबीयत के और आलसी होते हैं। इन लोगों में सबसे बड़ा अवगुण यह होता है कि चाहे वे चतुर और शीघ्र निर्णय लेने वाले हों, उनमें धैर्य की कमी होती है, 

वे बहुत शीघ्र थक जाते हैं और अपने संकल्प को पूर्ण करने में बहुत कम सफल होते हैं। वे बातचीत में निपुण होते हैं, वे किसी भी विषय को शीघ्रता से समझ लेते हैं, परन्तु उनका ज्ञान छिछला होता है। 

वे विद्यार्थियों के समान मननशील नहीं होते, वे किसी विषय की गहराई में नहीं जाते। क्षणिक आदेश या विचार करके निर्णय कर लेते हैं। इस कारण वे अनुराग, प्रेम और मित्रता में परिवर्तनशील होते हैं। जिन लोगों से उनका सम्पर्क होता है, उनसे वे बहुत प्रभावित होते हैं। उनके चारों ओर जो वातावरण होता है उससे भी वे काफी प्रभावित होते हैं। 

ये अपनी पसंदगी और  नापसंदगी के स्वभाव को सीमा से पार ले जाते हैं। वे भावुक होते हैं। ये सहसा क्रुद्ध हो उठते हैं, परन्तु उनका क्रोध क्षणिक होता है। वे सदा उदार और साहनुभूतिपूर्ण होते हैं, परन्तु जहां अपने आराम और सुख का प्रश्न उठता है वहां निःस्वार्थ नहीं होते।

पैसे के मामले में वे स्वार्थी नहीं होते। यदि उनके पास धन होता है तो उदारता से दान देते हैं। परन्तु उनमें यह समझने की क्षमता नहीं होती, और न ही वे यह जानने का विशेष प्रयास करते हैं कि उनकी कृपा या दान का पात्र योग्य है अथवा अयोग्य। 

उनके सामने मांगने वाला आता है, मन में आता है तो जेब खाली कर देते हैं और मन में नहीं आया तो उसको दुत्कार देते हैं। इन लोगों में नाम या यश कमाने के लिए जान देने की भावना विशेष नहीं होती, मन की उमंग ही प्रधान होती है।

इस प्रकार के हाथ को कलाकार का हाथ (Artistic Hand) भी कहा गया है। ऐसे हाथ वालों को कला सम्बन्धी विषयों पर योजनायें बनाना आता है, परन्तु कार्यान्वित करने की क्षमता उनमें नहीं होती। उनके सम्बन्ध में यह कहना ठीक होगा कि वे कला से प्रभावित होते हैं, कलाकार नहीं होते। 

अन्य प्रकार के हाथ वालों से उन पर चित्र, संगीत, भाषण-पटुता वाक्-पटुता, आंसू, हर्ष और दुख का अधिक प्रभाव पड़ता है। इसी प्रकार दूसरों के अपनेपन और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार से वे क्षण भर में उनकीओर खिंच जाते हैं। 

वे इतने आवेशात्मक होते हैं कि एकदम हर्षातिरेक के शिखर पर पहुंच जाते हैं और उसी प्रकार सहसा छोटी-सी बात से बिल्कुल हताश हो जाते हैं।

जब कोनिक हाथ सख्त और लचकदार (Elastic) होता है, तो जातक में सख्त हाथ के सद्गुणों के साथ-साथ अधिक स्फूर्ति, कार्य-कुशलता और इच्छा शक्ति भी होती है। कुछ सख्त नोकीले हाथ वाला जातक स्वभाव से कलाप्रिय होता है 

और यदि उसे कला के क्षेत्र में प्रविष्ट होने का प्रोत्साहन मिले तो अपनी कार्यशक्ति और दृढ़-संकल्प के गुणों की सहायता से वह सफल हो सकता है। इस प्रकार के लोग रंगमंच ,राजनीति तथा अन्य स्थानों में, जहां तक जनता को आकर्षित करना हो ,सफल होते हैं। 

यदि इस हाथ की बनावट बाली कोई गायिका हो तो वह गाने से पहले रियाज नहीं करेगी। अपने व्यक्तित्व और उमंग से ही दर्शकों आकर्षित करेगी।कोई वक्ता ऐसा हो तो वह कोई युक्तिसंगत सामग्री एकत्रित नहीं करेगा।बल्कि अपनी आवेश्पूर्ण और ओजस्वी वाक् शक्ति से लोगों को मुग्ध कर देगा।

हमने जो ऊपर कहा है उसका संक्षिप्त अर्थ यह है कि तत्कालिकता इस प्रकार के लोगों का सबसे बड़ा गुण और शक्ति है। यही उनकी सफलता का आधार होता है। हम एक उदाहरण देते हैं। कोई महिला है, जिसकी अंगुलिया वर्गाकार है। 

वह बहुत निपुण और सफल गायिका बन सकती है और वह उस दूसती गायिका से जिसकी अंगुलियां नोकीली हों, अधिक ऊंचाई प्राप्त कर सकती है, परन्तु इस प्रकार की सफलता के लिए उसका आधार जोश या मनोवेग नहीं होगा। वह परिश्रम करेगी,रियाज करेगी और धैर्य के साथ अपने ध्येय को प्राप्त करेगी।

कलाप्रिय हाथ मनोवृती से सम्बंध रखता है, अंगुलियों की विविधतायें मनोवृत्ति में परिवर्तन लाती हैं। जैसा की हमने ऊपर बताया है कि कलाप्रिय हाथ में वर्गाकार अंगुलियाँ क्षणिक जोश या आवेश को लगन, परिश्रम और व्यवस्था में परिवर्तित कर देती हैं।

यदि किसी कलाप्रिय या कुछ नोकीले हाथ में चमसाकार अंगुलियाँ हो तो वह अपनी चित्रकारी में मौलिकता लायेगा और डिजाइनों में और रंगों के मिश्रण से चित्र बनाकर प्रसिद्धि प्राप्त करेगा।यदि अंगुलियां दार्शनिक हों तो चित्रों में रहस्यवाद की छाप होगी।

अत्यन्त नोकीला हाथ
Very sharp hand

यदि किसी कलाप्रिय या कुछ नोकीले हाथ में चमसाकार अंगुलिया  चित्रकार हो तो वह अपनी चित्रकारी में मौलिकता लायेगा और  डिजाइनों में और रंगों के मिश्रण से चित्र बनाकर प्रसिद्धि प्राप्त कर  दार्शनिक हों तो चित्रों में रहस्यवाद की छाप होगी।  औ

यह हाथ सात प्रकार के हाथों में सबसे अधिक अभागा है। वास्तव में अत्यन्त नोकीला हाथ बहुत कम देखने को मिलता है। इस प्रकार के हाथ को अंग्रेजी में Psychic Hand कहते हैं। Psychic शब्द का अर्थ है "आध्यात्मिक। इसलिये इस प्रकार के हाथ का सम्बन्ध आत्मा से होता है। 

यद्यपि वास्तविक आध्यात्मिक (इसको कुछ लेखक 'शान्तनिष्ठ' हाथ भी कहते हैं) हाथ मिलना कठिन है, इससे मिलते-जुलते हाथ बहुधा दिखाई देते हैं। जैसे हम ऊपर कह चुके है देखने में यह सबसे सुन्दर आकृति का होता है। यह लम्बा, संकीर्ण और कोमल होता है। इसकी अंगुलियां शुंडाकार और कोमल होती हैं। इन अंगुलियों में लम्बे बादाम के आकार के नाखून होते हैं।

इनकी उत्कृष्टता और सुन्दरता इनकी शक्ति की कमी और निष्क्रियता की धोतक हैं। ऐसे सुकुमार हाथों को देखकर मन में यह भावना जागृत होती है कि ऐसे हाथा के स्वामी जीवन यात्रा के संघर्षों का सामना करने में कैसे समर्थ होंगे, क्योंकि यह लोग परिश्रम करने में बिल्कुल अक्षम होते हैं। इस प्रकार के लोग स्वप्नों की दुनिया में विचरने वाले और आदर्शवादी होते हैं।

ये प्रत्येक वस्तु में सुन्दरता ढूंढ़ते हैं और उसे देखकर उसकी कद्र करते हैं। वे नम्र स्वभाव के और शान्तिप्रिय होते हैं। वे किसी पर अविश्वास नहीं करते और जो उनके प्रति सहानुभूति प्रदर्शित करता है और उनके साथ सज्जनता और मृदुता से व्यवहार करता है उसके वे गुलाम बन जाते हैं। परन्तु उनमें परिश्रमशीलता, सांसारिक चतुरता और व्यावहारिकता नहीं होती। व्यवस्था, समय की पाबन्दी या अनुशासन, उनके लिए कोई अर्थ नहीं रखते। 

वे सरलता से दूसरों के प्रभाव में आ जाते हैं और इच्छा न होने पर भी परिस्थितियां उन्हें जिस ओर ले जाती हैं उधर ही वे बह जाते हैं। प्रकृति के रंगों के प्रति वे बहुत आकर्षित होते हैं। 

उनमें से कुछ ऐसे होते हैं जिनके लिए संगीत का प्रत्येक स्वर, प्रत्येक हर्ष, दुख, आवेश रंगों में प्रतिबिम्बित होता है। बिना उसकी चेतना के ये लोग धर्म की ओर आकर्षित होते हैं; परन्तु वे यथार्थता या सत्य की खोज करने मेंअसमर्थ होते हैं। 

यदि वे गिरजाघर में जाते हैं तो वहां के धार्मिक संगीत और रस्मों सेप्रभावित होते हैं; परन्तु उसका अर्थ या उद्देश्य क्या है यह जानने का प्रयास नहीं करते।अपनी अन्तर्निहित भावनाओं के कारण धर्म में उनकी अनुरक्ति होती है, वे अध्यात्म के किनारों तक पहुंच जाते हैं, जीवन के रहस्यों को विस्मय और भय से देखते हैं; परन्तु वे नहीं जानते कि ऐसा क्यों होता है। 

सब प्रकार के जादू के तमाशे उन्हें अपनी ओर आकर्षित करते हैं, वे उनसे धोखा भी खा जाते हैं। अन्त में उन्हें इस प्रकार भ्रमित हो जाने पर क्रोध आता है। इन लोगों में अतीन्द्रिय ज्ञान अत्यन्त विकसित होता है और वे अच्छे सूक्ष्मग्राही, और परोक्षदर्शी (Clairvoyants) बनते हैं क्योंकि भावनाओं, नैसर्गिक वृत्तियों और दूसरों के प्रभावों को उनके स्वभाव में अधिक स्वीकृति मिलती है। 

सांसारिकता और वास्तविकता से वे बिल्कुल अनभिज्ञ रहते हैं। इस प्रकार के गुणों वाले बच्चों के माता-पिता नहीं जानते कि उनसे किस प्रकार व्यवहार करें-विशेषकर जब वे सांसारिकता में चतुर और व्यावहारिक होते हैं, यदि कहीं गलती से वे उन्हें अपनी तरह का बनाने का प्रयत्न करते हैं तो वे उन बच्चों का जीवन नष्ट कर देते हैं। 

इन सुन्दर और सुकुमार हाथों के स्वामी स्वभावतः इतने भावुक होते हैं कि वे कभी-कभी अपनी परिस्थितियों को देखकर ऐसा अनुभव करने लगते हैं कि उनका जीवन निरर्थक है। इसका परिणाम यह होता है कि उनकी मनः स्थिति विकृत हो जाती है और वे उदासीन हो जाते हैं। परन्तु उनका ऐसा विचार करना असंगत है। 

प्रकृति ने कोई भी वस्तु निरर्थक नहीं बनाई है। वास्तव में उनमें और सुन्दर मृदुल स्वभाव के गुण होते हैं, इस कारण संसार में ऐसे लोगों की अपेक्षा, जो भौतिक वस्तुओं का भण्डार एकत्रित कर लेते हैं, इन लोगों की अधिक आवश्यकता है। शायद उनको संसार में मानवी नियमों में संतुलन स्थापित करने के लिए लाया जाता है।

आज के हलचल भरे संसार में ये ही लोग हैं जो सुन्दरता और कोमल भावनाओं का आभास दिखाते हैं। उनको निरर्थक समझना भारी भूल होगी। हमें उन्हें प्रोत्साहन देना चाहिए और उनको अपने आपको उपयोगी बनाने में सहायता देनी चाहिए।

मिश्रित लक्षणों वाला हाथ
Hand with mixed symptoms

यदि किसी कलाप्रिय या कुछ नोकीले हाथ में चमसाकार अंगुलिया  चित्रकार हो तो वह अपनी चित्रकारी में मौलिकता लायेगा और  डिजाइनों में और रंगों के मिश्रण से चित्र बनाकर प्रसिद्धि प्राप्त कर  दार्शनिक हों तो चित्रों में रहस्यवाद की छाप होगी।  औ

मिश्रित लक्षणों वाले हाथ का वर्णन करना बहुत कठिन है। वर्गाकार हाथ के परिच्छेद में हमने ऐसे वर्गाकार हाथ का उदाहरण दिया था जिसमें मिश्रित प्रकार की अंगुलियां होती है। उस उदाहरण में मिश्रित प्रकार की अंगुलियों को वर्गाकार हाथ का आधार प्राप्त था परन्तु जो वास्तविक रूप से मिश्रित लक्षण वाला हाथ होता है उसको कोई ऐसा आधार प्राप्त नहीं होता।

किसी हाथ को मिश्रित लक्षण वाला हाथ इसलिए कहते हैं कि हाथ की तो कोई श्रेणी होती नहीं, अंगुलियां मिश्रित लक्षण वाली हैं-कोई कुछ नोकीली, कोई वर्गाकार, कोई चमसाकार और कोई दार्शनिक वास्तव में होता यह है कि हस्तविज्ञान के अनुसार सात प्रकार के हाथ होते हैं, 

परन्तु ईश्वर की सृष्टि में हाथ सात प्रकार के सांचों में डालकर नहीं बनाये जाते कि तुरन्त कह दिया जाय कि वह अमुक हाथ अबुक सांचे में ढला हुआ है। मिश्रित लक्षण वाला हाथ जातक को सवतोमुखी अनेक गुणों से युक्त और परिवर्तनशील बनाता है। 

इस प्रकार का व्यक्ति अपने आपको सब परिस्थितियों के अनूकूल बना लेता है। वह चतुर होता है परन्तु अपनी योग्यताओं के उपयोग में अनिश्चित होता है। 

ऐसे हाथ वाले व्यक्ति अनेक गुणों से युक्त तो होते हैं, परन्तु अपने सीमित समय और बौद्धिक शक्ति को भिन्न-भिन्न कार्यों में लाने के कारण किसी भी कार्य में पूर्णता प्राप्त नहीं कर सकते। विज्ञान, कला या गपशप किसी भी विषय बातचीत या वाद-विवाद में इस हाथ वाला व्यक्ति प्रतिभाशाली होगा। 

वह कोई भी वाय-यन्त्र अच्छी तरह बजा सकता है, चित्रकारी करे तो अच्छे चित्र बना लेता है कोई अन्य काम करे तो उसे भी ठीक कर लेगा, परन्तु पूर्ण दक्षता उसको किसी काम में भी नहीं मिलेगी।

यदि मिश्रित लक्षण वाले हाथ में शीर्ष रेखा (Lime of Head) बलवान हो तो ऐसा व्यक्ति अपनी अनेक योग्यताओं में से कोई एक चुन लेगा जो सबसे अधिक हो और फिर उस गुण से सम्बन्धित जो कार्य वह करेगा, उसमें उसके अन्य गुण भी सहायक होंगे। 

इस प्रकार वह उस कार्य में अपनी प्रतिभा का पूर्णरूप से उपयोग करने में समर्थ होगा। जिस किसी कार्य में कूटनीति और चतुरता की आवश्यकता हो, उसमें ये लोग विशेष रूप से सफल होते हैं।

वे इतने सर्वतोमुखी और बहुगुणी होते हैं कि हर प्रकार के लोगों से, जो उनके सम्पर्क में आते हैं, हिलमिल जाते हैं। जैसा हम ऊपर कह चुके हैं कि उनकी सबसे बड़ी खूबी यह होती है कि वे अपने आपको सब प्रकार की परिस्थितियों के अनुकूल बना लेते हैं। 

वे अन्य लोगों की तरह भाग्य के उतार-चढ़ाव से घबराते नहीं हैं। उनके लिये सब प्रकार के कार्य सरल होते हैं। वे आविष्कारक बुद्धि के होते हैं और यदि स्वयं मेहनत करनी पड़े तो वे आश्चर्यपूर्ण योजनाओं की रूपरेखा बनाने की क्षमता रखते हैं।

अस्थिरता उनमें इतनी अधिक होती है कि एक नगर या स्थान में अधिक समय तक नहीं टिकते। नये-नये विचार उनके मस्तिष्क में मंडराते रहते हैं। यदि नाटक के सम्बन्ध में विचार प्रबल हुए तो नाटक लिखने बैठ जाते हैं। 

विचार बदला तो वे नये प्रकार का गैस स्टोव या कोई और वस्तु निर्माण करने की रूपरेखा तैयार करने लगते हैं। इस प्रकार उनके मस्तिष्क में विचारों, योजनाओं और निश्चयों में परिवर्तन होते रहते हैं जिसका परिणाम यह होता है कि किसी भी काम में विशेष सफलता नहीं प्राप्त कर पाते।

परन्तु यह स्मरण रखना चाहिए कि करतल यदि किसी निश्चित आकार का हो तो ऊपर दिये हुए गुण बदल जाते हैं। यदि करतल वर्गाकार, चमसाकार, दार्शनिक या कोनिक हो, तो मिश्रित लक्षण वाली अंगुलियां अधिक सफलता दिलाने में समर्थ होती है। 

दूसरी ओर यदि सारा हाथ मिश्रित लक्षणों का हो तो जातक अनेक गुणों वाला होता है; परन्तु विशेषज्ञ या दक्ष किसी में भी नहीं होता। ऐसे व्यक्ति को अंग्रेजी में'Jack of all trades' कहते हैं।


विभिन्न देशों के निवासियों और जातियों के हाथ
The hands of people of different countries and races

यह तो सभी जानते हैं कि विभिन्न देशों के निवासियों और जातियों के शरीरों की गठन, बनावट, रंग, रूप में अन्तर होता है। यह कहा जाता है- "प्रकृति का जो नियम एक ओस की बूंद को गोल बनाता है, वही संसार की रचना करता है।" 

(The law which rounds a dew drop shapes a world) । अतः यदि प्रकृति के कुछ नियम भिन्न प्रकार की सृष्टि करते हैं, तो वे भिन्न-भिन्न प्रकार के शरीर और हाथ भी बनाते हैं जो अपने गुणों में एक-दूसरे से विभिन्न होते हैं।

सबसे निम्नश्रेणी का या अविकसित हाथ (The Elementary hand)

इस प्रकार का हाथ अपने वास्तविक रूप में सभ्य जातियों में बहुत कम पाया जाता है। इस प्रकार के हाथ बहुत ठण्डे स्थानों (जैसे आइसलैण्ड, लैपलैण्ड, रूस के उत्तरी भाग, साइबेरिया) में रहने वाली आदिम जातियों के लोगों में पाये जाते हैं। (भारत में भी आदिम जातियों में जो अब भी आधुनिक सभ्यता के प्रभाव में नहीं आये हैं, ऐसे हाथ अवश्य होंगे।

ये लोग श्लेषात्मक और भावशून्य होते हैं। इनके शरीर के स्नायु केन्द्र उच्च विकसित अवस्था में नहीं होते। इसलिए और जातियों की अपेक्षा उनको शारीरिक पीड़ा का कम अनुभव होता है। वे अपनी मनोवृत्ति में पशुओं के समान होते हैं और विषय-वासना में भी पाशविक होते हैं। 

उनमें कोई महत्त्वाकांक्षा नहीं होती। बस, इतना ही है कि वे चार पैरों वाले पशु नहीं होते, दो पैरों वाले आदमी होते हैं और मनुष्य जाति में उनकी गणना होती है। इस श्रेणी के कुछ विकसित हाथ भी होते हैं जो विभिन्न देशों में सभ्य जातियों में पाये जाते हैं।

वर्गाकार हाथ (The Square hand)

वर्गाकार हाथ अधिकतर स्वीडन, डेन्मार्क, जर्मनी, हालैण्ड, इंग्लैण्ड, स्काटलैंड के निवासियों में पाया जाता है। यह नहीं कहा जा सकता कि भारत तथा अन्य देशों में,जो आधुनिक सभ्यता में और देशों के समान बहुत अधिक उन्नति कर गये हैं, इस प्रकार के हाथ न हों। वास्तव में सब देशों में सब प्रकार के हाथ देखे जा सकते हैं।

हाँ, यह हो सकता है कि प्रकृति ने उपरोक्त देशों में अधिकतर वर्गाकार हाथ बनाये हों।

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दार्शनिक हाथ (The Philosophic hand)

इस प्रकार के हाथ अधिकतर पूर्वी देशों में पाये जाते हैं। इस प्रकार के हाथ धार्मिक नेताओं और आध्यात्मिक प्रवृत्ति के लोगों में पाये जाते हैं जिनका ध्यान ईश्वर के रहस्यों को जानने में लीन होता है। अपने धार्मिक सिद्धांतों की रक्षा के लिए और मान्यता दिलाने के लिए ये लोग अपना सर्वस्व समर्पण करने को उद्यत रहते हैं।

कुछ नोकीले या कोनिक हाथ (The Conic hand)

इस प्रकार के हाथ अधिकतर योरुप के दक्षिण भाग में पाये जाते हैं; परन्तु विवाह आदि से जातियों का मिश्रण हो जाने से, अब इस प्रकार के हाथ संसार के सभी देशों में देखे जा सकते हैं। 

यूनान, इटली, स्पेन, फ्रांस और आयरलैण्ड के निवासियों में इस प्रकार के हाथों की अधिकता होती है। इन लोगों में विशेष गुण यह होता है कि ये भावात्मक होते हैं। इनके विचार और कार्यशीलता में आवेश की मात्रा अधिक होती है। 

ये कलाप्रिय होते हैं। उत्तेजना, प्रभाव्यता और संवेदनशीलता का उनके स्वभाव में विशेष स्थान होता है। वर्गाकार और चमसाकार हाथ वालों की अपेक्षा कोनिक हाथ वाले अधिक धन-अर्जित करने की क्षमता नहीं रखते। उनमें व्यावहारिक कुशलता की कमी होती है, इसी से उपर्युक्त श्रेणी के हाथ वालों से पीछे रह जाते हैं।

चमसाकार हाथ (The Spatulate hand)

चमसाकार हाथ स्फूर्ति, मौलिकता और अधीरता का हाथ है। यह नवीन स्थानों की खोज करने वालों, नयी बातों को जन्म देन वालों, विज्ञान में नये आविष्कार करने वालों और कला में नये आयाम दिखाने वालों का हाथ होता है। चमसाकार हाथ वाले कभी रूढ़िवादी नहीं होते। नियमों का पालन करना उनके स्वभाव के विरुद्ध होता है।

वे वर्गाकार हाथों के समान परिश्रम करके नहीं, वरन अपने विचारों की शीघ्रगामिता के कारण सफल आविष्कारक बनते हैं। वे दूसरों के विचारों का इस्तेमाल तो करते हैं, परन्तु उनको नया रूप देकर सुधार देते हैं। 

उन्हें जोखिम उठाने में संकोच नहीं होता। वे सर्वतोमुखी होते हैं। उनमें सबसे बड़ा अवगुण उनकी परिवर्तनशीलता होता है। जब भी उनके मन में आता है वे एक काम को छोड़कर दूसरा काम हाथ में ले लेते हैं। 

वे अपनी सनक और उत्साह के कारण प्रायः समस्यायें और उलझनें उत्पन्न कर लेते हैं। इस अवगुण के बावजूद संसार इसी प्रकार के सर्वतोमुखी गुणों वाले लोगों के नये विचारों, नये आविष्कारों और नयी खोजों पर निर्भर है। वर्तमान काल में अमेरिका की प्रगति में चमसाकार हाथों ने सबसे अधिक योगदान दिया है।

बहुत नोकीला हाथ (Psychic hand)

देशों में इस प्रकार के हाथ पाये जाते हैं। इस प्रकार का हाथ किसी विशेष देश या जाति में सीमित नहीं है। लगभग सभी वे इन हाथों के स्वामी अपने ही विशेष गुण रखते हैं। न वे पृथ्वी के होते हैं न आकाश के। परन्तु व मनुष्य तो होते ही हैं। 

वे जब मनुष्य है तब उनमें कोई गुण भी होने चाहियें। न तो उनके सुन्दर हाथ संसार के विषम व्यवाहर के लिए बने हैं, न ही उनके विचार सांसारिकता के लिए उपयुक्त हैं। वे मनुष्य जाति को मनुष्य जाति का प्रतिबिम्ब ही दे सकते हैं। 

करतल, बड़े और छोटे हाथ
Hands big and small

यदि करतल पतला, कठोर और सूखा हो तो जातक भीरुतापूर्ण, शीघ्र घबरा जाने वाला (Nervous) और चिन्तापूर्ण स्वभाव का होता है।करतल मोटा, भरा हुआ कोमल हो तो जातक की विषय-वासना और भोग विलास की ओर प्रवृत्ति होती है। 

जब करतल लचीला (Elastic) और पुष्ट हो और उसका अंगुलियों से अनुपातिक संतुलन हो तो जातक में स्थिरता और समचित्तता होती है। वह स्कूर्तिपूर्ण होता है और उसमें बात को तुरन्त समझ लेने की क्षमता होती है।

करतल बहुत मोटा न हो; परन्तु कोमल, पिलपिता और शिक्षित हो तो जातक आराम तलब और आलसी होता है और उसकी विषय-वासना की और प्रवृत्ति होती है।

गड्ढेदार करतल अत्यन्त अभाग्यसूचक माना जाता है। ऐसे करतल वालों को जीवन में उतना अवनति का सामना नहीं करना पड़ता जितना निराशाओं का।हमने देखा है कि करतल में गड्ढा प्रायः किसी रेखा या हाथ के भाग की ओर झुका होता है।

बिल्कुल मध्य में नहीं होता। यदि वह जीवन रेखा की ओर झुका हो तो वो पारिवारिक जीवन में गड़बड़ और निराशायें होती हैं और यदि हाथ का शेष भाग रोग के संकेत देता हो तो जातक की यातनायें बढ़ जाती हैं। 

यदि गड्ढा भाग्य रेखा के नीचे आता हो तो व्यापार में, धन के सम्बन्ध में और अन्य सांसारिक मामलों में दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है। यदि गड्ढा हृदय रेखा के नीचे हो तो प्रेम के सम्बन्ध में निराशा का सामना करना पड़ता है।

बड़े और छोटे हाथ
Big and small hands

यह देखा गया है कि बड़े हाथ वाले हर काम को सूक्ष्मता से विश्लेषण करके करते हैं और बारीकी के कामों में उन्हें दक्षता प्राप्त होती है। छोटे हाथ वाले उसकेविपरीत गुणवाले होते हैं। 

हमने एक बार लन्दन के प्रसिद्ध जौहरी का कारखाना देखा और हमें कोई विस्मय नहीं हुआ जब वहां सब कारीगरों के हाथ हमने बड़े देखें। छोटे-हाथ वालों में इतना धैय नहीं होता कि वे बारीकी के काम कर सकें। वे बड़ी बड़ी योजनाये तो बना सकते हैं, परन्तु उनको कार्यान्वित करना उनके बस में नहीं होता।

वे बड़े-बड़े संस्थानों का प्रबन्ध करते हैं, समाज के नेता बनते हैं और इन कार्यों में सफल भी होते हैं। यह भी एक मनोरंजक बात है कि छोटे हाथ वालों की लिखावट बड़ी होती है।

हाथों पर बाल
Hair on hands

हाथ पर उगते हुए बाल यद्यपि देखने में कोई महत्व के नहीं लगते; परन्तु गम्भीरता से इस बात का अध्ययन किया जाए तो उनमें महत्ता आ जाती है। इस सम्बन्ध में यह जानना आवश्यक है कि बाल किन नियमों से नियन्त्रित होकर उगते हैं। प्रकृति ने शरीर की बहुत-सी लाभदायक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बालों की रचना की है।

हम केवल महत्त्वपूर्ण तथ्य ही प्रस्तुत करेंगे जिससे हस्त-विज्ञान का छात्र हस्त परीक्षा के अध्ययन में लाभान्वित हो सके। इस सम्बन्ध में जानना आवश्यक है कि बाल भिन्न-भिन्न रंग के क्यों होते हैं, क्यों कुछ बाल सुन्दर और मुलायम होते हैं, कुछ रूखे-सूखे होते हैं,और इसके कारण मनुष्य (पुरुष या स्त्री) की मनोवृत्ति में क्यों परिवर्तन होते हैं।

पहली बात तो यह है कि प्रत्येक बाल एक बारीक ट्यूब के समान होता है। ये ट्यूब त्वचा और त्वचा की नसों से संबंधित होते हैं। वास्तव में ये बाल या ट्यूब शरीर के विद्युत प्रवाह को बाहर निकालने का काम करते हैं और बालों के रंगों में वह विद्युत प्रवाह समा जाता है। इससे जातक की मनोवृत्ति पर प्रभाव पड़ता है। 

उदाहरण के तौर पर यह जान लीजिए कि यदि शरीर की व्यवस्था में बहुत मात्रा में लोहा (iron) और लाल रंग का द्रव्य (pigment) हो, तो बालों से गुजरता हुआ विद्युत प्रवाह इन पदार्थों को बालों में या ट्यूबों में भर देता है और बालों के रंग को काला, भूरा (brown), सलेटी, सुनहला या सफेद बना देता है।

जिन व्यक्तियों के बाल सुनहरे या सफेद होते हैं, उनके शरीर में लोहा (iron) और काला द्रव्य या रंग कम मात्रा में होता है। प्रायः ऐसे लोग अधिक निस्तेज, निरुत्साही और नम्र होते हैं और दूसरों के तथा अपने चारों तरफ होने वाले वातावरण के प्रभाव में आ जाते हैं। गहरे रंग के बालों पर इस प्रकार का प्रभाव अपेक्षाकृत कम पड़ता है।

गहरे रंग के बालों वाले व्यक्ति यद्यपि काम करने में कम स्फूर्तिपूर्ण होते हैं, परन्तु उनके मिजाज में जोश और आवेश होता है। वे अधिक तुनुक मिजाज वाले होते हैं और हल्के रंग के बालों वालों से प्रेम या स्नेह में अपेक्षाकृत अधिक ओजवान होते हैं। 

लाल रंग के बालों का गुण बिल्कुल विपरीत होता है। लाल रंग के बाल काले, भूरे या सुनहरे बालों से अपेक्षाकृत अधिक रूखे-सूखे और कम चिकने और मुलायम होते हैं। ये अन्य प्रकार के बालों के समान उतने बारीक भी नहीं होते। ट्यूब अधिक चौड़ा होता है। इसलिए उनके द्वारा बाहर निकलने वाले विद्युत प्रवाह की मात्रा भी अधिक होती है। 

परिणामस्वरूप लाल रंग के बालों वाले व्यक्ति अधिक उत्तेजनात्मक होते हैं और काले, भूरे या सुनहले बालों वाले व्यक्ति के मुकाबले अधिक सरलता से और शीघ्रता से काम करने को प्रेरित किये जा सकते हैं।

जब शारीरिक व्यवस्था, वृद्धावस्था या अधिक नशा करने या भोग विलास में शक्ति नष्ट हो जाने से, कमजोर हो जाती है। इसका परिणाम यह होता है कि द्रव्य या रंग का बालों के ट्यूबों में जाना बन्द हो जाता है और बाल सफेद होने लगते हैं। 

यह किसी सहसा आघात या झटके से होता है तो स्नायविक विद्युत द्रव्य के तेज प्रवाह के कारण बाल अपनी जड़ों पर खड़े हो जाते हैं। उसकी प्रतिक्रिया भी तुरन्त आरम्भ हो जाती है और प्रायः कुछ ही घंटों में बाल सफेद हो जाते हैं। ऐसे झटके के बाद शारीरिक व्यवस्था में फिर कभी सुधार नहीं होता और बाल अपना पूर्व रंग पुनः नहीं प्राप्त कर सकते।

कर-पृष्ठ पर बालों के प्रकार 
Hair type on tax page

जहां तक हमने पढ़ा है और देखा है बालों के रंग के संबंध में हमने जो विचार प्रस्तुत किए हैं, उन पर किसी का ध्यान नहीं गया है। हमारा अनुरोध है कि पाठक इन विचारों की व्यावहारिक रूप से परीक्षा करें; बाल कर-पृष्ठ (हथेली के पीछे का भाग) पर होते हैं, हथेली पर कभी नहीं होते। ऊपर जो बालों के संबंध में लिखा है उसके अनुसार कर-पृष्ठ पर बाल हों तो उनका फल इस प्रकार समझना चाहिए-

(1) जिनके हाथ पर भूरे या हल्के रंग के सूक्ष्म बाल हों, वे मृदु स्वभाव के सज्जन, शीघ्र दूसरों के प्रभाव में आ जाने वाले होते हैं; परन्तु ये लोग आलसी स्वभाव के होते हैं और अधिक परिश्रम करना पंसद नहीं करते।

(2) यदि बाल काले हों तो मनुष्य के स्वभाव में उग्रता होती है। उनके प्रेम में वासना तथा ईर्ष्या की मात्रा होती है। वे लोग चिड़चिड़े मिजाज के होते हैं और सहिष्णुता कम होने के कारण शीघ्र क्रुद्ध हो जाते हैं। प्रेम में वासना की मात्रा अधिक होने से ये हर प्रकार से अपनी इच्छा-पूर्ति में तत्पर हो जाते हैं।

कर-पृष्ठ पर बाल नहीं होना प्रकृति (शरीर और चित्त) की मृदुता का लक्षण है। मोटे बाल होना शारीरिक शक्ति का तथा हृदय की कठोरता का सूचक है। बाल जितने पतले और विरल हो उतना ही मृदु प्रकृति का मनुष्य होगा। यदि बाल घने और अधिक हों तो इससे विपरीत फल होगा।

कर -प्रष्ठ के अनुसार पृथ्वीपतियों (राजा और  उच्चाधिकारी )के कर पृष्ठ ऊँचे उठे हुए ,चिकने ,चारों ओर सर्प के फन के आकार के फैले हुए होते है। उनमे नसें दिखाई नहीं देती। इसके विपरीत कर -पृष्ठ सूखा ,मांसरहित ,नीचा ,रोयें या बाल सहित खुरदरा और रंग उड़ा हुआ हो या सुन्दर वर्ण न हो तो शुभ नहीं होता। 

सामुन्द्रिक तिलक के अनुसार यदि कर - पृष्ठ में रोयें या बाल हो या नसें दिखाई दें तो जातक निर्धन होता है 

स्त्रियों के सम्बन्ध में कहें तो जिस स्त्री  के कर-पृष्ठ उन्नत बाल रहित हो और नसें न दिखाई दे तो शुभ लक्षण है। यदि कर-पृष्ठ मांस रहित हो तो ऐसी स्त्री विधवा होती है। यह भी देखा गया है की जिन स्त्रियों के पैरों और बाहों में घने बाल हो ,उन्हें सुख प्राप्त नहीं होता। और जिन स्त्रियों के मूंछे या दादी हो तो वो मरदाना स्वभाव की होगी। 

Mother's life has a serious impact on the fetus (A real story ) | गर्भस्थ शिशु पर माता के जीवन का गम्भीर प्रभाव पड़ता है

प्रिय पाठकों !आशा करते है आपको पोस्ट पसंद आई होगी। विश्वज्ञान में ऐसी ही अन्य रोचक जानकारियों के साथ फिर मुलाक़ात होगी। तब तक के लिए हँसते रहिये ,मुस्कुराते रहिये और प्रभु को याद करते रहिये। जय जय राधे श्याम 

धन्यवाद 


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